जहां सूख चुके थे कुएं, वहां लौटा जीवन... नीतीश सरकार में बदला बिहार का पर्यावरण परिदृश्य
बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने पर्यावरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। जहाँ कभी कुएं सूख गए थे, वहां अब जीवन लौट आया है। सरकार के प्रयासो ...और पढ़ें

जहां सूख चुके थे कुएं, वहां लौटा जीवन
डिजिटल डेस्क, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को लेकर निरंतर ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। जल-जीवन-हरियाली मिशन के तहत राज्य ने पर्यावरणीय पुनर्जीवन की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वर्षों से सूखे पड़े पुराने कुओं का व्यापक स्तर पर जीर्णोद्धार कर उन्हें दोबारा जीवनदायिनी संरचना के रूप में विकसित किया जा रहा है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्यभर में चिन्हित 38,629 पुराने कुओं में से 37,995 कुओं का पुनरुद्धार कार्य पूरा किया जा चुका है।
अब ग्रामीण इलाकों में लोगों को बोरिंग पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना पड़ रहा, बल्कि पारंपरिक और प्राकृतिक जल स्रोत के रूप में कुओं से फिर से स्वच्छ पानी उपलब्ध हो रहा है।
इससे भूजल स्तर में सुधार के साथ-साथ जल संकट से जूझ रहे गांवों को बड़ी राहत मिली है। फिलहाल केवल 293 कुओं का जीर्णोद्धार शेष है, जिसे शीघ्र पूरा करने की तैयारी चल रही है।
जल-जीवन-हरियाली मिशन का प्रभाव केवल जल संरक्षण तक सीमित नहीं है। इस अभियान के साथ-साथ रैयती भूमि पर पौधरोपण को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ किसानों की आय में भी वृद्धि हो रही है।
फलदार, औषधीय और इमारती पौधों की खेती से किसान अतिरिक्त आमदनी अर्जित कर रहे हैं। यह पहल हरित आवरण बढ़ाने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती दे रही है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासनकाल में विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन को विशेष प्राथमिकता दी गई है। स्वच्छता, जल संरक्षण, हरियाली विस्तार और पारंपरिक संसाधनों के पुनर्जीवन ने बिहार को सूखेपन से हरियाली और समृद्धि की ओर अग्रसर किया है।
पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा हर वर्ष 5 जून, विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण हितैषी पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
यह सम्मान उन व्यक्तियों और संस्थाओं को दिया जाता है, जो पर्यावरण स्वच्छता और संरक्षण के लिए उल्लेखनीय योगदान देते हैं। इसका उद्देश्य समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और लोगों को सक्रिय सहभागिता के लिए प्रेरित करना है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कुओं के पुनरुद्धार, पौधरोपण और जल संरक्षण जैसे प्रयासों से न केवल पर्यावरणीय संतुलन बहाल हो रहा है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए जल और हरियाली की सुरक्षित विरासत भी तैयार हो रही है।
कुल मिलाकर, नीतीश सरकार की पर्यावरण-केंद्रित नीतियां बिहार के बदले हुए पर्यावरण परिदृश्य की मजबूत तस्वीर पेश कर रही हैं।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।