बिहार का टाल, सबको खिलाएगा दाल
जितेन्द्र कुमार, पटना । बिहार का टाल क्षेत्र इस बार भरपूर दाल परोस सकेगा। बाढ़ से तीन वर्षो बा
जितेन्द्र कुमार, पटना । बिहार का टाल क्षेत्र इस बार भरपूर दाल परोस सकेगा। बाढ़ से तीन वर्षो बाद पटना, नालंदा, शेखपुरा, लखीसराय, मुंगेर और भागलपुर जिले का टाल क्षेत्र डूबा है। गंगा जल के साथ आई नई मिट्टी की परत दलहन उत्पादन के लिए टाल की भूमि को अनुकूल बन रही है। भू-जल स्रोत रिचार्ज होने कारण जमीन में लंबे समय तक नमी बनी रहती है, जो दाल उत्पादन में मदद करती है। उम्मीद है कि करीब 1.47 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में चना, मसूर, मटर और खेसारी की पैदावार होगी।
टाल क्षेत्र में किसानों को उन्नत बीज, कीट-व्याधि से बचाव, उचित भंडारण और विपणन की व्यवस्था की गई तो पूरे देश में दलहन की कमी पूरी हो सकती है। दलहन उत्पादन क्षेत्र के किसानों को नीलगाय से फसल को बचाने की बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
पटना में सर्वाधिक 10 प्रखंड
पटना जिले में सर्वाधिक 10 प्रखंड टाल क्षेत्र में आते हैं। मोकामा, घोसवरी, पंडारक, बेलछी, बाढ़, अथमलगोला, बख्तियारपुर, फतुहा, दनियावां और खुसरूपुर में जबरदस्त दलहन उत्पाद होता है। इसी तरह नालंदा जिले के चंडी, हरनौत, सरमेरा, बिंद और नगरनौसा टाल क्षेत्र दलहन उत्पादक है। शेखपुरा जिले के दो प्रखंड, लखीसराय जिले में तीन, मुंगेर में चार और भागलपुर में 8 प्रखंड टाल क्षेत्र में शामिल हैं।
बिहार के इन पांच जिलों में कुल 5.15 लाख हेक्टेयर टाल क्षेत्र में शामिल है। सरकारी आंकड़े के अनुसार 4.16 लाख हेक्टेयर खेती योग्य भूमि है। दलहन उत्पादन के लिए 1.47 लाख हेक्टेयर भूमि उपयुक्त है। हालांकि कुछ भूमि पर तिलहन फसल सरसो, राई, तीसी और तोरी की खेती होती है।
अक्टूबर में बुआई जरूरी
दलहन फसल उत्पाद के लिए अक्टूबर में बुआई करना जरूरी होगा। खेतों में नमी की मात्रा अधिक होने पर पौधे में गलन, जड़ काटने वाले कीड़े और फली को कीट से बचाव का उपाय करना होगा।
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