Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'हमें भी मौका दीजिए सर'… नियुक्ति पत्रों के बीच सम्राट चौधरी का आगे आना और बदलती तस्वीर का सियासी संदेश

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 03:23 PM (IST)

    पटना में बिजली विभाग के नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में, सम्राट चौधरी द्वारा नियुक्ति पत्र बांटने के लिए आगे आने पर कई सवाल उठे। यह घटनाक्रम 'बुरका कां ...और पढ़ें

    Hero Image

     बिजली विभाग के नियुक्ति पत्र वितरण समारोह 

    डिजिटल डेस्क, पटना। कभी-कभी एक तस्वीर, एक दृश्य या एक छोटा-सा क्षण बड़े सवाल खड़े कर देता है। कुछ ऐसा ही नजारा बिजली विभाग के नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में देखने को मिला, जब मंच पर बैठे नेता से ज्यादा चर्चा उस पल की होने लगी, जब सम्राट चौधरी खुद आगे बढ़कर नियुक्ति पत्र बांटने लगे। मानो मंच पर मौजूद बाकी लोगों के मन की आवाज़ वही बन गए हों, 'सब आप ही बांट दीजिएगा तो हम लोग यहां क्यों आए हैं? हमें भी मौका दीजिए सर!'

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    samrat

    यह दृश्य औपचारिक कार्यक्रम से कहीं आगे निकल गया। नियुक्ति पत्र वितरण का यह समारोह आम तौर पर सरकारी उपलब्धियों को दिखाने का मंच होता है, लेकिन इस बार यह आयोजन राजनीतिक संकेतों, सामाजिक संदेशों और हालिया घटनाओं की पृष्ठभूमि में ज्यादा अर्थपूर्ण बन गया।

    दरअसल, इस कार्यक्रम की तस्वीरें और वीडियो ऐसे समय सामने आए हैं, जब एक दिन पहले ही 'बुरका कांड' को लेकर राज्य की राजनीति गरमाई हुई थी।

    उस घटनाक्रम के बाद आज का दृश्य कुछ बदला-बदला सा नजर आया। खास बात यह रही कि जो वीडियो जारी किया गया, उसमें नियुक्ति पत्र लेने वालों की कतार में केवल लड़के दिखाई दिए। लड़कियों की अनुपस्थिति ने कई तरह के सवालों को जन्म दे दिया।

    सरकारी नौकरियों में महिला भागीदारी को लेकर लंबे समय से दावे किए जाते रहे हैं। बिहार में महिला आरक्षण, महिला सशक्तिकरण और सरकारी सेवाओं में उनकी बढ़ती भागीदारी को सरकार अपनी बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश करती रही है।

    ऐसे में नियुक्ति पत्र वितरण के वीडियो में केवल पुरुषों का दिखना स्वाभाविक रूप से चर्चा का विषय बन गया। क्या यह महज संयोग था या फिर किसी रणनीति का हिस्सा, यह सवाल लोग पूछने लगे हैं।

    इसी बीच, सम्राट चौधरी का खुद आगे आकर नियुक्ति पत्र बांटना भी केवल एक औपचारिक कदम नहीं माना जा रहा।

    इसे सत्ता में भागीदारी, नेतृत्व की सक्रियता और 'सब कुछ अकेले नहीं, मिलकर' करने के संदेश के तौर पर देखा जा रहा है। मंच पर मौजूद अन्य नेताओं और अधिकारियों को भी मौका देने की यह अनकही कोशिश, एक तरह से सामूहिक नेतृत्व का प्रदर्शन थी।

    राजनीतिक जानकारों की मानें तो ऐसे कार्यक्रमों में हर छोटा-बड़ा दृश्य संदेश देता है। किसे मंच पर कितनी देर बोलने का मौका मिला, कौन आगे बढ़कर क्या करता है, और कैमरे में क्या दिखाया जाता है, ये सब सोच-समझकर तय किया जाता है।

    कल के विवाद के बाद आज का बदला हुआ वीडियो फ्रेम, यह संकेत भी दे सकता है कि सरकार और सत्ता पक्ष अब ज्यादा सतर्क नजर आ रहा है।

    नियुक्ति पत्र लेने आए युवाओं के लिए यह दिन उनके जीवन का अहम पड़ाव जरूर था। नौकरी की उम्मीद, भविष्य की स्थिरता और परिवार की अपेक्षाओं के बीच उन्हें मंच की राजनीति से शायद ज्यादा फर्क न पड़ा हो।

    लेकिन कैमरे के बाहर और सोशल मीडिया पर, यह आयोजन केवल रोजगार का नहीं, बल्कि प्रतिनिधित्व और संतुलन का मुद्दा बन गया।

    एक ओर सरकार रोजगार देने की उपलब्धि गिना रही है, वहीं दूसरी ओर लोग यह भी देख रहे हैं कि उस रोजगार की तस्वीर कैसी दिखाई जा रही है। क्या उसमें समाज की पूरी झलक है या सिर्फ एक हिस्सा? सवाल यही है।

    कुल मिलाकर, बिजली विभाग का यह नियुक्ति पत्र वितरण समारोह अब सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं रह गया। यह सत्ता की शैली, सामाजिक संदेश और हालिया विवादों की छाया में देखा जाने वाला एक प्रतीकात्मक आयोजन बन गया है।

    सम्राट चौधरी का आगे बढ़कर नियुक्ति पत्र बांटना और वीडियो में दिखती बदली हुई तस्वीर, दोनों ने मिलकर यह साबित कर दिया कि राजनीति में कभी-कभी एक कदम आगे बढ़ना और एक फ्रेम बदलना, कई बातें कह जाता है।