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    जीवनधारा बनने लगे कुएं, राज्‍य में 38 हजार की संवरी सूरत, इन्‍हें दी गई 1 लाख रुपये की सहायता

    By Raman Shukla Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Wed, 10 Dec 2025 08:29 PM (IST)

    बिहार में कुओं को जीवनधारा बनाने का कार्य चल रहा है, जिसके अंतर्गत राज्य में 38 हजार कुओं का जीर्णोद्धार किया गया है। इस कार्य के लिए सरकार द्वारा प्र ...और पढ़ें

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    राज्‍य के 38 हजार कुओं का हुआ जीर्णोद्धार। जागरण आर्काइव

    राज्य ब्यूरो, पटना। Jal Jiwan Hariyali Mission: राज्‍य में जल जीवन हरियाली मिशन के तहत पिछले साढ़े पांच वर्षों में जल स्रोतों को बचाने की दिशा में ऐसा काम किया है, जिसकी मिसाल वर्षों तक दी जाएगी।

    भूगर्भ जलस्तर बढ़ाने एवं परंपरागत जल संसाधनों को संवारने के लिए चिह्नित 38 हजार 629 कुओं में से 37 हजार 995 कुओं का जीर्णोद्धार पूरा हो चुका है। शेष 293 कुओं पर काम जारी है। सरकार ने ग्रामीण विकास समेत कई विभागों के सहयोग से यह अभियान 25 सितंबर 2019 को शुरू किया था।

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    मंत्रिपरिषद की मंजूरी के बाद योजना ने गति पकड़ी और कुओं से अतिक्रमण हटाने से लेकर उनके संरक्षण तक का पूरा खाका तैयार किया गया। इसी दौरान योजना का बजट भी बीते वर्षों में करीब नौ गुना बढ़ाया गया।

    पहले निर्धारित राशि एक हजार 359 करोड़ से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2024-25 में 12 हजार 568 करोड़ रुपए कर दी गई। बढ़े हुए संसाधनों का परिणाम है कि आज लगभग सभी च‍िह्नि‍त कुओं का कायाकल्प पूरा होने की कगार पर है। 

    अतिक्रमण हटाने की सबसे बड़ी मुहिम


    राज्य भर में चिह्नित 11 हजार 192 सरकारी कुओं में से 11 हजार 181 को अतिक्रमण मुक्त करा दिया गया है। बाकी 11 कुओं पर प्रक्रिया जारी है। इसी क्रम में 17 हजार 454 तालाब, पोखर, आहर, पईन और अन्य जल स्रोतों से अवैध कब्जा हटाकर उनका जीर्णोद्धार भी पूरा किया जा चुका है।

    वर्ष 2019 में मिशन की शुरुआत के बाद पहली बार पूरे राज्य में उपेक्षित जल स्रोतों की व्यापक पहचान हुई। वर्षों से कब्जे और अव्यवस्था की मार झेल रहे ये पौराणिक संसाधन आज फिर से जीवनदान देने की स्थिति में हैं।

    ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों के अनुसार, जहां वर्षों पुराना अतिक्रमण हटाना चुनौती था, वहां मुख्यमंत्री वास स्थल क्रय सहायता योजना कारगर सिद्ध हुई है।

    जिन लोगों के पास रहने के लिए अपनी जमीन नहीं है, उन्हें यह योजना एक लाख रुपए की सहायता प्रदान कर वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध करा रही है, ताकि जल स्रोतों को मुक्त कर उनका संरक्षण किया जा सके। नतीजे साफ हैं कि बिहार की धरती पर पानी का भविष्य फिर से सुरक्षित दिखने लगा है। 


    पारंपरिक जलश्रोतों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाली समस्याओं से निपटने और भूगर्भ जलस्तर को बनाए रखने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर काम जारी हैं। कई कार्य पूरे हो चुके हैं। कुछ काम शेष है जिन्हें शीघ्र ही पूरा कर लिया जाएगा।
    श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास एवं परिवहन मंत्री