Cyclone Montha: बिहार में लगातार बारिश, फसलों को नुकसान; किसानों के लिए एडवाइजरी जारी
चक्रवाती तूफान 'मोंथा' के प्रभाव से बिहार के कई जिलों में लगातार बारिश हो रही है, जिससे खेतों में पानी भर गया है और तापमान गिर गया है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले 24 घंटों में तापमान में वृद्धि हो सकती है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को पकी फसलों को सुरक्षित रखने, जल निकासी की व्यवस्था करने और फफूंदीनाशक का छिड़काव करने की सलाह दी है।

बिहार में लगातार बारिश, फसलों को नुकसान (ANI)
जागरण संवाददाता, पटना। चक्रवाती तूफान ‘मोंथा’ के प्रभाव से बिहार के अधिकांश जिलों में पिछले तीन दिनों से लगातार हल्की से भारी वर्षा हो रही है। इस कारण खेतों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है और तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। भारत मौसम विज्ञान विभाग, पटना के अनुसार, अगले 24 घंटों के बाद राज्य के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान में 2 से 4 डिग्री सेल्सियस तक वृद्धि हो सकती है, जबकि न्यूनतम तापमान में कोई विशेष बदलाव की संभावना नहीं है।
मौसम विभाग ने बताया कि 1 नवम्बर को राज्य के उत्तर-पूर्वी जिलों में भारी वर्षा, उत्तर-मध्य और दक्षिण-पूर्व जिलों में मध्यम वर्षा तथा अन्य इलाकों में हल्की वर्षा की संभावना है। वहीं 2 नवम्बर को केवल कुछ स्थानों पर बहुत हल्की वर्षा हो सकती है, जिसके बाद मौसम के शुष्क बने रहने का अनुमान है।
कृषि पर संभावित प्रभाव
पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, लगातार वर्षा से खेतों में जलभराव के कारण परिपक्व धान, बाजरा और टमाटर, लौकी, करेला, नेनुआ, मिर्च, गोभी जैसी सब्जियों को नुकसान पहुंचने की संभावना है। जलभराव से धान की कटी हुई फसल के सड़ने और सब्जियों की नर्सरी में जड़ गलन की समस्या बढ़ सकती है।
किसानों के लिए सलाह
कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ. मनीष टम्टा ने किसानों से अपील की है कि परिपक्व फसलों और सब्जियों को तुरंत काटकर सुरक्षित स्थान पर रखें और नर्सरी को पुआल से ढक दें।
खेतों में अतिरिक्त पानी की निकासी की उचित व्यवस्था करें तथा साफ मौसम में मेटालैक्सिल 0.2% का छिड़काव कर जड़ गलन से बचाव करें। वहीं कटी हुई धान की फसल को सुरक्षित पक्के फर्श पर रखें और फफूंदीजनक रोगों की रोकथाम के लिए कार्बेन्डाजिम 0.2% का छिड़काव करें।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के निदेशक डॉ. अनुप दास ने सलाह दी है कि किसान वर्षा के दौरान नदियों के समीप न जाएं, अनावश्यक सिंचाई न करें और पशुधन को खुले स्थान पर न छोड़ें।

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