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    कचरा बना कमाई का जरिया... मोबाइल एप से घर-घर खरीदा जा रहा कचरा, बिहार का यह गांव बना देश की मिसाल

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 09:02 AM (IST)

    बिहार के सीवान जिले का लखवा ग्राम पंचायत देश का पहला ऐसा गांव है, जहां मोबाइल एप के माध्यम से घर-घर से कचरा खरीदा जा रहा है। 'कबाड़ मंडी' एप पर कचरे क ...और पढ़ें

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    कचरा ग्रामीणों की आमदनी का मजबूत जरिया

    डिजिटल डेस्क, पटना। जिस घरेलू कचरे को कभी बोझ समझकर फेंक दिया जाता था, वही आज ग्रामीणों की आमदनी का मजबूत जरिया बन रहा है। स्वच्छता और तकनीक के अनूठे संगम से बिहार ने देश को एक नया मॉडल दिया है। सीवान जिले के नौतन प्रखंड स्थित लखवा ग्राम पंचायत देश का पहला ऐसा गांव बन गया है, जहां घर-घर से निकलने वाले कचरे की खरीदारी मोबाइल एप के माध्यम से की जा रही है। लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान (एलएसबीए) के तहत शुरू हुई यह पहल ग्रामीण स्वच्छता, डिजिटल नवाचार और आत्मनिर्भरता का प्रभावी उदाहरण बनकर सामने आई है।

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    इस मॉडल के तहत ग्रामीण ‘कबाड़ मंडी’ नामक मोबाइल एप पर अपने घरों से निकलने वाले कचरे का विवरण दर्ज करते हैं। एप पर सूचना मिलते ही अधिकृत एजेंसी असराज स्कैप सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड तय समय पर घर पहुंचकर कचरे का वजन करती है और निर्धारित दर के अनुसार सीधे भुगतान करती है। इससे कचरा संग्रहण से लेकर भुगतान तक की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी, सरल और भरोसेमंद बन गई है।

    लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान में सूचना, शिक्षा एवं संचार के राज्य सलाहकार सुमन लाल कर्ण के अनुसार इस व्यवस्था की सबसे बड़ी खासियत यह है कि अलग-अलग प्रकार के कचरे के लिए स्पष्ट दरें तय की गई हैं।

    प्लास्टिक बोतल 15 रुपये प्रति किलोग्राम, काला प्लास्टिक दो रुपये, सफेद मिक्स प्लास्टिक पांच रुपये, बड़ा गत्ता आठ रुपये, मध्यम गत्ता छह रुपये, छोटा गत्ता चार रुपये, कागज तीन रुपये और टीन 10 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा जा रहा है।

    इससे ग्रामीणों में घरेलू स्तर पर कचरे के पृथक्करण की आदत तेजी से विकसित हुई है।

    लखवा गांव से एकत्र कचरे को सीधे प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीडब्ल्यूएमयू) और वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट (डब्ल्यूपीयू) तक पहुंचाया जाता है।

    यहां वैज्ञानिक तरीके से कचरे का प्रसंस्करण कर सिंगल यूज प्लास्टिक और अन्य अपशिष्ट से लैपटॉप बैग, बोतल बैग, कैरी बैग, लेडीज पर्स, डायरी, चाबी रिंग, अलमारी और बेंच जैसे उपयोगी व टिकाऊ उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं।

    इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं।

    ग्राम विकास एवं परिवहन मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत राज्य में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर व्यापक कार्य हुआ है।

    वर्तमान में बिहार की 7020 ग्राम पंचायतों में वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट और 171 स्थानों पर प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थापित की जा चुकी हैं। इनके माध्यम से हजारों टन सिंगल यूज प्लास्टिक का वैज्ञानिक निस्तारण किया जा रहा है।

    यह मॉडल न केवल गांवों को स्वच्छ बना रहा है, बल्कि कचरे से उत्पाद बनाकर आय और रोजगार के नए रास्ते खोल रहा है। बिहार का यह प्रयोग अब दूसरे राज्यों के लिए भी प्रेरणा बनता जा रहा है।