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    फसल कटाई का वक्‍त आते ही बिहार और यूपी के किसानों के बीच उभरा 70 साल पुराना विवाद

    By Shubh Narayan PathakEdited By:
    Updated: Tue, 15 Mar 2022 03:36 PM (IST)

    Bihar News जानिए क्‍या है बिहार और यूपी के किसानों के बीच 70 साल से चला आ रहा भूमि विवाद फसलों की कटाई के विवाद में यूपी के सीमावर्ती गांवों में तनाव बरकरार सीमा परिवर्तन अधिनियम बनाने के बाद भी किसानों की दूर नहीं हुई परेशानी

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    Bihar Land News: बिहार के बक्‍सर और यूपी के बलिया जिले के किसानों के बीच भूमि विवाद। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

    ब्रह्मपुर (बक्सर), संवाद सहयोगी। बिहार- यूपी सीमा विवाद के बहाने फसलों की कटाई को लेकर सीमावर्ती गांवों के किसानों के बीच  हिंसक टकराव की पृष्ठभूमि तैयार होने लगी है। आजादी से पहले और उसके बाद शुरू हुए सीमा विवाद में कई किसान मारे गए और हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कितने मुकदमे भी लड़े गए, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही और यूपी पुलिस के हस्तक्षेप के बाद फिर से दियारे में रबी फसलों की कटाई को लेकर तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। यूपी के बलिया जिले के बाबू बेल मोजे की 520 एकड़ जमीन पर नए सिरे से विवाद उत्पन्न हो गया है। भय और दहशत के कारण नैनीजोर के किसान अपने खेतों पर नहीं जा रहे हैं। दियारा इलाके के किसान गोलबंद होने लगे हैं। 

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    विवाद के बाद संसद में बना सीमा परिवर्तन अधिनियम

    आजादी से पहले शुरू हुए बिहार- यूपी सीमा विवाद को लेकर पहली बार भारत सरकार द्वारा 1962 में त्रिवेदी आयोग का गठन किया गया। आयोग की अनुशंसा के बाद संसद द्वारा 1968 में बिहार यूपी सीमा परिवर्तन अधिनियम बनाया गया और इसके बाद सर्वे ऑफ इंडिया ने दोनों ही राज्यों के बीच सीमांकन किया तथा कंक्रीट के स्थाई खंभे भी गाड़ दिए गए। बाद में सर्वाधिक खंबे उखाड़ भी दिए गए। ब्रह्मपुर अंचल के नैनीजोर के किसानों की  पांच हजार एकड़ जमीन गंगा के उस पार बलिया जिले की सीमा में चली गई।

    रैयती अधिकार को लेकर शुरू हुआ विवाद

    बिहार सरकार ने पांच हजार एकड़ जमीन के सारे कागजात 10 जुलाई 1970 को बलिया जिला प्रशासन को दे दिया था। पूर्व भाजपा विधायक डा. स्वामीनाथ तिवारी बताते हैं कि बलिया जिला प्रशासन ने अभिलेखों को त्रुटिपूर्ण बताकर नैनीजोर के किसानों को रैयती अधिकार नहीं दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने बिहारी किसानों को रैयती अधिकार देने का आदेश दिया। इसके बाद भी कई किसानों को बलिया जिला प्रशासन द्वारा रैयती अधिकार नहीं दिया गया। इस मामले को लेकर दोनों ही राज्यों के अधिकारियों के बीच बैठक में हुए फैसले के बाद बिहारी किसान अपने खेत की बुआई और कटाई वर्षों से करते रहे हैं। इधर कई सालों से बैठक नहीं हुई और अब यूपी पुलिस द्वारा गलत तरीके से बाबू बेल मौजे पर विवाद उत्पन्न कर दिया गया।

    पुलिस के संरक्षण में 520 एकड़ की फसल काट ली

    नैनीजोर पश्चिम दियारा के बाबू बेल मौजे की 520 एकड़ जमीन पर नए सिरे से विवाद शुरू किया गया और बलिया जिले के हल्दी थाने की पुलिस के संरक्षण में बिहारी किसानों की फसलें यूपी के किसानों से कटवाई जा रही है। पूर्व भाजपा विधायक डा. स्वामीनाथ तिवारी ने आरोप लगाया है कि बक्सर और बलिया जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना देने के बाद भी बिहारी किसानों के फसल यूपी के किसानों द्वारा काटे जा रहे हैं। नैनीजोर के किसानों को जेल भेजे जाने के कारण डर के मारे किसान अपने खेत पर नहीं जा रहे हैं। उन्होंने तत्काल प्रशासन और सरकार से इस दिशा में हस्तक्षेप करने की मांग की, ताकि सीमावर्ती क्षेत्र में हिंसक टकराव की घटना को रोका जा सके।