राष्ट्रपति चुनाव का अखाड़ा बना बिहार, पूरे देश की टिकी नजर
आगामी राष्ट्रपति चुनाव के दोनों प्रमुख प्रत्याशी बिहार से जुड़े हैं। उनके समर्थन व विरोध को लेकर यहां की राजनीति गरमा गई है। पूरे देश की इसपर नजर है।
पटना [अरविंद शर्मा]। बिहार राष्ट्रीय राजनीति का अखाड़ा बन गया है। पूरे देश की नजर टिकी है। लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की जुबानी जंग के बाद महागठबंधन के सेकेंड लाइन के नेताओं ने मोर्चा संभाल लिया। राजद के निशाने पर रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। दूसरी तरफ जदयू ने क्रॉस वोटिंग की संभावना जताकर राजद और कांग्रेस नेताओं की परेशानी और बढ़ा दी है।
जदयू नेता श्याम रजक ने रामनाथ कोविंद को अच्छा उम्मीदवार बताते हुए उम्मीद जताई है कि चुनाव में क्रॉस वोटिंग होगी और जदयू-राजग के अलावा भी उन्हें वोट मिलेंगे। राजद और जदयू की इस लड़ाई पर राजग नेता खुश हैं। वे खुलकर नीतीश का साथ दे रहे और उन्हें ललकार रहे हैं।
पूरे देश की है नजर
राष्ट्रपति पद के दो उम्मीदवार हैं और दोनों का बिहार कनेक्शन है। एक की जन्मभूमि बिहार है, दूसरे की कर्मभूमि अभी बिहार थी। दोनों को लेकर लालू प्रसाद और नीतीश कुमार राष्ट्रपति चुनाव को लेकर आमने-सामने हैं। नतीजा यह है कि राष्ट्रपति चुनाव के बहाने बिहार राष्ट्रीय राजनीति की धुरी बन गया है।
महागठबंधन के दो शीर्ष नेताओं के राजनीतिक पैंतरे से लग रहा है कि बैटल फील्ड बिहार है। वैसे तो दलित बनाम दलित की इस लड़ाई का प्रभाव पूरे देश में है, लेकिन सियासी जागरूकता, प्रतिद्वंद्विता एवं दाव-पेंच की शिल्प-शैली के कारण राष्ट्रीय स्तर पर बिहार चर्चा में है।
2019 की लड़ाई दांव पर
जदयू के इस फैसले से महागठबंधन में विकट विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो गई है। विपक्ष का 2019 का चुनावी गणित बदल गया है और सपने धराशायी दिखने लगे हैं। भाजपा के विजय रथ को सबसे पहले बिहारी फार्मूले से ही रोका गया था। नीतीश कुमार एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद की जोड़ी ने कांग्रेस को साथ लेकर भाजपा विरोध की ऐसी पटकथा लिखी कि विपक्षी राजनीति को बिहार से प्रेरणा मिलने लगी।
लालू-नीतीश के झगड़े से अब राष्ट्रीय स्तर पर बिहारी फार्मूला चल पाएगा कि नहीं इसको लेकर संशय की स्थिति बन रही। यही वजह से कि देश का भाजपा विरोधी धड़ा बिहार पर नजर गड़ाए है।
वोट के मामले में चार नंबर पर बिहार
राष्ट्रपति पद के लिए 17 जुलाई को होने वाले मतदान में वोटों की संख्या के हिसाब से बिहार देश में चौथे स्थान पर है। यूपी, महाराष्ट्र एवं पश्चिम बंगाल के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का मत मूल्य बिहार से अधिक है। यूपी की तुलना में बिहार का मत मूल्य लगभग आधा है। फिर भी यहां का चुनावी माहौल सबसे अधिक गर्म है।
कोविंद के पक्ष में क्रॉस वोटिंग होगी
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पक्ष-विपक्ष के बीच जारी है बयानबाजी: डालते हैं एक नजर
''रामनाथ कोविंद की जीत पक्की है। उन्हें अन्य पार्टियों का भी समर्थन मिलेगा। राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग की परंपरा रही है। जदयू अपने स्टैंड पर मजबूती से कायम है। हम राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद का आदर करते हैं, लेकिन बाबा टाइप नेता कुछ भी बोलते रहें, यह कतई बर्दाश्त नहीं होगा।''
- श्याम रजक, जदयू के वरिष्ठ नेता
''यह समय बताएगा कि रामनाथ कोविंद का समर्थन कर नीतीश ऐतिहासिक भूल कर रहे या उनका विरोध कर रहे लालू प्रसाद। इतना ही दम है तो लालू प्रसाद गठबंधन तोड़कर अपने बूते चुनाव मैदान में क्यों नहीं आ जाते?''
- रामविलास पासवान, केंद्रीय मंत्री
''ऐसा कोई सगा नहीं, नीतीश ने जिसे ठगा नहीं। लगता राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से इनकी डील पक्की हो चुकी है। हम विचारधारा के लिए लड़ रहे।''
- भाई वीरेंद्र, राजद विधायक
''हार देख कर बौखलाये राजद नेता मुख्यमंत्री के लिए धोखेबाज-पलटीमार जैसे ओछे शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं। अब जद-यू को तय करना है कि वह अपमान का घूंट पीकर कब तक सत्ता में बने रहना चाहता है।''
- सुशील कुमार मोदी, पूर्व उप मुख्यमंत्री
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राष्ट्रपति चुनाव में बिहार के वोट कम, फिर भी दम
प्रदेश : लोस : रास : विस : कुल मतमूल्य
यूपी : 80 : 31 : 403 : 162,412
महाराष्ट्र : 48 : 19 : 288 : 97,836
प. बंगाल : 42 : 16 : 294 : 85,458
बिहार : 40 : 16 : 243 : 81,684