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    राज्य की सभी भाषायी अकादमियों का होगा पुनर्गठन, उच्च शिक्षा विभाग ने शुरू की प्रक्रिया

    Updated: Wed, 24 Dec 2025 12:50 PM (IST)

    बिहार में उच्च शिक्षा विभाग ने राज्य संचालित भाषायी अकादमियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। भाषायी अकादमियां उच्च शिक्षा निदेशालय के अधीन है ...और पढ़ें

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    दीनानाथ साहनी, पटना। उच्च शिक्षा विभाग ने राज्य में संचालित भाषायी अकादमियों का पुनर्गठन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। नवगठित उच्च शिक्षा विभाग को सभी भाषायी अकादमियों के पुनर्गठन का निर्देश दिया गया है। अजय यादव के स्थानातंरण के बाद उच्च शिक्षा विभाग में नए सचिव की तैनाती की गई है। भाषायी अकादमियां उच्च शिक्षा निदेशालय के अधीन हैं।

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    इनमें मैथिली अकादमी, मगही अकादमी, भोजपुरी अकादमी, बंगला अकादमी एवं अंगिका अकादमी सम्मिलित हैं। दक्षिण भारतीय भाषा संस्थान नामक एक भाषायी अकादमी और थी, जिसे बंद कर उसके कर्मचारियों को मैथिली एवं मगही अकादमी में खाली पदों पर समायोजित किया जा चुका है।


    राज्य में बिहार हिंदी ग्रंथ अकादमी और मैथिली अकादमी समेत अन्य भाषायी अकादमियाें में तालाबंदी की नौबत आ चुकी है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की पांच सौ से ज्यादा अकादमिक एवं विश्वविद्यालय स्तरीय पुस्तकें प्रकाशित कर चुकी बिहार हिंदी ग्रंथ अकादमी और मैथिली अकादमी में ग्रंथों का प्रकाशन बंद है। यही हालात मगही अकादमी, भोजपुरी अकादमी, बांग्ला अकादमी एवं अंगिका अकादमी की है, जहां पत्र-पत्रिकाओं और पुस्तकों का


    प्रकाशन बंद है। मैथिली अकादमी में विगत जुलाई से ही ताला बंद है, क्योंकि इसके कर्मचारियों को शिक्षा विभाग के दूसरे कार्यालयों में प्रतिनियोजित कर दिया गया है। मैथिली अकादमी की यह स्थिति तब है, जब मैथिली भाषा संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल है। अकादमियों की यह हालत के लिए संबंधित महकमे के वो तमाम अधिकारी जिम्मेदार हैं


    जिन्होंने समय रहते भाषायी अकादमियों के प्रति अपनी जवाबदेही नहीं निभाई। अकादमियों में पदाधिकारी और कर्मचारी सेवानिवृत्त होते गए और उनके स्थान पर नई नियुक्तियां करने में अफसरों ने रुचि नहीं दिखाई।

    उलटे, बचे कर्मियों को अकादमियों से हटाकर सचिवालय में प्रतिनियुक्ति की दी गई। मगही अकादमी में केवल एक आदेशपाल, भोजपुरी अकादमी में मात्र दो आदेशपाल, बंगला अकादमी में सिर्फ एक लिपिक एवं अंगिका अकादमी में केवल एक आदेशपाल बचे हैं। संस्कृत अकादमी में दो आदेशपाल एवं एक आशु टंकक हैं। इनमें आशु टंकक की प्रतिनियुक्ति सचिवालय में है।

    पांचवें वेतनमान में कार्य कर रहे कर्मचारी

    खास बात यह है कि भाषायी अकादमियों के तमाम कर्मचारी अब तक पांचवें वेतनमान में ही कार्यरत हैं, जबकि राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए सातवां वेतनमान लागू है।

    उच्च शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पुनर्गठन के अभाव में सभी भाषायी अकादमियों के अध्यक्ष एवं सचिव के पद कार्यसमिति और सामान्य परिषद भी अस्तित्व में अतिरिक्त प्रभार में हैं। वर्ष 2023 में भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी केके पाठक ने जब अपर मुख्य सचिव के रूप में शिक्षा विभाग की कमान संभाली थ्सी तब उनका ध्यान भाषायी अकादमियों की ओर गया था।

    उन्होंने सभी भाषायी अकादमियों के एकीकरण की योजना बनायी थी। लेकिन, इसके मूर्तरूप लेने के पहले ही उनका स्थानातंरण हो गया। वर्ष 2010 के पहले सभी भाषायी अकादमियां किराये के अलग-अलग भवन में, संचालित थीं। वर्ष 2009 में जब भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी केके पाठक ने शिक्षा सचिव की कुर्सी संभाली, तो सभी भाषायी अकादमियां शास्त्रीनगर के एक सरकारी भवन में आ गईं।

    लेकिन, वर्ष 2023 में जब उन्होंने अपर मुख्य सचिव के रूप में शिक्षा विभाग की कुर्सी संभाली, तो एक बार फिर सभी भाषायी अकादमियां बिहार राष्ट्रभाषा परिषद में शिफ्ट हो गईं। वहां अकादमियों के लिए जगह काफी कम पड़ गयी।
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    भाषाई अकादमियों को एक छत के नीचे लाने की योजना
    सरकार ने सभी भाषाई अकादमियों को एक छत के नीचे लाने की योजना बना रखी है जिसके एक निदेशक होंगे और भाषायी अकादमियों का अलग-अलग संकाय बनाए जाएंगे। इस पर भी उच्च शिक्षा विभाग काम कर रहा है।