HIV पीड़ितों के लिए अच्छी खबर; इलाज अब पास ही होगा, एचआईवी मरीजों के लिए पांच नए एआरटी सेंटर की सौगात
बिहार सरकार एचआईवी संक्रमित लोगों के लिए पांच नए एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) सेंटर खोलेगी। इससे इलाज, जांच और सलाह एक ही जगह मिलेगी। वर्तमान में ब ...और पढ़ें

एचआईवी मरीजों के लिए पांच नए एआरटी सेंटर की सौगात
डिजिटल डेस्क, पटना। एचआईवी से संक्रमित लोगों के लिए बीमारी से बड़ी चुनौती अब तक इलाज तक नियमित पहुंच रही है। हर महीने दवा के लिए दूसरे जिले की यात्रा, लंबी कतारें और काम-धंधे से छुट्टी, इन सबने मरीजों की जिंदगी को और कठिन बना दिया था। अब बिहार सरकार की नई पहल से इस परेशानी को काफी हद तक दूर करने की तैयारी है। राज्य में वर्ष के अंत तक एचआईवी मरीजों के लिए पांच नए एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) सेंटर खोले जाएंगे, जिससे इलाज, जांच और सलाह एक ही जगह उपलब्ध होगी।
फिलहाल बिहार के 26 जिलों में 29 एआरटी सेंटर संचालित हैं, लेकिन इसके बावजूद कई जिलों के मरीजों को दवा लेने के लिए दूसरे जिलों पर निर्भर रहना पड़ता है। इसे गंभीरता से लेते हुए बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति ने राज्य में एआरटी नेटवर्क को और मजबूत करने का निर्णय लिया है। नए सेंटर शुरू होने के बाद बिहार में एआरटी सेंटर की कुल संख्या बढ़कर 34 हो जाएगी, जिससे इलाज की पहुंच पहले से कहीं ज्यादा आसान हो जाएगी।
2021 के बाद से बदली तस्वीर
वर्ष 2021 के बाद से राज्य में एचआईवी इलाज की सुविधाओं में लगातार विस्तार हुआ है। बीते कुछ वर्षों में 15 नए एआरटी सेंटर खोले गए हैं। इसका सीधा लाभ यह हुआ कि बड़ी संख्या में मरीजों को अपने जिले या आसपास के इलाके में ही दवा और परामर्श मिलने लगा। जिन जिलों में अभी पूर्ण एआरटी सेंटर नहीं हैं, वहां लिंक एआरटी सेंटर के माध्यम से इलाज की सुविधा दी जा रही है, ताकि कोई भी मरीज इलाज से वंचित न रहे।
इन जगहों पर खुलेंगे नए सेंटर
संक्रमण की स्थिति और मरीजों की संख्या को ध्यान में रखते हुए नए एआरटी सेंटर राज्य के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में खोले जाएंगे। इनमें एम्स पटना, आईजीआईएमएस, एनएमसीएच, ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज बिहटा और किशनगंज स्थित माता गुजरी मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। इन केंद्रों के शुरू होने से न सिर्फ पटना, बल्कि सीमावर्ती और दूरदराज के जिलों के मरीजों को भी बड़ी राहत मिलेगी।
सिर्फ दवा नहीं, समग्र देखभाल
एआरटी सेंटर केवल दवा वितरण तक सीमित नहीं हैं। यहां नियमित रक्त जांच, चिकित्सकीय परामर्श, मानसिक सहयोग और टीबी समेत अन्य अवसरवादी संक्रमणों का इलाज भी किया जाता है। एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की विशेष निगरानी कर संक्रमण को अगली पीढ़ी तक पहुंचने से रोकने पर भी जोर दिया जाता है।
बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के उप निदेशक डॉ. राजेश सिन्हा के अनुसार, सरकार का लक्ष्य साफ है, इलाज हर मरीज की पहुंच में हो। नए एआरटी सेंटर खुलने से एचआईवी से जूझ रहे लोगों का सफर आसान होगा और वे अधिक भरोसे के साथ सामान्य जीवन की ओर लौट सकेंगे।

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