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    फल-सब्‍जि‍यों की म‍िलेगी उच‍ित कीमत; राज्‍य के चार एयरपोर्ट के पास बनेगा पैक हाउस, इन ज‍िलों के ल‍िए भी योजना

    By Raman Shukla Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Sun, 21 Dec 2025 09:15 PM (IST)

    बिहार में फल और सब्जियों के उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने एक नई योजना शुरू की है। इस योजना के तहत, राज्य के चार एयरपोर्ट के पास पैक ...और पढ़ें

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    पटना समेत चार एयरपोर्ट के पास बनेगा पैक हाउस। सांकेत‍िक तस्‍वीर

    राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar News: किसानों के फसल विशेषकर फल एवं सब्जियों की समुचित कीमत दिलाने की पहल कृषि विभाग ने तेज कर दी है। पहले चरण में निर्यात के लिए राज्य के चार हवाई अड्डों के पास पैक हाउस बनाए जाएंगे।

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    इसके पीछे लक्ष्य राज्य की ताजी सब्जियों एवं फलों को दूसरे प्रदेशों एवं देशों में भेजने में सुविधा होगी। एयर कार्गो के माध्मम तत्काल पटना, बोधगया, दरभंगा एवं पूर्णिया में बड़े पैक हाउस का निर्माण कराया जा रहा है। आगे बिहार में बनने वाले नौ नए एयरपोर्ट के माध्यम कृषि उत्पादों के लिए नया बाजार दिलाने की पहल होगी।

    नए हवाई अड्डे होंगे विकसित 

    केंद्र सरकार के सहयोग से नौ हवाई अड्डे विकसित प्रक्रिया अंतिम चरण में है। बिहार में आरा, बेगूसराय, बेतिया, भभुआ (कैमूर), भागलपुर, बिहार शरीफ, बिहटा, बीरपुर, बक्सर, छपरा, डेहरी आन-सोन (रोहतास), फारबिसगंज, हथुआ (गोपालगंज), जहानाबाद, जोगबनी, कटिहार, किशनगंज, मधुबनी, मोतिहारी, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, रक्सौल, सहरसा एवं वाल्मीकि नगर नगर हवाईपट्टी/हवाईअड्डे उड़ान योजना के तहत चयनित है।

    पैक हाउस के क्‍या हैं लाभ 

    एयरपोर्ट के पास स्थित पैक हाउस में ताजी फल एवं सब्जियों के साथ बेबी काॅर्न, मखाना एवं अन्य उद्यानिक फसलों की पैकिंग होगी। हवाई अड्डों के पास पैक हाउस को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार छंटाई, ग्रेडिंग,प्रसंस्करण एवं पैकिंग की सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

    इससे किसानों एवं उत्पादकों को अपनी फसलों को सीधे एयर कार्गों के माध्यम से भेजने में की सुविधा उपलब्ध होगी। कृषि विभाग के अनुसार राज्य में प्रति वर्ष बड़ी मात्रा में सब्जियों एवं मौसमी फलों का उत्पादन होता है, लेकिन पैकिंग के अभाव में इनका समुचित मूल्य नहीं मिल पाता।

    हवाई अड्डों के पास पैक हाउस बनने से उत्पादों को कम समय में दूसरे राज्यों में विदेशी बाजारों में पहुंचाना संभव होगा। इससे न केवल उत्पादकों को आमदनी बढ़ेगी, बल्कि उद्यानिकी फसलों के लिए नए बाजार भी खुलेंगे।