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    Bihar Election 2025: सड़क पर SIR को लेकर सक्रियता दिखाने वाले दावे-आपत्तियों से काट रहे कन्नी

    बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में दावे-आपत्तियों को लेकर राजनीतिक दल उदासीन हैं। 27 दिन बीतने के बावजूद सिर्फ भाकपा माले ने 53 दावे-आपत्तियां दीं। सुप्रीम कोर्ट के नोटिस और पक्षकार बनाने के बावजूद 11 दल निष्क्रिय हैं। घोषणा पत्र और बीएनएस 2023 के तहत सजा के डर से दल सतर्क हैं जिससे सुधार प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।

    By Raman Shukla Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 27 Aug 2025 08:08 PM (IST)
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    सड़क पर एसआईआर को लेकर सक्रियता दिखाने वाले दावे-आपत्तियों से काट रहे कन्नी

    रमण शुक्ला, पटना। विधानसभा चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग द्वारा कराए गए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दावे-आपत्तियों को लेकर बीएलए-2 (बूथ लेवल एजेंट) कन्नी काट रहे हैं। एसआईआर को लेकर दावे-आपत्तियों के लिए 27 दिन बीतने को लेकिन मात्र 53 दावे-आपत्तियां सिर्फ एक दल ने दी हैं। वह भी तब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर के विरुद्ध सुनवाई के दौरान राजनीतिक दलों की कार्यप्रणाली प्रश्न खड़े किए।

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    साथ ही बिहार के सभी 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को मामले में पक्षकार भी बना दिया था। यही नहीं, बिहार के सभी मान्यता प्राप्त दलों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया था।

    इसके बावजूद स्थिति यह है कि सड़क पर एवं सार्वजिनक मंच से एसआईआर की विसंगतियां गिनाने वाले राजनीतिक दल लोगों की समस्या को लेकर गंभीर नहीं हैं। उधर, घोषणा पत्र के साथ दावे-आपत्तियों से बचने के पीछे दलों के नेता एवं वकील सख्त दंडात्मक प्रविधान एवं कार्रवाई का डर बता रहे हैं।

    घोषणा पत्र का डर

    निर्वाचन आयोग ने किसी भी तरह की गड़बड़ियों या द्वेष की आशंका को देखते हुए दलों के बीएलए-2 के लिए प्रतिदिन घोषणा पत्र के साथ 30 फार्म जमा करने का प्राविधान कर रखा है। घोषणा में बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) 2023 के तहत दंड एवं सजा निर्धारित है।

    यही कारण है कि झूठा/गलत घोषणा पत्र देने की स्थिति में बीएनएस तहत कार्रवाई के डर से बीएलओ (बूथ लेवर आफिसर) के माध्यम से ही ज्यादा से ज्यादा गड़बड़ियों में सुधार कराने का प्रयास बीएलए कर रहे हैं।

    उल्लेखनीय है कि लोक सेवक को झूठी जानकारी/घोषणा देना धारा 183 में छह माह तक की कैद या जुर्माना या दोनों की कार्रवाई हो सकती है। यही नहीं,झूठा साक्ष्य या हलफनामा देना धारा 227 में सात वर्ष तक की कैद एवं जुर्माना दोनों भुगतना होगा। इसके अतिरिक्त धारा 229 में तीन वर्ष तक की कैद एवं जुर्माना की कार्रवाई हो सकती है।

    इसके लिए आयोग की ओर से जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) या रिटर्निंग आफिसर (आरओ) एफआइआर दर्ज कराकर मामला न्यायालय भेज सकते हैं।

    11 दलों ने नहीं दिया घोषणा पत्र के साथ दावे-आपत्तियां

    आयोग को अभी तक छह राष्ट्रीय एवं छह राज्यस्तरीय पार्टियाें में 11 ने घोषणा पत्र एक भी दावे-आपत्तियां नहीं दी है। सिर्फ भाकपा माले ने 27 अगस्त तक 53 दो दावे-आपत्तियां दी है। इसके अतिरिक्त कोर्ट गए महागठबंधन के अन्य दलों ने पिछले 27 दिनाें में एक भी दावे-आपत्तियां नहीं दी है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि दावे-आपत्तियों को लेकर कोर्ट गए दल कितना गंभीर हैं।

    बिहार में मान्यता प्राप्त 12 दलों के नाम

    निर्वाचन आयोग के रिपोर्ट के अनुसार बिहार में मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों में आम आदमी पार्टी, बसपा, भाजपा, सीपीआइ (एम), कांग्रेस एवं नेशनल पीपुल्स पार्टी सम्मिलित है। जबकि राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त पार्टियों में सीपीआइ (एमएल), जदयू, लोजपा (आर), राजद, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी एवं रालोसपा के नाम सम्मिलित है।

    उल्लेखनीय है कि राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के दल एसआईआर के पक्ष में हैं, जबकि कुछ दलों ने अभी तक अपनी स्थिति स्पष्ट की है। बिहार में एसआईआर पर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं करने वाले दलों में आम आदमी पार्टी, बसपा, नेशनल पीपुल्स पार्टी और रालोसपा का नाम सम्मिलित है।