Bihar Special Status: क्या है विशेष राज्य का दर्जा और बिहार कब से कर रहा इसकी मांग? यहां पढ़ें सबकुछ
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा। केंद्र सरकार ने लोकसभा में इस मामले को लेकर स्पष्ट कर दिया है। काफी समय से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठ रही थी। राजद से लेकर जदयू और लोजपा तक इस मुद्दे को लेकर अपनी आवाज बुलंद कर चुकी है। चुनाव से पहले हमेशा यह मुद्दा जोर पकड़ता है लेकिन फिर ठंडा पड़ जाता है।
डिजिटल डेस्क, पटना। Bihar Special Status केंद्र सरकार ने नीतीश सरकार (Nitish Kumar) की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है। पिछले कई सालों से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठ रही थी। राजद से लेकर जदयू और लोजपा तक ने इस मुद्दे को लेकर अपनी आवाज बुलंद की, लेकिन केंद्र सरकार के आगे मायूस होना पड़ा।
दरअसल, जदयू नेता रामप्रीत मंडल ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने को लेकर भारत सरकार के वित्त मंत्रालय को एक पत्र लिखा था।
इसके जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया सकता है। वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि बिहार उस कैटेगरी में नहीं आता है, जिसके तहत राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिलता है।
कैसे मिलता है विशेष राज्य का दर्जा?
- विशेष राज्य का दर्जा उन राज्यों को दिया जाता है, जो आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक आधार पर पिछड़े होते हैं। वैसे तो संविधान में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन 1969 में पांचवें वित्त आयोग की सलाह पर पहली बार विशेष राज्य का दर्जा देने का प्रावधान किया गया।
- वित्त मंत्रालय द्वारा जारी की गई चिट्ठी के अनुसार, पहाड़ी और कठिन भूभाग वाले राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है।
- इसके अलावा, विशेष राज्य के कैटेगरी में वो इलाके आते हैं, जहां कम जनसंख्या घनत्व या आदिवासी आबादी का बड़ा हिस्सा होता है।
- पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर रणनीतिक स्थान हों, उन राज्यों को स्पेशल स्टेटस दिए जाने पर विचार किया जाता है।
- वहीं, आर्थिक और बुनियादी ढांचे का पिछड़ापन और राज्य के वित्त की गैर-व्यवहार्य प्रकृति शामिल हैं, ऐसे राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिलता है।
क्या मिलती हैं सुविधाएं
- जिन राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिलता है, उन्हें केंद्र सरकार जो पैसे देती है। उनमें 90 प्रतिशत अनुदान होता है और 10 प्रतिशत रुपये बिना ब्याज वाले कर्ज होते हैं।
- विशेष राज्यों को इनकम टैक्स, जीएसटी, एक्साइज, कस्टम और कॉरपोरेट में भी काफी छूट मिलती है।
- इसके अलावा, अगर विशेष राज्य पैसों को खर्च नहीं करते हैं तो ऐसी स्थिति में बचा हुआ रकमअगले वित्त वर्ष के लिए जारी हो जाता है।
बिहार कब से कर रहा स्पेशल स्टेटस की मांग?
- बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग साल 2005 से ही उठ रही है। सीएम नीतीश कुमार ने 2005 में मुख्यमंत्री बनते ही केंद्र सरकार से यह मांग की थी।
- उनका कहना है कि जब तक बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलता है, तब तक राज्य को अतिरिक्त फंड दिया जाए।
- सभी राजनीतिक दलों ने इसको लेकर अपनी आवाज बुलंद की है। बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने भी रविवार को इसपर बयान दिया। उन्होंने कहा कि बजट सत्र के दौरान बिहार के एनडीए नेताओं को विशेष राज्य के दर्जे की मांग करनी चाहिए।
- राजद भी काफी समय से बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहा है। तेजस्वी यादव से लेकर रोहिणी आचार्य तक ने इसको लेकर भाजपा पर हमला बोला।
- हाल ही में रोहिणी आचार्य ने कहा कि बिहार की लगभग एक-तिहाई आबादी गरीबी में जी रही है, ऐसे में विशेष -राज्य का दर्जा बिहार की तत्काल जरूरत है।
- इसके अलावा, लोजपा (रामविलास) प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी कहा कि ये दबाव की राजनीति नहीं है बल्कि हमारी मांग रही है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। बिहार में कौन सा ऐसा दल है जो विशेष राज्य के दर्जे की बात नहीं करता है और सहमति न देता हो, वे खुद इसके पक्षधर हैं।
यह भी पढ़ें-
Bihar Special Status: बिहार को नहीं मिलेगा विशेष राज्य का दर्जा, केंद्रीय मंत्री ने लिखित में दिया जवाब
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।