निजी सिक्योरिटी एजेंसियों को गृह विभाग का आदेश, कहा— ‘डिटेक्टिव’ या ‘इंटेलिजेंस’ जैसे शब्द नाम से हटाओ
बिहार गृह विभाग ने निजी सुरक्षा एजेंसियों के नामकरण को लेकर सख़्त आदेश जारी किया है। अब एजेंसियों के नाम में 'डिटेक्टिव', 'इंटेलिजेंस' जैसे शब्द नहीं ह ...और पढ़ें

कदम का उद्देश्य सुरक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता लाना
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar गृह विभाग ने निजी सुरक्षा एजेंसियों के नामकरण को लेकर एक सख्त नया फरमान जारी किया है। अब 'डिटेक्टिव', 'इंटेलिजेंस', 'खुफिया', 'इंवेस्टिगेशन', 'सर्विलांस', 'फैसिलिटी' या 'सप्लायर' जैसे शब्द किसी भी निजी सिक्योरिटी एजेंसी के नाम में शामिल नहीं किए जा सकेंगे। अगर किसी एजेंसी ने पहले से ऐसा नाम रखा हुआ है, तो उसका लाइसेंस जारी नहीं होगा या नवीनीकरण नहीं किया जाएगा।
गृह विभाग का कहना है कि इन शब्दों के प्रयोग से आम नागरिकों में भ्रम की स्थिति पैदा होती थी। अक्सर निजी एजेंसियाँ खुद को मीडिया-माने 'जासूसी', 'निगरानी' या कानूनी शक्तियों से लैस खुफिया संस्थाओं के रूप में पेश कर देती थीं, जबकि उनके पास केवल निजी सुरक्षा गार्ड मुहैया कराने का अधिकार (लाइसेंस) था।
नए निर्देश के अनुसार, यदि कोई एजेंसी इस नियम का उल्लंघन करती पाई जाती है, तो उस पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। पुराने लाइसेंसधारकों के लिए भी नाम बदलना अनिवार्य होगा। ऐसा न होने पर उन्हें लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान है।
इस कदम के पीछे मुख्य मकसद है सुरक्षा-सुप्लाई क्षेत्र में पारदर्शिता लाना और आम जनता की सुरक्षा तथा निजता की रक्षा करना।
विभाग का कहना है कि केवल प्रशिक्षित सुरक्षा गार्ड तैनात करने वाली एजेंसियों को ही लाइसेंस मिलना चाहिए, न कि वे जो अपना नाम बड़े-बड़े खुफिया या जासूसी शब्दों से सुसज्जित कर तमाम कानूनी दायित्वों का भ्रम फैला रही हों।
बिहार ने इस साल अपनी नई नियमावली 2025 लागू की है, जिसमें प्राइवेट सिक्योरिटी सेवाओं के लिए कई कड़े प्रावधान रखे गए हैं।
शारीरिक मापदंड, प्रशिक्षुता, नियमित स्वास्थ्य जांच आदि की शर्तों के साथ यह स्पष्ट कर दिया गया है कि निजी सुरक्षा गार्ड ही एजेंसियों द्वारा मुहैया कराया जा सकता है, न कि खुद को खुफिया एजेंसी बताने वाली संस्था।
विश्लेषकों का कहना है कि इस नए निर्देश से कानूनी दायित्वों और वास्तविक सुरक्षा के बीच की अव्यवस्था समाप्त होगी। साथ ही इससे यह सुनिश्चित होगा कि निजी सुरक्षा सेवाओं का दायरा स्पष्ट रहे, और लोग एजेंसियों के दायरे को समझ सकें, न कि किसी भ्रमित या भ्रामक संजयोजन का शिकार हों।
बिहार गृह विभाग ने कहा है कि नामों में इस बदलाव की समयसीमा जल्द जारी की जाएगी और सभी एजेंसियों को निर्देश दिया गया है कि वे जल्दी से जल्दी अपने नाम बदलकर नए दिशा-निर्देशों के अनुरूप करें।
अस्वीकृति की स्थिति में लाइसेंस नवीनीकरण या जारी नहीं किया जाएगा।
इस निर्णय के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि निजी सुरक्षा सेवाएं, चाहे वह गार्डिंग हो, संस्थागत सुरक्षा हो या अन्य, अब सिर्फ 'सिक्योरिटी एजेंसी / सिक्योरिटी सर्विस' नाम से ही संचालित होंगी। कोई 'डिटेक्टिव' या 'इंटेलिजेंस' एजेंसी नाम से नहीं चल सकेगी।

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