Bihar School News: ऑटो और ई-रिक्शा ड्राइवर को राहत, शर्त के साथ 1 हफ्ते बच्चों को ले जा सकेंगे स्कूल
तिपहिया वाहनों जैसे आटो और ई-रिक्शा पर स्कूली बच्चों को ले जाने पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि अब सरकार ने इसमें राहत देते हुए कहा कि अभिभावक अपने बच्चों को साथ लेकर आटो से स्कूल जा सकते हैं। इस नियम को लागू करने का निर्णय तीन बड़े हादसों के बाद लिया गया जिसमें 7 स्कूली बच्चों की मौत हो गई थी।
जागरण संवाददाता, पटना। तिपहिया यथा आटो, ई-रिक्शा आदि पर स्कूली बच्चों का परिवहन मोटर वाहन अधिनियम के तहत गैरकानूनी है। हालांकि, अभिभावक अपने बच्चे को साथ लेकर आटो से स्कूल जा सकते हैं।बैठने की क्षमता से अधिक सवारी ढोने के कारण राज्य में लगातार तीन वर्षों में तीन बड़े हादसों में सात स्कूली बच्चों की मौत और आधा दर्जन से अधिक के गंभीर रूप से जख्मी होने के बाद इस कानून को प्रभावी बनाने का निर्णय लिया गया। इसे एक अप्रैल से लागू करना था।
हालांकि, अब भी अभिभावक और तिपहिया वाहन चालक इस नियम के प्रति जागरूक नहीं हैं। जागरूकता में कमी के कारण कार्रवाई करने से पूर्व यातायात पुलिस अधीक्षक अपराजित लोहान ने मंगलवार को आटो एवं ई-रिक्शा के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की।
इस दौरान उन्होंने चालकों एवं वाहन मालिकों को एक हफ्ते के भीतर स्कूली बच्चों को लाने और लेकर जाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने की चेतावनी दी। मोहलत की मियाद समाप्त होने के बाद एमवीआइ एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। जुर्माना वसूलने के साथ वाहन भी जब्त किया जा सकता है।
चालकों ने बताईं मजबूरियां
सूत्रों के मुताबिक, आटो चालकों ने कई तरह की मजबूरियां बताईं। उन्होंने अधिकारियों को बताया कि लगभग तमाम रूटों में पर्याप्त संख्या से अधिक ई-रिक्शा और आटो हैं। सवारी नहीं मिलने के कारण वाहन की मासिक किस्त भरनी भी मुश्किल हो जाती है।
स्कूली बच्चों के परिवहन से उन्हें हर महीने तय आमदनी होती है, जिससे किस्त जमा होने के साथ मरम्मत का खर्च भी निकल जाता है। बाकी समय में वे सवारियों का परिवहन कर जीविकोपार्जन कर लेते हैं। कुछ चालकों ने कहा कि उन्होंने अभिभावकों से अग्रिम राशि ले रखी है। वे रुपये खर्च कर चुके हैं।
अब बच्चों को नहीं लेकर जाएंगे तो अभिभावक रुपये वापस मांगेंगे, जिसे लौटाने में वे असमर्थ हैं। उनका पक्ष सुनने के बाद व्यावहारिक रूप से एक हफ्ते की मोहलत दी, ताकि वे अपनी समस्याओं को दूर कर लें।
सुरक्षा मानकों का उल्लंघन है तिपहिया से बच्चों का परिवहन
स्कूली बच्चों के परिवहन को लेकर मोटर वाहन अधिनियम में विशेष प्रविधान हैं। इसमें तिपहिया पर बच्चों के परिवहन की अनुमति ही नहीं है। चार पहिया और बसों में भी बच्चों के परिवहन और क्षमता को लेकर कड़े कानून बनाए गए हैं। सूत्र बताते हैं कि एक सप्ताह के बाद स्कूली वैन और बसों की भी जांच की जाएगी। सुरक्षा में कमी पर ट्रांसपोर्टर को जवाबदेह बताने वाले स्कूल प्रबंधनों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
तिपहिया वाहनों पर स्कूली बच्चों के परिवहन पर रोक लगाने की दिशा में आटो और ई-रिक्शा के संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की गई। उन्हें एक सप्ताह की मोहलत दी गई है कि वे आदत में सुधार लाएं। चालकों में जागरूकता लाने के लिए उन्हें चेतावनी भी दी गई है। इसके बाद विधि-सम्मत कार्रवाई की जाएगी। अपराजित लोहान, ट्रैफिक एसपी।
सहज नहीं नई व्यवस्था को स्वीकार करना
राजधानी पटना में बड़ी संख्या ऐसे अभिभावकों की है जो अपने बच्चों को तिपहिया से स्कूल भेजते हैं। उन्हें यह साधन त्वरित और ज्यादा विश्वसनीय लगता है। उनके लिए नई व्यवस्था को स्वीकार करना सहज नहीं हो रहा। एक तो आटो बच्चों को ले जाने और छोड़ने के लिए घरों तक आते हैं वहीं बसों पर बच्चों को बिठाने के लिए स्टाप तक आना पड़ता है। रोक लगने के पहले दिन तमाम अभिभावक संशय में थे।
उन्हें यह नहीं पता था कि रोक केवल समूह में बच्चों को आटो से ले जाने और लाने पर है। बच्चे माता-पिता के साथ आटो का इस्तेमाल कर सकते है। आटो चालक लोगों के घर तक तो पहुंचे पर उन्होंने डर की वजह से बच्चों को ले जाने से इंकार कर दिया।
ऐसे में अभिभावकों के सामने बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए निजी वाहनों के अलावा कोई विकल्प नहीं था। वे दोपहिया और कार से बच्चों को लेकर स्कूल पहुंचे। परेशान अभिभावकों ने बताया कि एक चली आ रही व्यवस्था के समाप्त होने से परेशानी तो होती है पर बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से सरकार का यह कदम उचित है।
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