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    Bihar River Pollution: बिहार में नदियों के प्रदूषण पर एनजीटी सख्त, राज्य सरकार को जिलेवार रिपोर्ट दायर करने के दिए निर्देश

    Updated: Sat, 24 Feb 2024 09:01 PM (IST)

    बिहार में गंगा समेत अन्य नदियों के प्रदूषण से जुड़ी पूरी रिपोर्ट न मिलने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने आपत्ति जताई है। ऐसा न करने पर मुख्य सचिव को तलब किया जाएगा। एमसी मेहता बनाम केंद्र सरकार एवं अन्य से जुड़े मामले पर एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव न्यायिक सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉ ए सेंथिल वेल की बेंच ने यह आदेश दिया।

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    Bihar River Pollution: बिहार में नदियों के प्रदूषण पर एनजीटी सख्त, राज्य सरकार को जिलेवार रिपोर्ट दायर करने के निर्देश

    राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में गंगा समेत अन्य नदियों के प्रदूषण से जुड़ी पूरी रिपोर्ट न मिलने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने आपत्ति जताई है। एनजीटी ने राज्य सरकार को नदियों के प्रदूषण की जिलेवार रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया है। ऐसा न करने पर मुख्य सचिव को तलब किया जाएगा।

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    एमसी मेहता बनाम केंद्र सरकार एवं अन्य से जुड़े मामले पर एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉ ए सेंथिल वेल की बेंच ने यह आदेश दिया।

    ट्रिब्यूनल ने बिहार राज्य की ओर से 17 फरवरी को दाखिल रिपोर्ट में पाया कि कुल 38 जिलों में से केवल 20 जिलों द्वारा ही रिपोर्ट दायर की गई है, जबकि 18 जिलों से जानकारी अभी भी लंबित है।

    उक्त रिपोर्ट के अवलोकन से पता चला कि 20 जिलों द्वारा अधूरी जानकारी ही प्रस्तुत की गई है। तीन जिलों दरभंगा, बक्सर और कटिहार ने संबंधित रिपोर्ट तो दी लेकिन इसमें वह तथ्य नहीं हैं, जो ट्रिब्यूनल द्वारा मांगे गए हैं।

    छह सप्ताह के अंदर डीएम देंगे रिपोर्ट

    ट्रिब्यूनल ने कहा कि नदियों के प्रदूषण से जुड़ी रिपोर्ट क्रमानुसार जिलावार दाखिल करने की आवश्यकता थी। बिहार राज्य की ओर से उपस्थित वकील का कहना था कि जिलाधिकारियों को पूरी जानकारी देने को कहा गया है, छह सप्ताह के भीतर सभी जिलाधिकारियों से रिपोर्ट प्राप्त हो जाएगी। इसके बाद इन रिपोर्ट को सारणीबद्ध जानकारी के साथ ट्रिब्यूनल के समक्ष रखा जाएगा।

    गंगा नदी के बीच में बन रहे एसटीपी का भी मुद्दा उठा

    ट्रिब्यूनल के समक्ष प्रदूषण से पटना में गंगा नदी के बदलते रंग, नदी की गोद में बनाई जा रही एसटीपी आदि का भी मुद्दा उठा। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बूढ़ी गंडक नदी की दयनीय स्थिति, नदी के घाटों पर कचरे की स्थिति, खुले नाले, कचरा और गंदगी को दर्शाने वाली कुछ तस्वीरें ट्रिब्यूनल के समक्ष प्रस्तुत की।

    इसमें दिखाया गया कि किस तरह गंदा पानी सीधे नदी में गिराए जाने से नदियों का रंग बदल गया है। आवेदक ने पटना में जेपी सेतु के पास नदी के बीच में बनाए जा रहे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की भी जानकारी दी।

    इस पर बेंच ने तीन दिनों के भीतर विवरण के साथ इन तस्वीरों को रिकॉर्ड में दर्ज करने की अनुमति दी। मामले की अगली सुनवाई एक मई को होगी।

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