खाली खेतों से होगी कमाई... बिहार में दलहन-तिलहन और मक्का खेती को बढ़ावा, किसानों के लिए नया अवसर
बिहार में खाली खेतों से कमाई का नया अवसर मिल रहा है। राज्य सरकार दलहन, तिलहन और मक्का की खेती को बढ़ावा दे रही है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय प्राप् ...और पढ़ें

बिहार में दलहन-तिलहन और मक्का खेती को बढ़ावा
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में खेती अब केवल जीवन-निर्वाह का साधन नहीं, बल्कि कमाई और समृद्धि का मजबूत जरिया बनती जा रही है। इसी दिशा में राज्य सरकार दलहन, तिलहन और मक्का जैसी फसलों के क्षेत्र विस्तार पर विशेष जोर दे रही है। सोमवार को कृषि भवन, मीठापुर में आयोजित परिचर्चा में इस नई कृषि रणनीति की झलक साफ दिखाई दी, जहां किसानों को खाली पड़े खेतों को आय का स्रोत बनाने का संदेश दिया गया।
परिचर्चा को संबोधित करते हुए कृषि विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशकों में धान और गेहूं के उत्पादन में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं।
अब अगला लक्ष्य दलहन और तिलहन उत्पादन को बढ़ाना है, ताकि किसानों की आमदनी में इजाफा हो सके और राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था और मजबूत बने। उन्होंने कहा कि उन्नत किस्म के बीज और गहन खेती के जरिए इन फसलों की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है।
प्रधान सचिव ने विशेष रूप से कोसी क्षेत्र का उदाहरण देते हुए बताया कि यहां मक्का का उत्पादन तेजी से बढ़ा है और अब यह नकदी फसल के रूप में उभर चुकी है।
मक्का से जुड़े उद्योगों की स्थापना से न केवल किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे, बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
उन्होंने किसानों से अपील की कि वे खाली पड़े खेतों में दलहन, तिलहन और मक्का की खेती शुरू करें और सरकार की योजनाओं का लाभ उठाएं।
उन्होंने बताया कि कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे सिंचाई की लागत कम होगी और खेती ज्यादा लाभकारी बनेगी। अब समय आ गया है कि किसान पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर कृषि आधारित व्यवसाय की ओर कदम बढ़ाएं।
इस अवसर पर कृषि निदेशक सौरभ सुमन यादव ने कहा कि फसलों में विविधता लाना आज की जरूरत है। इससे न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि खाद्य सुरक्षा भी मजबूत होगी।
वहीं विशेष निदेशक वीरेंद्र प्रसाद यादव ने कृषि वैज्ञानिकों से उन्नत बीजों और आधुनिक तकनीकों के माध्यम से उत्पादन बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने की बात कही।
परिचर्चा के दौरान तकनीकी सत्रों में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन के तरीके बताए। बड़ी संख्या में किसानों ने कार्यक्रम में भाग लेकर नई कृषि तकनीकों की जानकारी हासिल की और इसे अपनी खेती में अपनाने का संकल्प लिया।
कुल मिलाकर, यह पहल बिहार में खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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