Bihar Politics: क्या चुनाव परिणाम के बाद महागठबंधन के दलों में बढ़ेगी दूरी? फ्रेंडली फाइट ने पहले ही किया असहज
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद महागठबंधन में दरार पड़ने की आशंका है। सीटों के बंटवारे को लेकर पहले से ही दलों में असहजता थी, जो फ्रेंडली फाइट के कारण और बढ़ गई। चुनाव परिणामों के बाद दलों में असंतोष बढ़ सकता है, जिससे गठबंधन में दूरियां बढ़ सकती हैं। अब देखना यह है कि महागठबंधन के नेता इस स्थिति को कैसे संभालते हैं।

महाठबंधन में हो चुकी है फ्रेंडली फाइट। जागरण आर्काइव
दीनानाथ साहनी, पटना। Bihar Assembly Elections 2025 का चुनाव परिणाम महागठबंधन की गांठ खोलने वाला साबित होगा। इसकी वजह भी है।
11सीटों पर कांग्रेस और राजद, भाकपा और कांग्रेस के बीच दोस्ताना संघर्ष है। कथित गठबंधन धर्म का उल्लंघन करते हुए राजद और कांग्रेस, भाकपा एवं कांग्रेस ने एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार दिया।
वहीं कुछ जगहों पर बागियों ने महागठबंधन के सहयोगी दलों को असहज किया है। अगर चुनाव परिणाम मन मुताबिक नहीं आए तो महागठबंधन के दलों के बीच खटास और दूरी बढ़ सकती है।
बंपर वोटिंग के साथ फ्रेंडली फाइट के लिए रहेगा याद
रोचक यह कि इस बार का बिहार विधानसभा का चुनाव बंपर वोटिंग के साथ-साथ फ्रेंडली फाइट के लिए भी याद रखा जाएगा।
दरअसल, महागठबंधन के महत्वपूर्ण दल राजद, कांग्रेस और भाकपा ने एक ही सीट पर अपने-अपने उम्मीदवारों को खड़ा कर दिया।
चुनाव के पहले चरण के मतदान में पांच और दूसरे चरण के मतदान में छह सीटों पर महागठबंधन के सहयोगी दलों के बीच सीधी लड़ाई देखने मिली।
यहां महागठबंधन के नेताओं के बीच खुलकर जुबानी जंग भी देखने को मिली। ऐसे में महागठबंधन की एकजुटता पर बड़ा सवाल खड़ा हुआ।
राजद, कांग्रेस और भाकपा के अंदर खटपट भी देखने को मिली। महागठबंधन में सीट शेयरिंग में देरी और आपसी खींचातानी के चलते ग्यारह सीटों पर फ्रेंडली फाइट की नौबत आई।
पूरे चुनाव प्रचार के दौरान एनडीए के तमाम बड़े नेताओं ने महागठबंधन के इस फ्रेंडली फाइट को गृहयुद्ध की संज्ञा दी। इतना ही नहीं, आपसी लड़ाई से महागठबंधन की रणनीति और तालमेल पर सवाल खड़े हुए तो वहीं अंदरूनी सीट वार ने सियासी तस्वीर को दिलचस्प और बनाया।
इन सीटों पर आपस में भिड़ा महागठबंधन
जिन 11 सीटों पर महागठबंधन आपस में ही भिड़ा, उनमें कैमूर जिले की चैनपुर, रोहतास की करगहर, पश्चिम चंपारण की नरकटियागंज, जमुई की सिकंदरा और भागलपुर जिले की कहलगांव और सुल्तानगंज सीटें शामिल हैं।
बिहारशरीफ सीट पर कांग्रेस के ओमार खान और भाकपा के शिव कुमार यादव, राजापाकर सीट पर भाकपा के मोहित पासवान तथा कांग्रेस की प्रतिमा कुमारी आमने-सामने थीं।
बछवाड़ा सीट पर कांग्रेस के गरीबदास एवं भाकपा के अवधेश राय, वैशाली सीट पर कांग्रेस के संजीव सिंह एवं राजद के अजय कुमार कुशवाहा, बेलदौर सीट पर कांग्रेस के मिथिलेश कुमार निषाद व आइआइपी की तनीषा भारती के बीच फ्रेंडली फाइट हुआ।
सिकंदरा सीट पर राजद के उदय नारायण चौधरी और कांग्रेस के विनोद कुमार चौधरी, नरकटियागंज सीट पर राजद के दीपक यादव और कांग्रेस के शाश्वत केदार उतरे थे।
चैनपुर सीट पर वीआइपी के गोबिंद बिंद व राजद के बृज किशोर बिंद, कहलगांव सीट पर कांग्रेस के प्रवीण सिंह तथा राजद के रजनीश भारती, सुल्तानगंज सीट पर राजद के चंदन कुमार सिंह और कांग्रेस के ललन कुमार, करगहर सीट पर भाकपा के महेंद्र प्रसाद गुप्ता व कांग्रेस के संतोष कुमार मिश्रा के बीच मुकाबला हुआ।
इन ‘दोस्ताना'' लड़ाइयों के पीछे चुनाव से ठीक पहले हुए महागठबंधन में सीटों के अंतिम निर्धारण को लेकर शीर्ष नेतृत्व और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच सही समन्वय का अभाव भी रहा।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।