Bihar Politics: बिहार में दो बड़े नेताओं की बरसी चर्चा में, प्रस्थान के साल भर बाद स्मृतियों की जुटान
Bihar Politics तेजस्वी ने चुनाव के समय रघुवंश बाबू द्वारा नीतीश से की गई मांगों की भी याद दिलाई है जो अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। इस बरसी में नीतीश के साथ ही तेजस्वी भी शामिल होंगे।

पटना, आलोक मिश्र। Bihar Politics बिहार में दो बड़े नेताओं की बरसी चर्चा में है। रविवार को पटना में लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान की बरसी मनाई जा रही है और अगले दिन सोमवार को राजद के कद्दावर नेता रहे रघुवंश प्रसाद सिंह की बरसी मुजफ्फरपुर में है। दोनों के पुत्रों ने उनके कद के मुताबिक इसे मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। दोनों जगह हजारों की जुटान होनी तय है। लोजपा में दो फाड़ होने के बाद अपनी राजनीतिक जमीन फिर से मजबूत करने में जुटे रामविलास के पुत्र चिराग ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सोनिया गांधी से लेकर तमाम नेताओं को न्योता भेजा है तो राजद छोड़ जदयू में शामिल रघुवंश के पुत्र ने नीतीश और तेजस्वी दोनों को ही बुलाया है।
रामविलास पासवान का निधन गत वर्ष आठ अक्टूबर को हुआ था। उनके निधन को 11 महीने हो चुके हैं और इस बीच परिवार और पार्टी दोनों ही बंट चुकी हैं। उनकी बरसी भी दो बार मनाई जा रही है। एक तिथि के हिसाब से पुत्र चिराग कल यानी रविवार को मना रहे हैं तो दूसरी, चिराग का साथ छोड़ केंद्र में मंत्री बने रामविलास के भाई पशुपति कुमार पारस एक साल पूरे होने पर आठ अक्टूबर को मनाएंगे। दोनों ही आयोजनों में बड़ी जुटान दिखाकर खुद को रामविलास का असली उत्तराधिकारी बताने की कोशिश होगी। चिराग इसके अलावा खगड़िया में अपने पैतृक गांव शहरबन्नी और दिल्ली में भी आयोजन करने जा रहे हैं, ताकि जो यहां न पहुंच सकें वो दूसरी जगह पर आ सकें। खास बात यह है कि उन्होंने इस समय अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी चाचा पारस को न सिर्फ बुलाया है, बल्कि आमंत्रण पत्र में उनका नाम देकर इस आयोजन को राजनीति से परे दिखाने की सफल कोशिश की है। लेकिन विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की जोरदार खिलाफत करने वाले चिराग की मुलाकात नीतीश से नहीं हो सकी है। इससे यह माना जा रहा है कि कोई भी आए, लेकिन नीतीश इसमें नहीं आने वाले। आयोजन में 20 हजार लोगों के हिसाब से तैयारी की गई है।
रामविलास पासवान की बरसी के लिए तेजस्वी (बाएं) को निमंत्रण देने पहुंचे चिराग। जागरण आर्काइव
रविवार को इस पर निगाह रहेगी कि चिराग को दरकिनार कर पारस को तवज्जो देने वाली भाजपा के कौन से बड़े नेता इसमें शामिल होते हैं, क्योंकि चिराग भले ही चुनाव में नीतीश का विरोध करते रहे हों, लेकिन उनका मोदी प्रेम हर मंच से उजागर हुआ था। पार्टी में दो फाड़ होने और पारस के मंत्री बनने के बाद भी मोदी के खिलाफ एक शब्द नहीं बोला है। राजद से न्योता मिलने के बाद भी वे गठबंधन के लिए तैयार नहीं हुए। हालांकि दिल्ली में रामविलास को आवंटित 12 जनपथ आवास को छोड़ने की नोटिस मिलने के बाद वहां रामविलास की प्रतिमा लगाकर भाजपा के लिए समस्या जरूर खड़ी कर दी है, जबकि वह बंगला रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को आवंटित किया जा चुका है। वहां दलित नेता की मूर्ति हटाना एक मुद्दा बन सकता है।
चिराग भले ही अलग राह चल रहे हों, लेकिन रामविलास एनडीए के लंबे समय तक साथी रहे। ऐसे में उनकी बरसी को नकाराना भाजपा भी नहीं चाहेगी और चिराग भी इसे राजनीतिक रूप नहीं देना चाह रहे। इसलिए उन्होंने हर बड़े नेता को स्वयं मिलकर आमंत्रित किया है। चिराग की तरह रघुवंश बाबू के पुत्र सत्यप्रकाश भी पिता की बरसी के आयोजन में पूरी तरह से जुटे हैं। सोमवार को मुजफ्फरपुर में उनकी बरसी मनाई जाएगी। इसमें जाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी तैयार हैं। गत वर्ष 13 सितंबर को रघुवंश बाबू का निधन हुआ था। अपने आखिरी समय में लालू पुत्र तेजप्रताप की बातों से खफा रघुवंश बाबू के राजद छोड़ने की अटकलें लगाई जा रही थी। निधन के बाद भाजपा और जदयू दोनों ने ही राजद में उनकी उपेक्षा को मुद्दा बनाया था और बाद में उनके पुत्र को जदयू में शामिल करा दिया था। उस समय सत्यप्रकाश को एमएलसी बनाए जाने की चर्चा थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
रघुवंश बाबू की बरसी को गैर राजनीतिक रूप देने की कोशिश है, लेकिन तेजस्वी ने सत्यप्रकाश से मिलने के बाद रघुवंश प्रसाद व रामविलास की प्रतिमा लगाए जाने की राज्य सरकार से मांग कर अपना राजनीतिक दांव चल दिया है। तेजस्वी ने चुनाव के समय रघुवंश बाबू द्वारा नीतीश से की गई मांगों की भी याद दिलाई है, जो अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। इस बरसी में नीतीश के साथ ही तेजस्वी भी शामिल होंगे। देखना होगा कि दोनों ही आयोजनों में दलों की दीवार गिराकार कौन-कौन, कहां-कहां शामिल होता है?
[स्थानीय संपादक, बिहार]
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