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    Bihar Politics: ललन सिंह ने सुशील मोदी से कहा, तब तो आप ही नगर विकास मंत्री भी थे, अब क्‍यों सवाल उठा रहे

    By Jagran NewsEdited By: Vyas Chandra
    Updated: Thu, 06 Oct 2022 10:53 AM (IST)

    बिहार में नगर निकाय चुनाव के मुद्दे पर एक बार फिर भाजपा और जदयू आमने-सामने है। वे एक-दूसरे को जिम्‍मेदार ठहरा रहे हैं। जदयू के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ललन सिंह ने सुशील मोदी पर तंज कसा है। कहा है कि अब आप सवाल क्‍यों उठा रहे हैं।

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    जदयू के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ललन सिंह व भाजपा नेता सुशील मोदी। जागरण आर्काइव

    पटना, आनलाइन डेस्‍क। Bihar Politics: बिहार में नगर निकाय चुनाव (Bihar Municipal Elections 2022) पर पटना हाईकोर्ट की तल्‍ख टिप्‍पणी और इसके टलने के बाद भाजपा और जदयू आमने-सामने हैं। वे एक-दूसरे काे जिम्‍मेदार ठहरा रहे हैं। जदयू के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ललन सिंह (JDU President Lalan Singh) ने भाजपा पर जमकर हमला किया है। साथ ही केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) को पिछड़ा, अतिपिछड़ा, दलित-महादलित महिला और गरीब सवर्णों का विरोधी बताया है।  

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    तब सुशील मोदी थे नगर विकास मंत्री 

    गुरुवार सुबह ट्वीट कर ललन सिंह ने कहा है कि, 2007 में जब नगर निकाय में आरक्षण का कानून बनाया गया जिस पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगी, उस समय सुशील मोदी (Sushil Modi) ही उपमुख्‍यमंत्री और नगर विकास मंत्री थे। तब से अब तक उसी कानून के तहत चुनाव कराए जा रहे हैं, लेकिन सुशील मोदी जी उसी पर सवाल उठा रहे हैं। उन्‍होंने कहा है कि सुशील मोदी जी महाराष्‍ट्र के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इसको जोड़ रहे हैं और आयोग बनाने की बात कर रहे हैं जिसका कोई औचित्‍य ही नहीं है। बात यह है कि बीजेपी आरक्षण विरोधी है और आयोग के माध्‍यम से आरक्षण के मामले को उलझाना चाहती है।

    भाजपा की नीयत में खोट 

    इससे पूर्व प्रेस कांफ्रेंस कर जदयू के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ने भाजपा पर हमला किया। कहा कि भाजपा की नीयत में खोट है। आरक्षण को लटकाना और गरीब, शोषित, वंचित, पिछड़े व महिलाओं को मुख्‍य धारा में नहीं आने देना ही इनका लक्ष्‍य है। लेकिन सामाजिक न्‍याय के साथ विकास के सीएम नीतीश कुमार के सिद्धांत को हम पूरा करके रहेंगे। भाजपा को बेनकाब करेंगे। उन्‍होंने केंद्र सरकार को भी गरीबों-पिछड़ों का विरेाधी बताया। कहा कि ये सिर्फ दो कारपोरेट व्‍यक्ति को लाभ पहुंचाते हैं। चुनावों में हर वर्ष दो करोड़ नौकरी का वादा करते हैं और जीतने के बाद उस वादे को जुमला बनाना इनका पेशा है।