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    शहाबुद्दीन के उलझे तार के बीच फंसता जा रहा महागठबंधन..जानिए

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Wed, 14 Sep 2016 10:38 PM (IST)

    बिहार में शहाबुद्दीन को लेकर महागठबंधन की दरार सामने आ गई है। राजद और जदयू एक-दूसरे से भिड़े तो कांग्रेस ने दी चेतावनी। अब देखना है बिहार की सियासत में क्या नया गुल खिलता है।

    शहाबुद्दीन के उलझे तार के बीच फंसता जा रहा महागठबंधन..जानिए

    पटना [काजल]। शहाबुद्दीन की रिहाई के बाद बिहार की राजनीति और सत्ता पर काबिज महागठबंधन की कलई खुलकर सामने आ गयी है। नवंबर में बनी महागठबंधन की सरकार के दस महीने पूरे हो गए हैं और वक्त बेवक्त जदयू और राजद के बीच विरोध के सुर उठते रहे हैं।

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    लेकिन इस बार शहाबुद्दीन की रिहाई और उनका लालू प्रेम और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति तल्खी के बीच महागठबंधन की सरकार पर गहरी खाई बनती नजर आ रही है। हालांकि राजनीति के मंझे खिलाड़ी लालू यादव ने इस खाई को पाटने के लिए सेतु बना डाला है, लेकिन कांग्रेस और जदयू ने उन्हें कड़ी चेतावनी देते हुए महागठबंधन धर्म निभाने की बात कही है।

    इस चेतावनी के बाद गठबंधन धर्म निभाने के लिए जहां राजद सुप्रीमो लालू यादव अपने नेताओं को समझा-बुझा रहे हैं, वहीं जदयू और राजद के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। चुप्पी साध रखने वाली कांग्रेस भी अब मैदान में है और नीतीश कुमार के साथ है। गठबंधन के सहयोगी दलों के बीच इस घमासान को लेकर जनता जनार्दन अभी चुपचाप सबको तौल रही है।

    कांग्रेस ने दी राजद को चेतावनी

    इस बीच चुप्पी साधे रखने वाली कांग्रेस ने भी चेतावनी देते हुए शहाबुद्दीन के बयान की निंदा की है और कहा है कि अगर किसी को दिक्कत हो रही है तो वो सरकार से बाहर चला जाए। यानी इस पूरे मुद्दे पर कांग्रेस नीतीश कुमार के साथ है।

    लालू यादव ने मीडिया को ठहराया जिम्मेदार

    इस बीच आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने चालाकी दिखाते हुए इसका पूरा ठीकरा मीडिया के मत्थे फोडा़ है और कहा है कि यह तथाकथित 'बखेड़ा' मीडिया ने ही पैदा किया है। लालू प्रसाद ने विवाद को शांत कराने की कोशिश करते हुए कहा कि नीतीश जी ही गठबंधन के नेता हैं और रहेंगे।

    लेकिन लालू ने जो शहाबुद्दीन का पक्ष लिया कि शहाबुद्दीन ने कुछ गलत नहीं कहा है? इस बयान पर वे आज भी कायम हैं, यह बात और लालू की शहाबुद्दीन भक्ति किसी के भी गले नहीं उतर रही।

    रघुवंश मान नहीं रहे, लालू ने दे दी सलाह

    अपने बेबाक बयानों के लिए मशहूर राजद के नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने जदयू के नेताओं से यह कहा कि मुझसे डायरेक्ट ये लोग बात क्यों नहीं करते? लालू जी को भाया मीडिया बनाकर बात क्यों करते हैं? बताते चलें कि जदयू ने पार्टी की हाई लेवल मीटिंग की थी और मीटिंग के बाद लालू यादव को कड़ी नसीहत दी थी कि अपने नेताओं को काबू में रखें। हालांकि जदयू ने लालू यादव को परोक्ष रुप से भी बयानबाजी ना करने की सलाह दे डाली।

    इस बात पर लालू प्रसाद ने रघुवंश प्रसाद सिंह के बयान पर नाराजगी जताते हुए कहा कि रघुवंश जी को बात समझ में नहीं आती है। अब उन्हें और राजद के तमाम नेताओं को कह दिया गया है कि कोई भी आपत्तिजनक बयान देने से बचें।

    जदयू ने कहा - सीसीए लगाने पर हो रहा विचार

    वहीं जदयू ने अपनी पार्टी नेताओं के साथ मीटिंग के बाद शहाबुद्दीन के बयानों की कड़ी आलोचना की और कहा कि उनपर क्राइम कंट्रोल एक्ट यानी सीसीए लगाने पर भी विचार कर रही है। दरअसल शहाबुद्दीन ने जेल से निकलते ही नीतीश कुमार के खिलाफ बयान दे डाला था और राजद ने इसका समर्थन भी किया था।

    शहाबुद्दीन ने कहा - किसी की आजिजी नहीं करता

    13 साल बाद अपने घर पर ईद मना रहे शहाबुद्दीन को किसी बात की कोई टेंशन नहीं है। उन्होंने साफ कहा है कि सीसीए लगाने पर फैसला सरकार को लेना है और मैं सीसीए नहीं लगाने के लिए किसी से कोई निवेदन नहीं करने वाला। मैं अपने तरीके से जिंदगी जीता हूं।

    साथ ही शहाबुद्दीन ने यह भी कहा कि मैं किसी की भी आजिजी नहीं करता। मैंने जो बयान दिया था आज भी उसपर कायम हूं। मैं किसी से खफा भी नहीं मुझे देखकर लोग कहते हैं कि गुस्से में दिखते हैं। लेकिन अब मेरा चेहरा ही एेसा है तो मैं क्या करुं?

    लालू की शह, शहाबुद्दीन की बेफिक्री

    लालू यादव की शह और शहाबुद्दीन की बेफिक्री महागठबंधन के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। अब तो नीतीश कुमार के साथ कांग्रेस ने भी राजद चेतावनी दे दी है। अब देखना यह होगा कि शहाबुद्दीन को लेकर बिहार की सियासत की हलचल क्या गुल खिलाती है? बहरहाल पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड के शूटर के साथ तस्वीरें और वीडियो पुलिस के हाथ लगने से शहाबुद्दीन फंस सकते हैं और फिर से जेल की हवा खा सकते हैं।

    राजद, जदयू और कांग्रेस का यह महागठबंधन शहाबुद्दीन के जेल से बाहर आने के बाद दरार को पाट लेता है कि मनमुटावों के बीच नीतीश सरकार के लिए यह डॉन परेशानियां पैदा कर सकता है, राजनीति में कहते हैं ना कोई किसी का नहीं होता? महागठबंधन में कौन-सी बिसात आगे बिछेगी और मोहरा कौन होगा, कौन शह देगा कौन मात? बिहार में यह देखना अब दिलचस्प होगा।