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    बिहार पुलिस ने साइबर ठगी में 616 म्यूल खाते किए चिह्नित, 9252 मोबाइल कराए गए बंद

    Updated: Sat, 20 Dec 2025 05:30 AM (IST)

    बिहार पुलिस ने साइबर ठगी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 616 म्यूल खातों को चिह्नित किया है। इसके साथ ही, 9252 मोबाइल नंबरों को भी बंद कराया गया है। य ...और पढ़ें

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    सांकेतिक तस्वीर

    राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य में साइबर अपराधियों के नेटवर्क को खंगालने में जुटी बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने इस साल 616 म्यूल बैंक खाते चिह्नित किए गए हैं। साइबर ठगी की जांच में यह संदिग्ध खाते पाए गए हैं, जिनके विरुद्ध अग्रतर कार्रवाई के लिए संबंधित जिलों से पत्राचार किया गया है।

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    इस मामले में बेगूसराय से चार अपराधियों की गिरफ्तारी भी हुई है। इसके अलावा साइबर अपराध में इस्तेमाल किए जा रहे 9252 मोबाइल नंबरों और 3840 आइएमईआइ को भी ब्लाक कराया गया है। म्यूल खाते ऐसे बैंक अकाउंट होते हैं, जिनमें साइबर अपराधी ठगी की राशि भेजते हैं। इन खातों को कई बार कमीशन पर भी लिया जाता है।

    ईओयू की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, एनसीआरपी (राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल) हेल्पलाइन 1930 पर इस साल 15 दिसंबर तक साइबर अपराध से संबंधित 24 लाख 38 हजार कॉल का उत्तर दिया गया है।

    एनसीआरपी पर साइबर ठगी से संबंधित एक लाख 10 हजार आनलान शिकायत मिली है, जबकि इंटरनेट मीडिया एवं अन्य साइबर अपराध से संबंधित 24 हजार से अधिक आनलाइन शिकायतें मिली हैं। सोशल मीडिया पेट्रोलिंग यूनिट ने नवंबर तक 356 आपत्तिजनक पोस्ट को टेकडाउन कराया है, वहीं आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले 108 लोगों पर विभिन्न थानों में प्राथमिकी दर्ज की गई है।

    106 करोड़ की राशि होल्ड, 7.36 करोड़ की राशि रिफंड

    ईओयू के अनुसार, राज्य के सभी साइबर थानों में साइबर अपराध के 5624 कांड प्रतिवेदित किए गए हैं, जिसमें शामिल करीब एक हजार साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। साइबर ठगी की शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए 106 करोड़ 30 लाख की राशि को संदिग्धों के खातों में होल्ड कराया गया है। इस वर्ष साइबर थानों के द्वारा साइबर ठगी के पीडि़तों को 7.36 करोड़ रुपये की राशि वापस लौटाई गई है।

    साइबर स्लेवरी डेस्क का गठन, 29 पीडि़तों की वापसी

    विदेश में अच्छी नौकरी दिलाने का झांसा देकर थाईलैंड, बैंकाक जैसे दक्षिण एशियाई देशों में जाकर साइबर गुलामी में फंसे युवाओं को वापस लाने के लिए ईओयू ने साइबर स्लेवरी डेस्क का भी गठन किया है। इसकी मदद से विदेश भेजने वाले एजेंट का सत्यापन कराया जा रहा है। इस साल मार्च में साइबर गुलामी में फंसे 13 जबकि नवंबर में 16 पीडि़तों को छुड़ाकर वापस लाने में सहयोग भी किया गया है।