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    Bihar PACS Election 2024: समय से होंगे पैक्सों में चुनाव, एक करोड़ 40 लाख सदस्य लेंगे भाग

    Updated: Mon, 15 Jul 2024 09:17 AM (IST)

    बिहार में पैक्सों में चुनाव समय से कराए जाएंगे। नवंबर में साढ़े सात हजार से ज्यादा पैक्सों में चुनाव निर्धारित हैं। सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पैक्सों के चुनाव समय पर कराने को लेकर विभागीय स्तर पर आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। वैसे 54 हजार और नये पैक्स सदस्य बने हैं जो चुनाव प्रक्रिया में भाग लेंगे।

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    बिहार में समय से होंगे पैक्सों में चुनाव (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    दीनानाथ साहनी, पटना। PACS Election In Bihar बिहार में पैक्सों (प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसाइटी) के चुनाव समय से होंगे। इसे लेकर बिहार सरकार के स्तर से सारी तैयारियां तेजी से की जा रही हैं। बिहार राज्य निर्वाचन प्राधिकार के स्तर से भी पैक्सों के चुनाव को लेकर तैयारी शुरू कर दी गयी है। राज्य में 8 हजार 463 पैक्स हैं। इनमें ज्यादातर पैक्सों का कार्यकाल दिसंबर में खत्म हो रहा है।

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    सभी पैक्सों में कुल एक करोड़ 40 लाख सदस्य हैं। सहकारिता और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि पैक्सों में चुनाव समय से कराये जाएंगे। पैक्सों के चुनाव समय पर कराने को लेकर विभागीय स्तर पर आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। वैसे 54 हजार और नये पैक्स सदस्य बने हैं, जो चुनाव प्रक्रिया में भाग लेंगे।

    साढ़े सात हजार पैक्सों में नवंबर में चुनाव

    सहकारिता विभाग के स्तर से करीब साढ़े सात हजार पैक्सों में नवंबर में चुनाव कराने की तैयारी हो रही है। इसी हिसाब से बिहार राज्य चुनाव प्राधिकार भी आवश्यक तैयारियों में जुटा है। प्राधिकार से मिली जानकारी के मुताबिक साढ़े सत्रह सौ से ज्यादा पैक्सों से चुनाव कराने का प्रस्ताव आ चुके हैं। वैसे प्राधिकार की ओर से पैक्सों में चुनाव कराने का प्रस्ताव जून में ही मांगा गया था।

    ज्यादातर पैक्सों से चुनाव प्रस्ताव में विलंब की वजह मतदाता सूची तैयार नहीं हो पाना बताया जा रहा है। पैक्सों की सदस्यता के मामले में यह पेच भी है कि प्रखंड विकास पदाधिकारी और प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी द्वारा बने पैक्स सदस्यों की सदस्यता की समीक्षा करने का आदेश पटना उच्च न्यायालय ने दे रखा है। इस आदेश के विरुद्ध कुछ पैक्स अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय की शरण में चले गए हैं।

    ऐसे पैक्सों का मानना है कि पैक्सों में जितने भी सदस्य बने हैं, उसकी समीक्षा गैरजरूरी है। इधर, सहकारिता विभाग की ओर से उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में विधि विभाग से कानूनी सलाह ली जा रही है।

    दरअसल, सदस्यता विवाद पैक्स पर कब्जे की लड़ाई से भी जुड़ा है। सदस्य ही पैक्स चुनाव में भाग लेते हैं, इसलिए चुनाव लड़ने के इच्छुक व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा अपने समर्थक को सदस्य बनाते हैं क्योंकि पैक्स के अध्यक्ष के पास सदस्य बनाने का अधिकार होता है। इसलिए वो अपने समर्थकों के सदस्यता आवेदन को प्राथमिकता देते हैं।

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