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    बिहार का सबसे पुराना रेलवे स्‍टेशन हुआ 161 साल का, पटना जंक्‍शन से भी पहले हुआ था चालू

    By Shubh Narayan PathakEdited By:
    Updated: Mon, 11 Jul 2022 07:34 AM (IST)

    161 वर्ष का हो गया बिहार का ये सबसे पुराना स्टेशन पटना जंक्‍शन से कई वर्ष पहले हो गया था चालू पहले बेगमपुर और बांकीपुर भी स्टेशन का रहा नाम आज हर रोज 50 हजार से अधिक यात्रियों की होती है आवाजाही प्रतिदिन सवा सौ से अधिक ट्रेनों का ठहराव

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    पटना साहिब स्‍टेशन का है गौरवशाली अतीत। जागरण

    जागरण संवाददाता, पटना सिटी। Oldest Railway Station in Bihar: आज बिहार के लगभग हर हिस्‍से में रेलगाड़‍ियां चलने लगी हैं। बिहार में रेलवे की शुरुआत मुगलसराय (अब पंड‍ित दीन दयाल उपाध्‍याय जंक्‍शन) से पटना, किउल, झाझा के रास्‍ते हावड़ा तक ट्रैक बिछाए जाने के साथ हुई। क्‍या आपको पता है कि तब बिहार का सबसे प्रमुख स्‍टेशन कौन सा हुआ करता था और यह कब की बात है? बिहार का सबसे प्रमुख स्‍टेशन तब भी पटना ही हुआ करता था, लेक‍िन यह पटना स्‍टेशन अब वाला पटना जंक्‍शन नहीं है। पटना का सबसे पुराना रेलवे स्‍टेशन 161 वर्ष का हो गया है। मौजूदा पटना जंक्‍शन इसके बहुत बाद का है। यह स्‍टेशन कैसे बना, इसकी कहानी भी हम बताएंगे। 

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    तब सिंगल लाइन का रूट था दानापुर से लखीसराय के बीच 

    ब्रिटिश काल 1861 में पटना स्टेशन के रूप में स्थापित पटना साहिब (पटना सिटी) स्टेशन 161 वर्ष का हो गया। इसे 1862 में दानापुर-लखीसराय रेलखंड (इकहरी लाइन, ब्रौड गेज) के साथ स्थापित किया गया था। 1867 में दानापुर से फतुहा-दानापुर के बीच रेलवे लाइन के दोहरीकरण संपन्न हुआ। पटना साहिब स्टेशन कभी बेगमपुर स्टेशन के नाम से भी जाना जाता था। बुजुर्ग बताते हैं कि कुछ अवधि के लिए यह स्टेशन बांकीपुर स्टेशन के नाम से जाना जाता था। बाद में गया रेलवे लाइन से जब पटना को जोड़ा गया तब वर्ष 1939 में पटना जंक्शन का निर्माण हुआ। इसके बाद ही पुराने पटना स्टेशन का नाम बदल कर पटना सिटी किया गया।

    सिख गुरु से जुड़ा होने के कारण पटना साहिब नामकरण 

    पटना सिटी स्टेशन से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोङ्क्षवद ङ्क्षसह जी महाराज का है जन्मस्थल। लगभग चार दशक पहले तत्कालीन रेलमंत्री सरदार बूटा सिंह ने पटना सिटी स्टेशन का नाम बदलकर पटना साहिब कर दिया। स्टेशन के बाहरी भवन का गुंबद गुरुद्वारानुमा बनाया गया। वर्ष 2017 के पांच जनवरी को श्री गुरु गोविंद सिंह के 350 वें प्रकाशोत्सव पर इस स्टेशन को आधुनिक रूप दिया गया। 

    कम अवध‍ि का ठहराव होने से नहीं होती पार्सल की बुकिंग 

    बिहार की प्रमुख मंडी मारूफगंज, मंसूरगंज, मच्छरहट्टा, महाराजगंज, रामबाग में प्रतिदिन हजारों व्यवसायी खरीदारी करने आते हैं। व्यवसायियों का कहना है कि वर्ष 2015 से मालगोदाम बंद होने से दिक्कत है। वहीं ट्रेनों के कम समय तक ठहराव होने से पार्सल की भी बुकिंग बंद है।

    हर रोज यहां ठहरती हैं 125 से अधि‍क ट्रेनें  

    वर्तमान में दानापुर रेल डिवीजन पूर्व-मध्य रेलवे का यह रेलवे स्टेशन है। पटना के छह प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से एक है पटना साहिब। पटना साहिब स्टेशन दिल्ली-कोलकाता मेन लाइन वाया पंड‍ित दीन दयाल उपाध्‍याय जंक्‍शन रूट को जोड़ता है। यहां प्रतिदिन 125 से अधिक ट्रेनों का ठहराव होता है। प्रतिदिन इस स्टेशन से 50 हजार से अधिक यात्रियों की आवाजाही होती है। 

    अध‍िक ट्रेनों का ठहराव चाहते हैं स्‍थानीय लोग 

    पटना साहिब स्टेशन के वाणिज्य निरीक्षक एसएन सिंह बताते हैं कि 161 वर्ष प्राचीन पटना साहिब स्टेशन में एनएसजी 4 ग्रेड की सुविधाएं यात्रियों के लिए उपलब्ध है। स्‍थानीय नागरिक पंडित राजेश शुक्ला उर्फ टिल्लू का कहना है कि देश के प्रमुख स्टेशनों में पटना साहिब स्टेशन पर राजधानी छोड़ सभी ट्रेनों का ठहराव होना चाहिए। पाटलिपुत्र-चंडीगढ़ ट्रेन को पटना साहिब स्टेशन से खुलने की व्यवस्था होनी चाहिए।

    आनंद मोहन झा का कहना है कि पटना साहिब स्‍टेशन पर यात्रियों की सुविधा के लिए प्लेटफार्म पर एक्सलेटर लगना जरूरी है। सीढिय़ों से गुजरने में वृद्ध और महिला यात्रियों को परेशानी होती है। व्यवसायियों के लिए सुविधा होनी चाहिए। विजय कुमार सिंह का कहना है कि आरक्षण कार्यालय नीचे रहने से बुजुर्ग, महिलाओं तथा अन्य यात्रियों को सुविधा मिलेगी। ऊपरी तल्ले पर आरक्षण कार्यालय होने से परेशानी व नशेडिय़ों के कारण असुरक्षित भी है। तख्‍त श्रीहरिमंदिर साहिब के अधीक्षक सरदार दलजीत सिंह का कहना है कि कोलकाता से आनंदपुर साहिब के बीच चलनेवाली ट्रेन का ठहराव दशमेश गुरु की जन्मस्थली वाले स्टेशन पर होना जरूरी है। प्रकाश पर्व के समय की तरह सभी ट्रेनों का ठहराव होना चाहिए।

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