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    Bihar Politics: बिहार में अचानक कहां से आ गये बांग्लादेशी, नेपाल और म्यांमार के लोग: दीपंकर भट्टाचार्य

    Updated: Tue, 15 Jul 2025 05:19 PM (IST)

    दिल्ली में चुनाव आयोग ने कहा था कि कोई दिक्कत नहीं हमारे पास बड़ी संख्या में बीएलओ व वॉलिंटियर हैं। हमने दो मांग की थी बीएलओ तीन-तीन विजिट हर घर पर करेंगे और हरेक मतदाता के लिए दो फॉर्म दिए जाएंगे। एक को भर के देना था दूसरा को रख देना था।

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    दीपंकर भट्टाचार्य ने पटना में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते

    डिजिटल डेस्क, पटना।  माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने पटना में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली में चुनाव आयोग ने कहा था कि कोई दिक्कत नहीं, हमारे पास बड़ी संख्या में बीएलओ व वॉलिंटियर हैं।

    हमने दो मांग की थी  बीएलओ तीन-तीन विजिट हर घर पर करेंगे और हरेक मतदाता के लिए दो फॉर्म दिए जाएंगे। एक को भर के देना था, दूसरा को रख देना था तिहाई समय बीत गया।

    जो रिपोर्ट मिल रही है, उससे बिलकुल साफ है कि बहुत सारे घरों पर कोई बीएलओ नहीं पहुंचा है। दो फार्म शायद ही किसी को मिला है। यह जो चल रहा है, आंकड़ों का खेल है, भयानक अराजकता है।

    बीएलओ भी परेशान: भट्टाचार्य

    दीपंकर ने कहा कि बीएलओ परेशान हैं। एक बीएलओ की मौत हो गई दबाव में। बहुत सारे बीएलओ कह रहे हैं कि हमारे पास खुद कागजात नहीं हैं। एक बीडीओ ने प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया। 

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    सूत्रों के हवाले से अचानक पता चल रहा है कि बांग्लादेशी, म्यांमार व नेपाल के लोग भरे पड़े हैं। यह झूठ है। 2024 में चुनाव हुआ, उस मतदाता सूची को लेकर क्या ऐसी कोई शिकायत थी? किसी पार्टी ने ऐसी शिकायत नहीं की थी तो फिर आज अचानक कहां से आ गए।

    2025 में कहां से मिल रहे विदेशी

    2019 में चुनाव आयोग ने संसद को लिखकर दिया कि 2016-2019 में विदेशी मतदाता की कोई नहीं है। केवल 2018 में 3 ऐसी शिकायतें थीं। ऐसे में बिहार में 2025 में कहां से विदेशी मिल रहे हैं?

    बिहार के गांव-गांव में मुसहर मिलेंगे, क्या उन्हें म्यांमार का बना दे रहे हैं? बिहार के प्रवासी मजदूरों व मुसलमानों को बांग्लादेशी बोल दे रहे हैं। यह तो बंगाल के प्रवासी मजदूरों की समस्या है। 

    हमारे साथी भी घर-घर जा रहे हैं। चुनाव आयोग हर बार याद दिलाता है कि डॉक्यूमेंट देना ही होगा। अभी नहीं तो अगस्त में देना होगा।

    बिहार के गरीबों के पास कौन दस्तावेज हैं? यहां के लोगों को जो दस्तावेज मिल सकते हैं वह है आवासीय व जाति प्रमाण पत्र। वह मिल नहीं रहा है।

    आयोग जो दस्तावेज मांग रहा है, वह है नहीं। जो लोग दस्तावेज मांग रहे हैं, वे दे नहीं रहे। आधार, राशन, वोटर कार्ड को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद आयोग मान नहीं रहा है। इसका मतलब है बिहार के लाखों लोगों का नाम कटना तय है।

    चुनाव चुराने की साजिश को नाकाम बनाइए: दीपांकर

    बिहार में अच्छी बात है कि शुरू से ही लोगों को पता चल रहा है। हमारी अपील है कि अपने मताधिकार की रक्षा कीजिए और चुनाव चुराने की साजिश को नाकाम बनाइए।

    हर रोज हत्या, बलात्कार; कहीं कोई न्याय नहीं। जहां अपराधियों-भ्रष्टाचारियों का राज कायम हो गया है, महिलाओं में कर्ज के कारण आत्महत्या हो रही है। यह चुनाव तो सरकार बदलने वाला चुनाव है।

    वैसे में यह अराजकता का माहौल बना दिया गया है। इसे ठीक करना है। वोटर लिस्ट वेरीफिकेशन में महिलाओं को बहुत समस्या हो रही है, खासकर 2003 के बाद जिनकी शादी नहीं हुई थी।

    एकजुट होकर लड़ेंगे

    सरकार स्कीम वर्करों की बात करती है, पर करती कुछ नहीं। रसोइया मात्र 1650 रुपये में काम कर रही हैं। जीविका, आशा, आंगनबाड़ी सभी की हालत खराब है।

    सरकार ने जीविका का कंट्रीब्यूटरी सिस्टम अब तक खत्म नहीं किया है। 30 जून को गरीबों को उजाड़ने के खिलाफ विधान परिषद में आश्रय अभियान होगा। इस चुनाव में ये सभी तबके एकजुट होकर लड़ेंगे।

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