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    बिहार विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष होंगे विजय सिन्हा, विधान परिषद में सम्राट चौधरी करेंगे बीजेपी का नेतृत्व

    By Rahul KumarEdited By:
    Updated: Thu, 25 Aug 2022 05:38 PM (IST)

    Bihar News बिहार में नीतीश सरकार ने बुधवार को सदन में विश्वास मत हासिल कर लिया। जिसके बाद बीजेपी की तरफ से विजय कुमार सिन्हा को बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया! जबकि सम्राट चौधरी को विधान परिषद में पार्टी के नेतृत्व की जिम्मेदारी दी गई।

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    नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा और विधान परिषद में विरोध दल के नेता सम्राट चौधरी। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, पटना। विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते ही विजय सिन्हा को विधान मंडल दल का नेता घोषित कर भाजपा ने बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी। इसके साथ ही विधान परिषद में पार्टी ने पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी को नेता घोषित किया है। भाजपा की ओर से इसकी जानकारी बुधवार को विधानसभा और विधान परिषद कार्यालय को दे दी गई। विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने बताया कि विजय सिन्हा को नेता विरोधी दल के रूप में मान्यता दे दी गई है।

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    बड़ा संदेश देने की कोशिश

    विपक्ष की भूमिका में पहुंचने के बाद विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी को सदन में प्रतिनिधित्व देकर भाजपा ने बड़ा संदेश दिया है। पार्टी के इस पहल को सर्व समाज को साधने का प्रयास माना जा रहा है। विजय सिन्हा सवर्ण समाज और सम्राट चौधरी अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं। भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष के पद पर पहले से पिछड़ा समाज के डा. संजय जायसवाल को बिठा रखा है। वहीं, अभी पार्टी की ओर से  दोनों सदन में विपक्ष के मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतक के नाम की घोषणा बाकी है। दोनों सदन में इन और चार पदों के जरिए पार्टी सामाजिक संतुलन को साधने का प्रयास करेगी। फिलहाल विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी को प्रतिनिधित्व देकर भाजपा ने जनता के साथ सत्ता पक्ष के आधार वोट बैंक में सेंध लगाने का काम किया है।

    बिहार विधानसभा की कार्यवाही में बुधवार को एक नया इतिहास जुड़ गया। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने अपने खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के पहले ही सदन में अपना अंतिम संबोधन किया और फिर सदन में ही पद से त्यागपत्र देने की घोषणा कर दी। हालांकि इसके पहले उन्होंने जदयू के वरिष्ठ सदस्य नरेंद्र नारायण यादव को अध्याशी सदस्य (किसी वजह से आसन छोड़ने के पूर्व कार्यवाही के संचालन के लिए सदन के वरिष्ठ सदस्य को बिठाना) के रूप में सदन को संचालित करने का नियमन दे दिया, जबकि उस वक्त सदन में उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी भी मौजूद थे। संसदीय कार्यमंत्री विजय चौधरी ने इसका विरोध करते हुए असंवैधानिक बताया, किंतु इसे अनुसना करते हुए विजय कुमार सिन्हा ने दो बजे तक सदन को स्थगित कर आसन छोड़ निकल गए।