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    नीतीश सरकार का बड़ा फैसला, शहरी क्षेत्र की कृषि भूमि पर घर बनाया तो देना होगा अतिरिक्त शुल्क

    Updated: Thu, 10 Oct 2024 06:29 PM (IST)

    बिहार सरकार नगर क्षेत्र की कृषि भूमि के उपयोग परिवर्तन पर भी शुल्क वसूलने की तैयारी कर रही है। इसके लिए शहरी क्षेत्र की कृषि भूमि को बिहार कृषि भूमि (गैर-कृषि प्रयोजनों के लिए सम्परिवर्तन) अधिनियम 2010 के दायरे में लाया जाएगा। अधिनियम के तहत शहरी क्षेत्र में कृषि भूमि के गैर-कृषि उपयोग के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से अनुमति लेनी होगी और शुल्क का भुगतान करना होगा।

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    शहरी क्षेत्र की कृषि भूमि पर घर बनाया तो देना होगा अतिरिक्त शुल्क

    राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार सरकार नगर क्षेत्र की कृषि भूमि के उपयोग परिवर्तन पर भी शुल्क वसूलने की तैयारी कर रही है। इसके लिए शहरी क्षेत्र की कृषि भूमि को भी बिहार कृषि भूमि (गैर-कृषि प्रयोजनों के लिए सम्परिवर्तन) अधिनियम 2010 के दायरे में लाना होगा।

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    हाल में हुई समीक्षा के बाद राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने नगर विकास विभाग से मंतव्य मांगा है। अगर नगर विकास विभाग सहमत हो जाता है तो शहरी क्षेत्र की कृषि भूमि के गैर-कृषि कार्य में उपयोग के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की अनुमति लेनी होगी। इसके लिए शुल्क का भुगतान करना होगा।

    राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में यह राय बनी कि शहरी क्षेत्र की कृषि भूमि के दूसरे काय में उपयोग की स्थिति में बिहार कृषि भूमि (गैर-कृषि प्रयोजनों के लिए सम्परिवर्तन) अधिनियम 2010 के प्रविधानों को लागू किया जाए।

    बैठक में इस अधिनियम की नियमावली पर भी विचार किया गया। फिलहाल इस अधिनियम को नगर क्षेत्र के रूप में गठित या कैंटोनमेंट के तहत पड़ने वाले क्षेत्रों को छोड़कर राज्य के अन्य हिस्से में लागू किया गया है। शहर को छोड़कर राज्य के अन्य हिस्से में अगर कृषि की जमीन का गैर कृषि कार्य के लिए उपयोग होता है तो इसके लिए रैयतों को जमीन के रजिस्ट्री मूल्य का 10 प्रतिशत भुगतान राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को करना पड़ता है।

    राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने उत्पाद, मद्य निषेध एवं निबंधन विभाग से जमीन की रजिस्ट्री (Bihar Jamin Registry) मूल्य का विवरण मांगा है। विवरण मौजेवार मांगा गया है। इसमें रजिस्ट्री का न्यूनतम और अधिकतम दर दर्ज रहता है। कहा गया कि यह विवरण अगर मिल जाता है तो सम्परिवर्तन के समय सक्षम प्राधिकार को शुल्क निर्धारण में सुविधा होगी।

    विभाग ने अन्य राज्यों से भी इससे जुड़ी नियमावली और विवरण जुटाने का निर्णय लिया है। इस समय शहरी क्षेत्र की कृषि भूमि के उपयोग परिवर्तन पर कोई अतिरिक्त शुल्क देय नहीं है। घर या अन्य निर्माण की स्थिति में नगर निकाय उससे कर वसूलते हैं।

    3.44 करोड़ खर्च कर नालंदा में दो पईन का होगा जीर्णोद्धार

    नालंदा जिला में भगवान बिगहा (कुतलूपुर) और परिआना पईन के जीर्णोद्धार की प्रशासनिक स्वीकृति मिल गई है। 3.44 करोड़ रुपये खर्च कर इन दोनों पइनों का जीर्णोद्धार होगा। इन दोनों पईन से 475 हेक्टेयर परिक्षेत्र में सिंचाई की सुविधा बहाल हो जाएगी। हर खेत तक सिंचाई का पानी परियोजना के अंतर्गत इन दोनों पईनों का जीर्णोद्धार हो रहा है। कुतलूपुर पईन बेन प्रखंड में है।

    दो करोड़ 30 लाख 95 हजार रुपये खर्च कर इसके जीर्णोद्धार की योजना है। इसके द्वारा 290 हेक्टेयर परिक्षेत्र में सिंचाई का लक्ष्य निर्धारित है। परिआना पईन नूरसराय प्रखंड में है। इसके जरिये प्रखंड के 185 हेक्टेयर परिक्षेत्र में खेतों तक पानी पहुंचाया जा सकेगा। इसके जीर्णोद्धार पर एक करोड़ 13 लाख 11 हजार पांच सौ रुपये खर्च होंगे। कार्यपालक अभिंयता की देखरेख में दोनों पईन के जीर्णाेद्धार का काम होगा।

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