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    हुजूर! बैठकें खूब हों और बहस-विमर्श भी, बस विवाद-बवाल जनता को पसंद नहीं, इसलिए मर्शाल आउट होते हैं नेता जी

    By Edited By: Deepti Mishra
    Updated: Fri, 14 Jul 2023 09:09 PM (IST)

    Bihar assembly News आमतौर पर ऐसा होता है कि बैठकें कम होने से महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा नहीं हो पाती और इस कारण सदन में हंगामे की नौबत बन आती है। सं ...और पढ़ें

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    विधानसभा और विधान परिषद में कम हो रहीं बैठकें। जनहित के मुद्दों पर नहीं हो पा रही चर्चा।

    विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना : विधायी कारणों से सत्र आवश्यक होता है, लेकिन बैठकों की घटती संख्या और बहस का गिरता स्तर इस मानसून सत्र में चिंताजनक स्थिति तक पहुंच गया। पांच दिनों के मानसून सत्र के तीसरे और चौथे दिन तो क्रमश: विधानसभा और विधान परिषद की दूसरी पाली चली ही नहीं। संसदीय इतिहास का यह भी एक अनोखा रिकॉर्ड है। विधानसभा से लगातार दो दिन मार्शल आउट की नौबत बनी।

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    आमतौर पर ऐसा होता है कि बैठकें कम होने से महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा नहीं हो पाती और इस कारण सदन में हंगामे की नौबत बन आती है। संसदीय कार्य-प्रणाली के निर्धारण के समय एक अघोषित सहमति बनी थी कि वर्ष भर में  बड़ी विधानसभाओं में 100 से 120 और छोटी विधानसभाओं में 50 से 60 बैठकें होनी चाहिए।

    बैठकें होती भी हैं, लेकिन सदस्यों द्वारा कई बार ऐसी स्थिति पैदा कर दी जाती है कि समय से पहले ही सत्र समाप्त करना पड़ता है। परिणामस्वरूप अनेक सदस्यों की शिकायत होती है कि वे अपने क्षेत्र और जनहित के मामलों को सदन में उठाने से वंचित रह गए।

    लंबी अवधि के सत्र में शोर-शराबे के कारण विधायी कार्यों में अवरोध की अवधि भी तदनुरूप लंबी होती जाती है और कार्य-संचालन पर अपेक्षाकृत अधिक व्यय होता है। इससे भी अधिक चिंतनीय बहस के स्तर का कमतर होते जाना है। अफसोस यह कि खींचतान और कहासुनी के अलावा 17वीं विधानसभा ने अब तक बहस का ऐसा कोई अवसर सुलभ नहीं कराया, जो संसदीय इतिहास में उल्लेखनीय हो सके।

     विपक्ष की शिकायत यह कि सुशासन और विकास की गति पर तभी से विराम लग गया, जब जनादेश का निरादर करते हुए जदयू ने भाजपा से नाता तोड़ लिया। यह आरोप लगाते हुए विपक्ष भी भूल गया कि सकारात्मक राजनीति का उसने कोई उदाहरण प्रस्तुत नहीं किया, जबकि सदन में इसके लिए कई अवसर मिले।

    बैठकों का ब्योरा

    सर्वाधिक बैठकों वाली विधानसभा

          विधानसभा : बैठकों की संख्या

    • दूसरी : 434
    • पहली : 391
    • तीसरी : 330
    • छठी : 266
    • आठवीं : 208

    ..................

    कम बैठकों वाली विधानसभा

    विधानसभा : बैठकों की संख्या

    • चौथी : 94
    • पांचवीं : 123
    • सातवीं : 144
    • चौदहवीं और सोलहवीं : 154
    • ग्यारहवीं : 155

    (वर्ष 2023 में मानसून सत्र की समाप्ति तक 17वीं विधानसभा कुल नौ सत्रों में 96 बैठकें कर पाई है।)