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    Bihar News: दरभंगा का 'मखाना वाला' बना ब्रांड इंडिया का चेहरा, अमेरिका तक पहुंचा मिथिला का स्वाद

    Updated: Fri, 27 Jun 2025 06:26 PM (IST)

    दरभंगा के श्रवण कुमार रॉय ने यह साबित कर दिया है कि अगर सोच अलग हो और इरादे मजबूत हो तो किसी भी देसी उत्पाद को वैश्विक मंच तक पहुंचाया जा सकता है। मात्र 15 हजार रुपये से शुरू हुआ उनका “मखाना वाला” ब्रांड आज पैन इंडिया में फैला हुआ है और अमेरिका तक खुद की पहचान बना चुका है। उन्होंने कॉरपोरेट करियर में आठ लाख का पैकेज छोड़ मखाना को ग्लोबल ब्रांड बनाने की ठानी और आज सफलता की नई कहानी गढ़ रहे हैं।

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    डिजिटल डेस्क, पटना। दरभंगा के श्रवण कुमार रॉय ने यह साबित कर दिया है कि अगर सोच अलग हो और इरादे मजबूत हो तो किसी भी देसी उत्पाद को वैश्विक मंच तक पहुंचाया जा सकता है। मात्र 15 हजार रुपये से शुरू हुआ उनका “मखाना वाला” ब्रांड आज पैन इंडिया में फैला हुआ है और अमेरिका तक खुद की पहचान बना चुका है। उन्होंने कॉरपोरेट करियर में आठ लाख का पैकेज छोड़ मखाना को ग्लोबल ब्रांड बनाने की ठानी और आज सफलता की नई कहानी गढ़ रहे हैं।

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    G-20 सम्मेलन में पेश हुआ मखाना

    मिथिला क्षेत्र विशेषकर दरभंगा, मधुबनी और सहरसा के तालाबों से निकलने वाला मखाना अब सिर्फ पारंपरिक खाने तक सीमित नहीं रहा। श्रवण कुमार ने इसे स्नैक्स पैकेट में बदलकर एक हेल्दी फूड ब्रांड के रूप में स्थापित किया है। उनके ब्रांड “एमबीए मखानावाला” के तहत मखाना डोसा, मखाना कुकीज, मखाना खीर और अन्य स्वादिष्ट वेरायटी बाजार में उपलब्ध हैं। यही नहीं जी-20 जैसे वैश्विक मंच पर मखाने से बने खास व्यंजन भी पेश किए गये। दरभंगा एयरपोर्ट पर भी मखाना सेंटर स्थापित किया गया है।

    देसी स्वाद को मिला नया फ्लेवर

    इसके साथ ही श्रवण कुमार ने एक नया प्रयोग भी किया और अनोखा रेस्टोरेंट मॉडल विकसित करते हुए खाने के साथ मखाना फ्लेवर को भी जोड़ा। उन्होंने डोसा के साथ मखाना फ्लेवर या गुजराती ढोकले में मखाना को शामिल कर इसे पूरे भारत में फैला दिया।

    आईआईटी में असफलता से शुरू हुई उद्यमिता की राह

    श्रवण की माने तो वे तीन बार आईआईटी की परीक्षा में असफल हुए। यही असफलता उनके लिए प्रेरणा बनी और उन्होंने खुद का स्टार्टअप खड़ा किया। उन्होंने मखाना बेचने से शुरुआत की और फिर पैकेजिंग के रास्ते बुलंदियों को छुआ। आज उनके अथक प्रयास की बदौलत 100 से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है।

    संघर्षों से भरा रहा सफर

    श्रवण की माने तो उनका ये सफर संघर्षों से भरा पड़ा है। नौकरी छोड़ने का फैसला, परिवार का विरोध, बैंक से लोन लेने में परेशानी और कोविड लॉकडाउन जैसी चुनौतियां सामने आयीं लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्हें एमएसएमई ऑनर अवार्ड 2021, जिला आंट्रेप्रन्योरशिप अवार्ड 2022 से भी नवाजा गया है। वे मखाना के पहले जीआई अधिकृत उपयोगकर्ता हैं, जिसे भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग से मान्यता प्राप्त है।

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