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    फाइल से फील्ड तक एक्शन : योजनाओं को खंगालने में बढ़ी मंत्रियों की सक्रियता

    By RAMAN SHUKLAEdited By: Radha Krishna
    Updated: Sat, 13 Dec 2025 02:57 PM (IST)

    नई सरकार में मंत्रिमंडल गठन के साथ ही घटक दलों के मंत्रियों में विभागीय योजनाओं को खंगालने की होड़ मच गई है। लोजपारा एवं रालोमो कोटे के मंत्रियों की स ...और पढ़ें

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    उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने एक कदम आगे बढ़ जनसंवाद कार्यक्रम शुरू किया

    रमण शुक्ला,पटना। नई सरकार में मंत्रिमंडल गठन के साथ ही घटक दलों के मंत्रियों में विभागीय योजनाओं को खंगालने की होड़ मच गई है। विशेषकर सरकार में सम्मिलित हुए नए दलों लोजपारा (लोक जशक्ति पार्टी रामविलास) एवं रालोमो (राष्ट्रीय लोक मोर्चा) कोटे के मंत्रियों की सक्रियता चर्चा में है। रोचक तथ्य यह है कि नए विभाग का दायित्व संभालने के उपरांत उप मुख्यमंत्री द्वय सम्राट चौधरी एवं विजय कुमार सिन्हा भी सुर्खियां बटोर रहे हैं।

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    सम्राट जहां बतौर गृह मंत्री विधि-व्यवस्था एवं स्मार्ट पुलिसिंग को लेकर छाए हुए हैं। वहीं, विजय कुमार सिन्हा की जनसंवाद कार्यक्रम की प्रशंसा की जा रही है।

    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में रालोमो कोटे से सबसे कम उम्र के युवा पंचायती राज मंत्री बने दीपक प्रकाश के प्रयास भी दूरगामी संदेश के संकेत हैं। दीपक के सामने गांव की सरकार के साथ ही सर्वाधिक (2.50 लाख) जनप्रतिनिधियों को साधने का दायित्व है।

    जबकि लोजपारा कोटे के गन्ना उद्योग विभाग मंत्री संजय कुमार ने जिलों में जाकर योजनाओं के क्रियान्वयन और उसकी प्रगति का अवलोकन कर रहे हैं, अफसरों के साथ बैठक कर रहे हैं। संजय पर बिहार में नौ पुरानी और 25 नई चीनी मिल लगाने का अहम दायित्व है।

    संजय का स्पष्ट संदेश है कि योजनाएं कागजों में नहीं, बल्कि धरातल पर दिखनी चाहिए। उल्लेखनीय है वर्तमान सरकार में कुल 26 मंत्रियों में नौ नए नवेले हैं। जबकि छह के पास नए विभाग का दायित्व है।

    भरोसा कायम करने की रणनीति

    नए मंत्रियों के इस सक्रिय रुख के पीछे प्रशासनिक पकड़ मजबूत करने के साथ-साथ जनता के बीच भरोसा कायम करने की रणनीति भी मानी जा रही है।

    दरअसल, भाजपा कोटे के मंत्रियों को पार्टी की ओर यह निर्देश दिया गया है कि वे जिलों में जाकर अधिकारियों के साथ बैठक करें, योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट लें और जहां भी गड़बड़ी या शिथिलता दिखे, वहीं पर सुधारात्मक कदम उठाएं।

    इसी क्रम में कई मंत्रियों ने औचक निरीक्षण कर विभागीय अमले में हलचल भी पैदा कर दी है। इसमें सबसे शीर्ष पर उप मुख्यमंत्री द्वय हैं।
    जिलों में हो रहे दौरों के दौरान मंत्री योजनाओं के क्रियान्वयन की बारीकियों को खंगाल रहे हैं।

    खासतौर पर यह देखा जा रहा है कि लाभार्थियों तक योजनाओं का लाभ समय पर पहुंच रहा है या नहीं। कई जिलों में मंत्रियों ने सीधे लाभार्थियों से संवाद कर उनकी समस्याएं सुनीं, जिससे जमीनी सच्चाई सामने आई। इसमें परिवहन मंत्री श्रवण कुमार की पहल से हलचल बढ़ी है।

    नए मंत्रियों को यह स्पष्ट कर दिया गया है कि जिलों में बैठकों तक सीमित रहने के बजाय फील्ड में जाकर स्थिति का आकलन करना जरूरी है। इसी कारण मंत्री योजनास्थलों पर जाकर व्यवस्थाओं की पड़ताल कर रहे हैं।

    कुछ मामलों में लापरवाही पाए जाने पर अधिकारियों को फटकार भी लगाई गई है, तो वहीं अच्छे कार्यों के लिए प्रशंसा भी की जा रही है।


    इस सक्रियता का असर जिला प्रशासन पर भी साफ दिख रहा है। अधिकारियों और कर्मचारियों में योजनाओं को समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण तरीके से पूरा करने का दबाव बढ़ा है।

    योजनाओं में आ रही तकनीकी या प्रशासनिक बाधाओं को भी मौके पर ही चिह्नित कर समाधान निकालने की कोशिश की जा रही है।