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    Bihar MGNREGA job card: एक करोड़ 23 लाख जॉब कार्ड रद्द, चेक कर लें लिस्‍ट में आपका नाम तो नहीं...

    By Jagran NewsEdited By: Deepti Mishra
    Updated: Mon, 01 May 2023 04:19 PM (IST)

    मंत्री ने बताया कि बिहार ग्रामीण विकास विभाग की ओर से मनरेगा को लेकर एक अभियान चलाया गया जिसमें पता चला कि तीन करोड़ 85 लाख 69 हजार 626 मनरेगा जॉब कार ...और पढ़ें

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    बिहार क करोड़ 23 लाख श्रमिकों के मनरेगा जॉब कार्ड रद्द कर दिए गए हैं। फोटो प्रतीकात्‍मक

     एजेंसी, पटना: बिहार सरकार ने एक करोड 23 लाख से ज्यादा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) के तहत जारी किए गए जॉब कार्ड रद्द कर दिए हैं। राज्‍य के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने सोमवार को बताया कि 1.2 करोड़ फर्जी और अनुपयोगी मनरेगा जॉब कार्ड रद्द किए गए हैं। इस अवधि में राज्य सरकार ने अलग-अलग जिलों के 23 लाख 7 हजार श्रमिकों को नए जॉब कार्ड जारी भी किए हैं।

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    ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि बिहार ग्रामीण विकास विभाग की ओर से मनरेगा को लेकर एक अभियान चलाया गया, जिसमें पता चला कि तीन करोड़ 85 लाख 69 हजार 626 मनरेगा जॉब कार्ड में से एक करोड़ 23 लाख 13 हजार 927 जॉब कार्ड पिछले कई सालों से निष्‍क्रिय हैं। यानी कि इन जॉब कार्ड का इस्तेमाल ही नहीं किया गया। वहीं राज्य के अलग-अलग जिलों के श्रमिकों को 23 लाख 7 हजार श्रमिकों को नए मनरेगा जॉब कार्ड जारी भी किए गए हैं।

    किन लोगों का रद्द हुआ जॉब कार्ड?

    श्रवण कुमार ने बताया, ''सत्‍यापन में पता चला कि इनमें से कुछ फर्जी थे या आधार नंबर से जुड़े ही नहीं थे तो वहीं कुछ लाभार्थियों की मौत हो गई। इसके अलावा, वे मजदूर जिन्हें पहले मनरेगा जॉब कार्ड दिए गए थे और अब वे राज्य से पलायन कर चुके हैं। सत्यापन कराए जाने के बाद इन सभी के अनुपयोगी जॉब कार्ड रद्द कर दिए गए हैं।''

    किस जिले के रद्द किए गए सबसे ज्यादा कार्ड?

    मनरेगा जॉब कार्ड सबसे अधिक वैशाली जिले से 8,89,150 रद्द किए गए हैं। इसके बाद पटना से 7,55,308, समस्तीपुर से 6,30,654, अररिया से 6,14,530, दरभंगा से 5,79,778, औरंगाबाद से 2, 20,330 और बेगूसराय से 3,13,696 मनरेगा जॉब कार्ड रद्द किए गए हैं।

    15 दिन के भीतर दें काम, नहीं तो लगेगा जुर्माना

    मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि मनरेगा के अनुपयोगी कार्ड रद्द करने और नए कार्ड जारी करने के अलावा नौकरी की चाह रखने वालों को 15 दिन के भीतर काम मुहैया कराने के निर्देश दिए गए हैं। मनरेगा योजना के तहत जारी दिशा-निर्देशों का पालन कराने में विफल रहने वाले जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। जुर्माना भी लगाया जाएगा।

    बता दें कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (मनरेगा) का लक्ष्य श्रमिकों को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिन गारंटी काम प्रदान करना है ताकि ग्रामीण क्षेत्र में गरीब परिवारों की आजीविका चलती रहे।