1.5 साल पहले फाइलों में मृत घोषित ओझा जी फिर से हो गए जिंदा, अब हर महीने मिलेगी पेंशन
छपरा के ओझा जी, जिन्हें डेढ़ साल पहले मृत घोषित कर दिया गया था, अब सरकारी रिकॉर्ड में फिर से जिंदा हो गए हैं। पेंशन बंद होने के बाद, उन्होंने मुख्य सच ...और पढ़ें

1.5 साल पहले फाइलों में मृत घोषित ओझा जी फिर से जिंदा हो गए, अब हर महीने मिलेगी पेंशन (प्रतीकात्मक तस्वीर)
भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। छपरा के ओझा जी (पूरा नाम बताने की मनाही) विगत डेढ़ साल इस कोशिश में लगे थे उन्हें जिंदा लोगों की सूची में जगह मिल जाए। स्थानीय स्तर पर बाबूओं ने उनके मृत होने की रिपोर्ट बनाकर संबंधित विभाग को भेज दी थी पर वह जिंदा थे। जिंदा लोगों की सूची में जगह मिलने काे ले उनका संघर्ष इस महीने सफल हो गया।
मुख्य सचिव की देख-रेख में काम कर रहे आईटी आधारित शिकायत प्रणाली ने उन्हें जिंदा लोगों की सूची में डाल दिया। अब जिंदा हुए ओझा जी का ब्योरा उस विभाग को भेजा जा रहा जहां से उन्हें हर महीने पेंशन मिलनी है।
मामला कुछ इस तरह है-
ओझा जी को वृद्धजन पेंशन योजना के तहत डेढ़ साल पहले तक हर महीने 400 रुपए मिलते थे। अचानक उनका पेंशन बंद हो गया। अपने स्तर से उन्होंने पेंशन बंद होने की जानकारी हासिल किया तो यह बात आयी कि उन्हें मृत लोगों की सूची में शामिल कर दिया गया है। इस वजह से उनका पेंशन बंद हो गया है।
परेशान ओझा जी ने कई दफ्तरों को यह लिखा कि वह जिंदा हैं। लाइफ सर्टिफिकेट जमा किए जाने की बात भी बतायी पर कहीं से कोई फायदा नहीं हुआ। इसी बीच नवंबर में यह बात उन्होंने अखबार में पढ़ी कि मुख्य सचिव के स्तर पर एक शिकायत निवारण प्रणाली ने काम शुरू किया है। वहां भी उन्होंने अनमने ढंग से आवेदन करवा दिया।
इस प्रणाली के तहत 72 घंटे में शिकायत पर फॉलाेअप आना है। फाइलों में मर गए ओझा जी के परिजनों की तलाश शुरू हुई। स्थानीय स्तर पर काम कर रहे अधिकारियों को निर्देश गया। काफी उच्च स्तर से आए निर्देश से नीचे के स्तर पर काफी हड़कंप मचा।
स्थानीय अधिकारी ने ओझा जी के परिजनों से उच्च स्तर पर बात करायी और यह स्पष्ट किया कि वह अभी जिंदा हैं। इसके बाद उनके जिंदा रहने की रिपोर्ट अब समाज कल्याण विभाग को भेजी जा रही। दोषी पर कार्रवाई की भी बात है।
इस तरह से समाधान
मुख्य सचिव के शिकायत निवारण प्रणाली के तहत जब शिकायतें आती हैं तो आईटी आधारित एक फाइल खुलती है। उसे संबंधित विभागों को भेजा जाता है। इस पर 72 घंटे के अंदर संबंधित महकमे से रिपोर्ट आनी है। फाइल तब तक बंद नहीं होती जब तक मुख्य सचिव के स्तर पर उसे देख नहीं लिया जाता है।
कई मामले जीपीएफ भुगतान नहीं होने के भी पहुंचे हैं। पिछले महीने आरंभ हुए सिस्टम पर 30 से ऊपर शिकायतें अब तक पहुंची हैं।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।