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    Bihar Politics : बिहार में लोकसभा का चुनाव दो धुरी में बंटकर होगा, सीटों की रस्साकशी कहीं बिगाड़ न दे छोटे-बड़े दलों का 'खेला'

    Bihar Politics बिहार में लोकसभा चुनाव के लिए बिसात बिछने अभी थोड़ा वक्त है। परंतु सीटों को साझा करने के मामले में देखा जाए तो छोटे दलों के लिए बड़े दलों की झोली में बहुत कुछ नहीं है। चाचा-भतीजा की जोड़ी दोनों ओर है। वहीं चुनाव नजदीक आने के साथ जोड़-तोड़ की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।

    By Arun AsheshEdited By: Yogesh SahuUpdated: Wed, 06 Dec 2023 02:39 PM (IST)
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    Bihar Politics : बिहार में लोकसभा का चुनाव दो धुरी में बंटकर होगा

    अरुण अशेष, पटना। Bihar Politics : अब लगभग तय हो गया है कि बिहार में लोकसभा का चुनाव दो धुरी में बंटकर होगा। राजग और महागठबंधन के बीच सीधी लड़ाई होगी। राजग में भाजपा और महागठबंधन में जदयू एवं राजद की भूमिका दाता की है।

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    राजग के साथ पांच और महागठबंधन के साथ कुल छह दल जुड़े हुए हैं। दोनों को मिलाकर 11 दलों के बीच लोकसभा की 40 सीटों का बंटवारा होना है। लेकिन, बड़ा हिस्सा भाजपा, जदयू और राजग के बीच बंटेगा।

    भाजपा को साधना होगा समीकरण

    दूसरों को देने के मामले में भाजपा की झोली भरी हुई है। मगर, उसके हिस्सेदारों का मुंह भी उतना ही बड़ा है। लोजपा के दोनों गुटों की मांग जोड़ दें तो सात का हिसाब बैठता है।

    उम्मीद है कि चुनाव की घोषणा तक चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजा चिराग पासवान को भाजपा एक मंच पर बैठा देगी।

    यह हुआ, तब भी उसकी सीटों की संख्या नहीं बढ़ेगी। हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा और राष्ट्रीय लोक जनता दल की मांग मान ली जाए तो उन्हें आठ सीटें चाहिए। क्योंकि, यह मांग पिछले चुनाव में लड़ी गई सीटों के आधार पर होती है।

    महागठबंधन के घटक दलों की सीट शेयरिंग अहम

    महागठबंधन के घटक के तौर पर रालोजद (उस समय रालोसपा) को पांच और हम को तीन सीटें मिली थीं। फिलहाल इन दोनों दलों को मिलाकर भाजपा की झोली में महज तीन-चार सीटें हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा 17 सीटों पर लड़ी थी।

    पिछले चुनाव की तुलना में भाजपा के पास 23 अतिरिक्त सीटें हैं। लेकिन, वह बांटने के बदले अधिक से अधिक सीटों पर स्वयं लड़ना चाहती है। भाजपा को उम्मीद है कि जदयू के कुछ सांसद भी उसके पास आवेदन लेकर आएंगे।

    ये ऐसे सांसद हो सकते हैं, जिन्हें जदयू से टिकट मिलने की उम्मीद नहीं है। ऐसा भी हो सकता है कि ये ऐसे सांसद हों, जिन्हें बदले राजनीतिक समीकरण में जदयू टिकट पर जीत की उम्मीद नहीं है।

    महागठबंधन में सीटों की कमी

    भाजपा की तुलना में महागठबंधन में सीटों की बेहद कमी है। जदयू की 16 जीती हुई सीटें हैं। इससे कम पर वह राजी नहीं होगा। राजद भी कम से कम इतनी ही सीटों पर लड़ेगा। बची आठ सीटों के चार दावेदार हैं- कांग्रेस, भाकपा, माकपा और भाकपा माले।

    2019 के लोस चुनाव में महागठबंधन के घटक के रूप में कांग्रेस के नौ और भाकपा माले के एक उम्मीदवार मैदान में थे। इस तरह 10 का हिसाब तो इन्हीं दोनों का बन जाता है। भाकपा और माकपा को भी कम से कम एक-एक सीट चाहिए।

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