Move to Jagran APP

Bahubali Leaders : बिहार के वे बाहुबली, जिनके नाम पर आज भी है दहशत, परिवार को राजनीति में ऐसे किया स्थापित

bahubali leaders of bihar बिहार के मोकामा में बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी चुनाव जीत गई है। इसके साथ ही एक बार फिर बिहार की सियासत में बाहुबली की चर्चा शुरू हो गई है। ऐसे में आइए जानते हैं उन बाहुबलियों के बारे में जो बिहार की राजनीति पैठ बनाए।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 08 Nov 2022 11:56 AM (IST)Updated: Tue, 08 Nov 2022 11:57 AM (IST)
Bahubali Leaders : बिहार के वे बाहुबली, जिनके नाम पर आज भी है दहशत, परिवार को राजनीति में ऐसे किया स्थापित
बिहार की सियासत में बाहुबली नेता (फाइल फोटो)

पटना, आनलाइन डेस्क। बिहार में विधानसभा उपचुनाव के बाद एक बार फिर सियासत में बाहुबली और माफियाओं की चर्चा शुऱू हो गई है। मोकामा विधानसभा उपचुनाव (Mokama Byelection Results 2022) में महागठबंधन उम्मीदवार नीलम देवी को जीत मिली है। नीलम देवी आरजेडी के पूर्व विधायक अनंत सिंह (Anant Singh) की पत्नी हैं। अनंत सिंह की जीत की यात्रा 2005 से शुरू हुई। वह 2010, 2015 और 2020 के बाद उपचुनाव 2022 में भी जारी रही। जाहिर है यह चुनाव एक बार फिर साबित कर गया, जहां व्यक्तित्व हावी था और पार्टियों की भूमिका सीमित हो गई।

loksabha election banner

अनंत सिंह पर हत्या और रंगदारी के आरोप

मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह को कोर्ट से सजा मिलने के बाद उनकी सदस्यता समाप्त हो गई थी। अनंत सिंह को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सदन में रहना है। अनंत सिंह की सदस्यता खत्म होने से खाली हुई सीट पर उपचुनाव में भी अनंत का सिक्का चला। नीलम देवी को आरजेडी ने चुनाव मैदान में उतारा और वह सदन में पहुंच गई।

बता दें कि हत्या और अपहरण के लिए चर्चित अनंत सिंह की गिरफ्तारी से सियासत में हलचल मच गई थी।

अगवा कर हत्या की वजह से सुर्खियों में रहे इस बाहुबली नेता को सीएम नीतीश कुमार का काफी करीबी माना जाता था। एक समय उसके खिलाफ कई आपराधिक मामले भी सामने आए, लेकिन सरकार के दबाव के चलते पुलिस उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकी। बताते चलें कि अनंत सिंह के खिलाफ हत्या और रंगदारी के 30 मामले दर्ज हैं।

डीएम की हत्या कर सुर्खियों में आए आनंद मोहन

बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन का एक समय में राज्य के कोशी इलाके में दबदबा रहा है। बाहुबली ने 1990 में बिहार की राजनीति में एंट्री मारी थी। वह पहली बार सहरसा से विधायक बने। बाहुबली ने अपनी पत्नी लवली आनंद को राजनीतिक दहलीज पार कराकर 1994 में वैशाली से सांसद बनवा दिया था। आनंद मोहन को डीएम की हत्या में आजीवन कारावास की सजा हुई है। लवली आनंद राजनीति में एंट्री के बाद लगातार अपने पति की बेगुनाही को लेकर लड़ाई लड़ती रहीं।

आनंद मोहन लंबे समय से जेल में हैं। पैरोल पर बाहर आए हैं। आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद वर्तमान में राजद विधायक हैं। लिहाजा सत्ता की सियासी ताकत मिलनी शुरू हो गई है। आनंद मोहन की बेटी सुरभि आनंद की रिंग सेरेमनी में सीएम नीतीश के साथ कई मंत्री शामिल हुए। गोपालगंज में डीएम की हत्या के बाद सुर्खियों में आए आनंद मोहन को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। पप्पू यादव से हिंसक टकराव की घटनाएं देश भर में सुर्खियां बनीं।

90 के दशक में छाए हुए थे पप्पू यादव

90 के दशक में अपनी दबंगई से खबरों में रहने वाले पप्पू यादव के खिलाफ कई अपराधिक केस हैं। फिलहाल उनकी पत्नी राज्यसभा सदस्य हैं। पप्पू यादव पर कानून का शिकंजा तब कसा गया, जब उसने कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक अजीत सरकार की हत्या कर दी थी। इस आरोप में उसे अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे बरी कर दिया। पप्पू यादव का असली नाम राजेश रंजन है, लेकिन उन्हें लोग पप्पू यादव ही बुलाते हैं। उनके सियासी सफर की बात की जाए तो वह 1 बार विधायक और 5 बार सांसद रह चुके हैं।

पप्पू यादव ने 2015 में राजद से किनारा कर जन अधिकार नाम से अपनी पार्टी बना ली। उन्होंने 2019 में मधेपुरा से लोकसभा चुनाव के मैदान में दांव भी आज़माया, लेकिन हार गए। पप्पू यादव के 2019 लोकसभा चुनाव के एफिडेविट के मुताबिक, उनपर 31 आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं, 9 मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। वहीं, हत्या मामले में सज़याफ्ता होने के बाद सबूतों को अभाव में कोर्ट हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था।

राजन तिवारी का नाम भी है लिस्ट में

बिहार के दबंग नेताओं में राजन तिवारी पर हत्या और अपहरण के कई मामले सामने आए थे। बिहार ही नहीं, उत्तर प्रदेश में भी क्राइम में इस बाहुबली नेता का नाम छाया रहता है। राजन पर किडनैपिंग का मामला 2005 में सामने आया। फिलहाल उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में जेल में बंद राजन तिवारी कभी बिहार के माननीय नेताजी हुआ करते थे। दो-दो बार विधानसभा तक पहुंचने वाले इस बाहुबली नेता का नाता जितना राजनीति से रहा उससे कहीं ज्यादा लंबा इतिहास इनका अपराध से हैं। हत्या, किडनैपिंग, मारपीट, लूटपाट और गैंगस्टर एक्ट।

राजन तिवारी के बड़े भाई राजू तिवारी भी राजनीति में ही हैं। 2015 में गोविंदगंज से ही उन्होंने लोकजनशक्ति पार्टी की टिकट पर चुनाव जीता था। फिलहाल वो एलजेपी की बिहार यूनिट के अध्यक्ष हैं। राजन तिवारी की मां कांती देवी भी ब्लॉक प्रमुख रह चुकी हैं।

सुनील पांडे पर भी है कई आरोप

किडनैपिंग, हत्या जैसे मामलों के बाद चर्चा में आए जेडीयू के नेता सुनील पांडे को इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि उन्होंने ब्लास्ट के आरोपी को भगाने और छिपाने का अपराध किया था। मूल रूप से रोहतास जिले के काराकाट थाना के नावाडीह गांव निवासी पूर्व विधायक सुनील पांडेय का राजनीतिक कार्य क्षेत्र भोजपुर जिला रहा है। 2020 में तरारी सीट से निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़े थे। हालांकि, कड़ी टक्कर देने के बाद वे हार गए थे।

समता पार्टी से राजनीति का सफर शुरू करने वाले पांडेय की शुरुआती छवि बाहुबली की रही। भोजपुर के पीरो विधानसभा क्षेत्र से 2000 में पहली बार चुनाव मैदान में उतरे और थे विधायक चुन लिए गए थे। इसके बाद जीत की हैट्रिक लगाई थी। राजनीति सफर में जदयू से लेकर लोजपा तक से जुड़ चुके हैं।

बाहुबली सूरजभान ने पत्नी को सांसद बनवा दिया

90 के दशक में बिहार के बड़े बाहुबल के रूप में उभरकर सामने आए सूरजभान सिंह ने भी राजनीति में एंट्री मारी। बाहुबली की राजनीतिक एंट्री से ताकत और बढ़ गई। बाहुबली के ताप से उनके पिता ने गंगा में कूदकर जान दे दी थी। बड़े भाई सीआरपीएफ के जवान ने भी मौत को गले लगा लिया। इसके बाद भी सूरजभान सिंह की जरायम में धमक कम नहीं हुई। सूरजभान पहली बार वर्ष 2000 में विधायक बने।

वर्ष 2004 में वह रामविलास की पार्टी लोजपा से बलिया लोकसभा सीट (अब मुंगेर सीट) से सांसद बन गए। अनंत की तरह सूरजभान को भी यह पहले पता था कि उनपर लगा अपराध का दाग कभी राजनीतिक रूट का ब्रेक बनेगा, इस कारण उन्होंने अपनी पत्नी वीणा देवी को मैदान में उतार दिया।

शहाबुद्दीन की पत्नी नहीं बन पाई आवाज

बाहुबली नेता कहे जान वाला शहाबुद्दीन अपराध की दुनिया का बड़ा नाम रहा है। शहाबुद्दीन 1986 से मात्र 19 साल की उम्र में ही अपराध की दुनिया में शामिल हो चुका था। जिसके बाद वो 24-25 साल की उम्र में सक्रिय राजनीति का भी एक बड़ा नाम बना। बाहुबली शहाबुद्दीन की पत्नी राजनीति में सफल नहीं हो पाई। शहाबुद्दीन की पत्नी हिना साहेब राजनीति में पति की तरह सिक्का नहीं जमा पाईं। शहाबुद्दीन चाहते थे कि हिना राजनीति में दमदारी से दखल करें, लेकिन वह अपनी मंशा में कामयाब नहीं हो पाए।

वर्ष 1996 से लेकर 2009 तक चार बार विधायक रहे शहाबुद्दीन पार्टी के टिकट बंटवारे में बड़ा रोल अदा करते रहे, लेकिन वह उन्हें राज्यसभा में भी एंट्री नहीं दिला पाए। शहाबुद्दीन का वर्चस्व होने के बाद भी हिना को सफलता नहीं मिली। वह तीन तीन बार लोकसभा का चुनाव लड़ी, लेकिन एक बार भी सफल नहीं हो पाईं। शहाबुद्दीन के बाद समर्थक भी हिना को सदन में देखना चाहते थे और इसलिए राज्यसभा के लिए समर्थकों ने आवाज भी उठाई, लेकिन पार्टी ने इस पर ध्यान नहीं दिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.