Land Registry in Bihar: जमीन की खरीद-बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जमाबंदी या होल्डिंग नंबर की अनिवार्यता पर दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में जमीन की खरीद-बिक्री पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने जमीन की रजिस्ट्री के लिए जमाबंदी और होल्डिंग नंबर की अनिवार्यता पर आदेश दिया है। इस फैसले से भूमि रजिस्ट्री में खरीदार और विकेता को काफी सहुलियत होगी।

जमाबंदी या होल्डिंग नंबर की अनिवार्यता खत्म। सांकेतिक तस्वीर
विधि संवाददाता, पटना। Land Registry in Bihar: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के उस संशोधन को रद कर दिया है, जिसके तहत बिना जमाबंदी या होल्डिंग नंबर के किसी भी जमीन की बिक्री या उपहार (गिफ्ट डीड) की रजिस्ट्री नहीं की जा सकती थी।
शीर्ष न्यायालय ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि बिहार निबंधन नियमावली, 2008 के नियम 19(17) और 19(18) में 2019 में किया गया संशोधन अवैध है, क्योंकि यह पंजीयन अधिनियम, 1908 की धारा 69 के तहत प्रदत्त अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब बिहार में जमीन की खरीद-बिक्री के लिए जमाबंदी या होल्डिंग नंबर प्रस्तुत करना अनिवार्य नहीं रहेगा।
न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जायमाल्या बागची की खंडपीठ ने शुक्रवार को समीउल्लाह की ओर से दायर एसएलपी (सिविल) पर सुनवाई के बाद 34 पन्नों में विस्तृत फैसला सुनाया।
आवेदक की ओर से वरीय अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा और अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्रा ने दलील दी कि राज्य सरकार द्वारा 10 अक्टूबर 2019 को नियम 19 में किए गए संशोधन से यह शर्त जोड़ दी गई थी कि भूमि की बिक्री या दान केवल तभी संभव होगा, जब विक्रेता या दानदाता के नाम से संबंधित भूमि की जमाबंदी या होल्डिंग दर्ज हो।
इस संशोधन के बाद निबंधन पदाधिकारियों को यह सुनिश्चित करना आवश्यक कर दिया गया था कि संपत्ति का निबंधन तभी किया जाए, जब विक्रेता के नाम से जमाबंदी/होल्डिंग कायम हो।
ऐसी स्थिति में जिनके नाम पर जमाबंदी नहीं थी, वे अपनी जमीन का विक्रय या दान नहीं कर सकते थे। पटना हाई कोर्ट ने अपने 21 पन्नों के आदेश में राज्य सरकार के संशोधन को वैध माना था।
हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जिस पर सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने पटना हाईकोर्ट के निर्णय और राज्य सरकार के संशोधन दोनों को निरस्त कर दिया।
विधि आयोग करे व्यापक समीक्षा
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में विधि आयोग से अनुरोध किया है कि वह इस मुद्दे की व्यापक समीक्षा करे और केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, हितधारकों तथा सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों से परामर्श लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करे।
उल्लेखनीय है कि शीर्ष अदालत ने 13 मई 2024 को ही संशोधन पर अंतरिम रोक लगाते हुए कहा था कि संशोधन के बाद हुए जमीन के सभी निबंधन अंतिम फैसले के परिणाम पर निर्भर रहेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति का अचल संपत्ति रखने, खरीदने और बेचने का अधिकार संवैधानिक रूप से संरक्षित है। बिहार सरकार द्वारा लागू किया गया यह संशोधन उस अधिकार पर अनुचित प्रतिबंध लगाता है।
कोर्ट ने कहा कि जब तक जमाबंदी और विशेष सर्वेक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक इसे पंजीयन की पूर्वशर्त बनाना मनमाना और असंवैधानिक है।

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