प्राकृतिक आपदाओं से सबक लेकर संभल रहा बिहार, 30 वर्षो के रोडमैप पर हो रहा काम
जोशीमठ की प्राकृतिक आपदा को बिहार से जोड़कर देखा जा सकता है। वहां ग्लेशियर के फटने से तबाही आई। बिहार में 13 वर्ष पहले कोसी पर कुसहा बांध ने बड़ी तब ...और पढ़ें

पटना, अरविंद शर्मा। जोशीमठ की प्राकृतिक आपदा को बिहार से जोड़कर देखा जा सकता है। वहां ग्लेशियर फटने से तबाही मची है और बिहार के सुपौल में 13 साल पहले कुसहा बांध टूटने से बर्बादी हुई थी। बिहार ने उस आपदा से सबक लिया और जरूरत के हिसाब से व्यवस्था बनाई। तब महज एक लाख 67 हजार क्यूसेक पानी से ही कोसी बेकाबू हो गई थी। अब चार लाख क्यूसेक पानी भी आसानी से गुजर जाता है। कोई नुकसान नहीं कर पाता। सबक मिला तो बिहार संभल गया। अपने चेतावनी सिस्टम को मजबूत किया।
याद कर रुह कांप जाती
संभलना इसलिए भी जरूरी था, क्योंकि बिहार में हर साल बाढ़ आती है। तबाही भी मचाती है। जान-माल का नुकसान होता है। कुसहा में कोसी ने तो 2013 में कहर ही ढा दिया था। याद कर रुह कांप जाती है। 18 अगस्त की रात नेपाल के कुसहा गांव के पास करीब दो किमी के दायरे में तटबंध टूट गया था। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार बाढ़ के पानी ने उत्तर बिहार के तीन जिलों मधेपुरा, सुपौल और सहरसा 441 गांवों को चपेट में ले लिया था। करीबन 526 लोगों की जान गई थी। यह सरकारी आंकड़ा है। हकीकत कुछ और हो सकती है।
सबक ये लिया
सबक क्या लिया? जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी बताते हैं कि दोबारा ऐसी आपदा नहीं आए, इसके लिए दो स्तर पर काम शुरू किया गया। चेतावनी (अलार्मिंग) सिस्टम को मजबूत किया। बिहार में बाढ़ अक्सर उत्तर की नदियां लेकर ही आती हैं, जिनका जलग्रहण क्षेत्र नेपाल है। जल संसाधन विभाग ने फ्लड मैनेजमेंट इंप्रूवमेंट सपोर्ट सिस्टम (एफएमआइएससी) बनाया और नेपाल के जलग्रहण क्षेत्रों में बारिश का आकलन कर तीन दिन पहले अनुमान जारी करने लगा। इससे आपदा आने के पहले पता चल जाने लगा कि बिहार की किस नदी मेें कितना पानी आ सकता है। इससे बचाव के लिए मोहलत मिलने लगी। यही कारण है कि पिछले साल गंडक में आए रिकार्ड छह लाख क्यूसेक पानी को बेहतर प्रबंधन के जरिए आपदा में तब्दील होने से रोक दिया गया। दूसरा सबक लेकर कोसी एवं अन्य खतरनाक नदियों के किनारों को दुरुस्त किया गया। कोसी के दोनों किनारों को इतना मजबूत कर दिया गया है कि अब वहां गाडिय़ां दौड़ती हैं।
अगले 30 वर्ष के लिए बनाया बचाव का रोडमैप
आपदा से बचाव के लिए जमीनी स्तर पर भी काम किया जा रहा है। आपदा प्रबंधन विभाग ने भौगोलिक स्थिति एवं विभिन्न तरह की प्राकृतिक आपदाओं के खतरे को देखते हुए अगले 30 वर्ष का रोडमैप बनाया है। इसमें भूकंप से लेकर अन्य तरह की आपदा से बचाव की चिंता की जा रही। लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। चूंकि बिहार के लिए बाढ़ बड़ी आपदा है। इसलिए आशंका वाले क्षेत्रों में अभियान चलाकर लोगों को बचाव के तरीके बताए जा रहे हैैं।

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