MP में जहरीले कफ सीरप से बच्चों की मौत के बाद बिहार में अलर्ट, राज्य भर में शुरू हुआ सैंपलिंग अभियान
मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सीरप से बच्चों की मौत के बाद बिहार में निगरानी बढ़ा दी गई है। औषधि नियंत्रक ने संदिग्ध कफ सीरप के नमूने जांच के लिए भेजने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश में श्रीसन फार्मा की दवाएं नहीं बिकती हैं। डाइएथिलीन ग्लाइकोल वाले कफ सीरप की बिक्री भी नहीं होती। एहतियात के तौर पर सैंपलिंग अभियान चलाया जा रहा है ताकि मिलावट का पता चल सके।

बिहार में कफ सीरप की जांच को लेकर शुरू हुआ सैंपलिंग अभियान। सांकेतिक
जागरण संवाददाता, पटना। मध्यप्रदेश में जहरीला कफ सीरप पीने से 20 बच्चों की मौत के बाद अब प्रदेश में इसकी निगरानी तेज हो गई है।
औषधि नियंत्रक नित्यानंद किसलय ने सभी सहायक औषधि निरीक्षकों से अपने-अपने क्षेत्र में सभी प्रकार के संदिग्ध कफ सीरप व दवाओं के नमूने लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के श्रीसन फार्मा की कोल्ड्रिफ या अन्य दवाएं नहीं बिकती हैं। इसके अलावा रेस्पफ्रेश व रिलाइफ नामक जिन कफ सीरप में खतरनाक स्तर पर डाइएथिलिन ग्लाईकाल पाया गया है, उनकी बिक्री भी यहां नहीं होती है।
बावजूद इसके कोई जीवनरक्षक दवा घातक साबित नहीं हो, दोबारा इस तरह के निर्देश दिए गए हैं ताकि किसी भी तरह की मिलावट या गुणवत्ता में गड़बड़ी का समय रहते पता चल सके।
बता दें कि मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में स्थानीय रूप से बेचे जा रहे श्रीसन फार्मा कंपनी के कोल्ड्रिफ सीरप पीने के बाद 20 बच्चों की मौत हो गई थी।
इस कफ सीरप में जांच के दौरान खतरनाक रसायन डाइएथिलीन ग्लाइकाल (डीईजी) पाया गया, जो मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद जहरीला होता है।
इसके बाद केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने देशभर के सभी कफ सीरप निर्माताओं की सूची मांगी है और व्यापक जांच अभियान शुरू किया है। आने वाले एक महीने में सभी कफ सीरप की परीक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक करने की योजना है।
सीडीएससीओ व राज्य औषधि विभागों को निर्देश दिया गया है कि हर निर्माता यह सुनिश्चित करे कि कफ सीरप का प्रत्येक बैच जारी करने से पहले लैब में जांच की जाए और कच्चा माल केवल अनुमोदित आपूर्तिकर्ताओं से ही खरीदा जाए।
प्रदेश में छह माह पहले से सख्त हुई जांच
औषधि नियंत्रक ने बताया कि प्रदेश में औषधि निरीक्षकों को हर माह कम से कम पांच सैंपल और पांच छापेमारी करने का निर्देश लागू है। इससे दवा की गुणवत्ता में सुधार देखने को मिला है।
अब राज्यभर में इस जांच को और तेज कर दिया गया है। औषधि नियंत्रक ने स्पष्ट किया है कि एहतियात के तौर पर राज्य में सैंपलिंग अभियान चलाया जा रहा है।
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