नीतीश कुमार का बड़ा फैसला: IAS संजीव हंस को मिली राहत, निलंबन समाप्त, अब नई भूमिका का इंतजार
बिहार सरकार ने आईएएस संजीव हंस का निलंबन समाप्त कर दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी किया। मनी लॉन्ड्र ...और पढ़ें

IAS संजीव हंस को मिली राहत
जागरण संवाददाता, पटना। बिहार सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजीव हंस को बड़ी प्रशासनिक राहत देते हुए उनका निलंबन समाप्त कर दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर सामान्य प्रशासन विभाग ने सोमवार को इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी कर दिया। इसके साथ ही राज्य सरकार में उनकी दोबारा तैनाती का रास्ता साफ हो गया है। माना जा रहा है कि जल्द ही उन्हें किसी अहम विभाग की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
संजीव हंस ऊर्जा विभाग के पूर्व प्रधान सचिव रह चुके हैं और प्रशासनिक सेवा में उनका लंबा अनुभव रहा है। मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में गिरफ्तारी के बाद उन्हें अक्टूबर 2024 में निलंबित कर दिया गया था।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई के बाद वे लगभग एक वर्ष तक पटना की बेऊर जेल में न्यायिक हिरासत में रहे। इस दौरान उनकी सेवा स्थिति पर भी प्रश्नचिह्न लगा हुआ था।
हालांकि, अक्टूबर महीने में पटना हाई कोर्ट से सशर्त जमानत मिलने के बाद परिस्थितियां बदलनी शुरू हुईं। हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए यह शर्त लगाई थी कि वे देश से बाहर नहीं जाएंगे और मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में नियमित रूप से उपस्थित रहेंगे।
जमानत मिलने के बाद संजीव हंस ने सामान्य प्रशासन विभाग में योगदान भी दे दिया था, जिसके बाद निलंबन समाप्त होने की अटकलें तेज हो गई थीं।
संजीव हंस के अधिवक्ता डॉ. फारुख खान के अनुसार, अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान कई गंभीर खामियों की ओर ध्यान दिलाया।
कोर्ट का मानना था कि अभियोजन पक्ष की ओर से ऐसा कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे यह साबित हो सके कि आरोपी ने वित्तीय लेन-देन के जरिए अपराध से अर्जित धन का उपयोग किया है। इसी आधार पर अदालत ने हिरासत को आवश्यक नहीं मानते हुए जमानत दी।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि निलंबन समाप्त होने के बाद अब संजीव हंस की नई तैनाती पर मंथन शुरू हो गया है।
राज्य सरकार उनके अनुभव और वरिष्ठता को देखते हुए उपयुक्त विभाग में पदस्थापन कर सकती है। हालांकि, फिलहाल इस पर आधिकारिक रूप से कोई घोषणा नहीं की गई है।
उल्लेखनीय है कि इसी मामले में हाई कोर्ट ने स्मार्ट मीटर समेत अन्य टेंडरों से जुड़े कथित रिश्वत और मनी लॉन्ड्रिंग प्रकरण में आरोपित निजी कंपनियों से जुड़े तीन अन्य लोगों को भी जमानत दे दी है।
ये सभी करीब दस महीने से जेल में बंद थे। अदालत के इस फैसले के बाद इन आरोपितों के भी जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है।
कुल मिलाकर, संजीव हंस के निलंबन समाप्त होने को प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों दृष्टि से अहम माना जा रहा है। अब सबकी नजर इस पर टिकी है कि राज्य सरकार उन्हें कब और किस जिम्मेदारी के साथ दोबारा सक्रिय भूमिका में लाती है।

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