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    विकास और कल्याणकारी योजनाओं के लिए बिहार को मिले 7338 करोड़, सिक्किम को सबसे कम तो यूपी को मिली सबसे ज्यादा रकम!

    Updated: Tue, 26 Dec 2023 06:30 AM (IST)

    Bihar Latest News विभाज्य करों में राज्यों की हिस्सेदारी के अतिरिक्त किस्त के रूप में बिहार को इस माह 7338 करोड़ रुपये मिले हैं। वित्त मंत्रालय ने यह राशि जारी भी कर दी है। इसके अलावा सामाजिक व जन-कल्याणकारी योजनाओं पर भी यह राशि खर्च की जा सकती है। इनके अतिरिक्त किसी दूसरे मद में यह राशि व्यय नहीं होगी।

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    Bihar Latest News: सर्वाधिक राशि (13088.51) उत्तर प्रदेश को मिली है।

    राज्य ब्यूरो, पटना। विभाज्य करों में राज्यों की हिस्सेदारी के अतिरिक्त किस्त के रूप में बिहार को इस माह 7338 करोड़ रुपये मिले हैं। वित्त मंत्रालय ने यह राशि जारी भी कर दी है। शर्त यह कि इससे राज्य में आधारभूत संरचनाओं का विकास होगा। इसके अलावा सामाजिक व जन-कल्याणकारी योजनाओं पर भी यह राशि खर्च की जा सकती है। इनके अतिरिक्त किसी दूसरे मद में यह राशि व्यय नहीं होगी।

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    यूपी और गोवा को कितने करोड़ मिले!

    यह अतिरिक्त किस्त दूसरे राज्यों को भी जारी हुई है। सर्वाधिक राशि (13088.51) उत्तर प्रदेश को मिली है। राज्य के कर-संग्रहण क्षमता के हिसाब से यह स्वाभाविक स्थिति है। उत्तर प्रदेश के बाद बिहार अधिक राशि पाने वाला दूसरा प्रमुख राज्य है। तीसरे क्रमांक पर पड़ोसी बंगाल है, जिसे 5488.88 करोड़ रुपये मिले हैं। सभी राज्यों को मिलाकर कुल 72961.21 करोड़ रुपये दिए गए हैं। सबसे कम राशि पाने वालों में सिक्किम व गोवा हैं। उन्हें क्रमश: 283 और 281 करोड़ रुपये मिले हैं।

    42 फीसदी बढ़ी राज्यों की हिस्सेदारी

    जारी हुई यह राशि कर हस्तांतरण की नियमित किस्तों के अतिरिक्त है। नियमित किस्त भी अपने निर्धारित समय पर मिल जाएगी। उसके दस जनवरी के आसपास मिलने की संभावना है। नियमित किस्त का यह दसवां चरण होगा। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ाकर 42 प्रतिशत की जा चुकी है। केंद्र सरकार बता रही कि उसका पर्याप्त लाभ बिहार को भी मिल रहा है। हालांकि, राज्य सरकार राज्यांश व केंद्रीय अनुदान में बिहार की अनदेखी का प्राय: आरोप लगाती रही है। उसका ठोस आधार भी है। कारण चाहे जो भी हो, लेकिन इस वित्तीय वर्ष (2023-24) की पहली तिमाही में बिहार को केंद्र से कोई राशि नहीं मिली। राज्य का अपना वित्तीय प्रबंधन बेहतर नहीं होता तो सामान्य खर्च के लिए भी धन जुटाने की नौबत बन आती।