तीन ग्रामीण बैंकों के आईपीओ की तैयारी, केंद्र सरकार के फैसले का हो रहा विरोध
केंद्र सरकार हरियाणा, केरल और तमिलनाडु के क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने की तैयारी में है। बिहार ग्रामीण बैंक को भी आईपीओ क ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पटना। केंद्र सरकार हरियाणा, केरल और तमिलनाडु के क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने की तैयारी में है। इसी कड़ी में बिहार ग्रामीण बैंक को भी आईपीओ की प्रक्रिया में शामिल किए जाने की संभावना है।
इसके लिए बुधवार को वित्त मंत्रालय में तीनों ग्रामीण बैंकों के चेयरमैन, नाबार्ड तथा वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधियों की एक अहम बैठक हुई, जिसमें चालू वित्त वर्ष के भीतर आईपीओ लाने की दिशा में कदम तेज करने पर चर्चा की गई।
ग्रामीण बैंक कर्मियों ने आईपीओ की इस प्रक्रिया को निजीकरण की दिशा में पहला कदम बताते हुए इसके विरोध में देशभर में काला बिल्ला धारण कर विरोध दिवस मनाया। विरोध प्रदर्शन का आह्वान यूनाइटेड फोरम ऑफ ग्रामीण बैंक यूनियन्स द्वारा किया गया।
फोरम के संयोजक डीएन त्रिवेदी ने कहा कि राज्य स्तर पर ग्रामीण बैंकों के एकीकरण का मुख्य उद्देश्य आरआरबी का आईपीओ लाना था।
उनका आरोप है कि ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 में किए गए संशोधन के बाद बैंकों को अन्य स्रोतों से पूंजी जुटाने की अनुमति मिलने से निजीकरण का रास्ता खुल गया है।
उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक छोटे किसानों, कृषि श्रमिकों, कारीगरों और ग्रामीण उद्यमियों को ऋण एवं बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। निजी पूंजी के प्रवेश से मुनाफे को प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे अलाभकारी ग्रामीण शाखाएं बंद होने और ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण सुविधा प्रभावित होने की आशंका है।
यूनाइटेड फोरम ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इस निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया तो संसद के आगामी बजट सत्र के दौरान हड़ताल की जाएगी।

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