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    थारू समाज के समावेशी विकास पर बिहार सरकार का बड़ा दांव, 30 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 08:15 AM (IST)

    बिहार सरकार ने थारू समाज के समावेशी विकास के लिए 30 करोड़ रुपये का विशेष आवंटन किया है। इस पैकेज से सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक उत्थान से जुड़े कार्यो ...और पढ़ें

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    थारू समाज के समावेशी विकास पर बिहार सरकार का बड़ा दांव

    डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार सरकार ने थारू समाज के समावेशी और सर्वांगीण विकास के लिए बड़ा कदम उठाते हुए 30 करोड़ रुपये का विशेष आवंटन किया है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री लखेंद्र कुमार रौशन ने कहा कि इस विशेष पैकेज से थारू समाज के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक उत्थान से जुड़े कई विकासात्मक कार्यों को गति मिलेगी। सरकार की यह पहल राज्य के वंचित और पिछड़े समुदायों को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में अहम मानी जा रही है।

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    मंत्री ने बताया कि राज्य में थारू समाज सहित अन्य असहाय और वंचित वर्गों के करीब 22 लाख लोगों को चिन्हित करते हुए एक विशेष सूची तैयार की गई है।

    इसके आधार पर योजनाओं को लक्षित तरीके से लागू किया जा रहा है। पश्चिमी चंपारण क्षेत्र में थारू समाज की बहुलता को देखते हुए थरुहट विकास अधिकरण के माध्यम से कई जनहितकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं।

    इन योजनाओं का उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आवास और आधारभूत संरचना को मजबूत करना है। मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि आवश्यकता पड़ने पर इस अधिकरण के विस्तार और योजनाओं के लिए केंद्र सरकार से सहयोग लिया जाएगा।

    राष्ट्रीय जनजातीय सेमिनार का आयोजन

    इसी क्रम में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के अंतर्गत बिहार अनुसूचित जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान की ओर से पटना के तारामंडल परिसर स्थित सभागार में राष्ट्रीय जनजातीय सेमिनार का आयोजन किया गया।

    सेमिनार का मुख्य उद्देश्य जनजातीय समुदायों के विकास कार्यों को नई दिशा देना और सरकारी योजनाओं व कार्यक्रमों में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना रहा।

    कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए विभागीय निदेशक प्रियंका रानी ने कहा कि प्रशासनिक सेवा, राजनीति, शिक्षा और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में जनजातीय समुदायों की सहभागिता बढ़ाना समय की आवश्यकता है।

    उन्होंने बताया कि बिहार अनुसूचित जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान का नया भवन मीठापुर में निर्माणाधीन है, जिसका कार्य जनवरी माह से प्रारंभ किया जाएगा। इससे शोध, प्रशिक्षण और नीति निर्माण से जुड़े कार्यों को और मजबूती मिलेगी।

    सेमिनार में उपस्थित विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र ने कहा कि जनजातीय समुदायों की सामाजिक संरचना और उनकी जरूरतों को समझकर ही प्रभावी योजनाएं बनाई जा सकती हैं। उन्होंने समाज की मुख्यधारा में उनकी भागीदारी को प्राथमिकता देने पर जोर दिया। अन्य विशेषज्ञों ने भी जनजातीय विकास, संस्कृति संरक्षण और शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर अपने विचार साझा किए।

    कार्यक्रम में विशेष कार्य पदाधिकारी दीवान जफर हुसैन, उप सचिव ज्योति झा, बिहार महादलित विकास मिशन के मिशन निदेशक गौतम पासवान, भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण के निदेशक प्रो. बीवी शर्मा सहित कई अधिकारी, शोधकर्ता और समाजसेवी उपस्थित रहे।