बिहार में नहीं रुकेगी इन बच्चों की पढ़ाई, सरकार उठाएगी पूरा खर्च; चिह्नित करने की तैयारी शुरू
बिहार सरकार ने अनाथ और गरीब बच्चों की शिक्षा का पूरा खर्च उठाने का निर्णय लिया है। अब किसी भी बच्चे की पढ़ाई आर्थिक तंगी के कारण नहीं रुकेगी। शिक्षा व ...और पढ़ें
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अनाथ बच्चों को पढ़ाएगी सरकार। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, पटना। ईंट-भट्टे के कामगारों के बच्चे और अनाथ बच्चों की पहचान कर स्कूलों में नामांकन कराया जाएगा। यह प्रक्रिया आगामी शैक्षणिक सत्र अप्रैल 2026 से शुरू की जाएगी।
इन बच्चों की पहचान कर निशुल्क रहने की व्यवस्था जिले में स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय छात्रावास में की जाएगी और छात्रावास के बगल में ही स्थित प्रारंभिक स्कूलों में नामांकन कराया जाएगा।
वर्तमान में जिले में नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय छात्रावास दो जगह एक टीके घोष एकेडमी और दूसरा पटना हाई स्कूल, गर्दनीबाग में संचालित किया जा रहा है। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद से मिले निर्देश के बाद बात जिला शिक्षा कार्यालय ने कमजोर और अभिवंचित वर्ग के बच्चों को पहचान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इन छात्रों का कराया जाएगा नामांकन
- अनाथ या एकल अभिभावक वाले बच्चे
- शहरी अभिवंचित
- नक्सली गतिविधियों में मारे गए माता-पिता के बच्चे
- ईंट-भट्टे में काम कर रहे अभिभावकों के बच्चे
- भिक्षावृति करने वाले अभिभावक के बच्चे
- खनन क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर के बच्चे
- होटल गैरेज में काम करने वाले बच्चे
- मानव तस्करी गतिविधियों से प्रभावित बच्चे
- अनुसूचित जाति व जनजाति के बीपीएल परिवार के बच्चे
- प्रवास के दौरान दूसरे राज्यों में जाने वाले अभिभावकों के बच्चे
- दूसरे राज्यों से आने वाले प्रवासी बच्चे
- कोविड काल में माता-पिता की मृत्यु के बाद अनाथ बच्चे
इन बच्चों को जिले में स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस छात्रावास में रहने की निशुल्क व्यवस्था की जाएगी। दोनों छात्रावास में सौ-सौ बच्चों के रहने की व्यवस्था है।
छात्रावास में रहने व खाने की निशुल्क व्यवस्था
जिला शिक्षा पदाधिकारी साकेत रंजन ने बताया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस छात्रावास में नामांकित बच्चों को सरकार की ओर से निशुल्क पढ़ाई के साथ-साथ निशुल्क भोजन, पोशाक, कपड़ा, जूता, साबुन, ठंड के दिनों में कंबल, बेड निशुल्क प्रदान किया जाता है।
इसके अलावा मौसमी फल बच्चों को दिया जाता है। नामांकन प्रक्रिया अप्रैल 2026 में शुरू होगी। वर्तमान में भी इस तरह के बच्चे यहां रहकर पढ़ाई कर रहे हैं।

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