Bihar News: अब सरकारी स्कूलों में पढ़ाई संग रोजगार की तैयारी, 5 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू
सरकारी स्कूलों में नौवीं से 12वीं कक्षा के छात्रों को पढ़ाई के साथ कौशल विकास, स्वरोजगार और उद्यमिता का प्रशिक्षण मिलेगा। राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति के ...और पढ़ें

रवि कुमार, पटना। सरकारी स्कूलों में कक्षा नौवीं से 12 वीं तक के विद्यार्थी पढ़ाई के साथ अब कौशल विकास, स्वरोजगार व उद्यमिता में भी पारंगत होंगे। राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति के तहत स्कूल से ही विद्यार्थियों स्वरोजगार और जीवन कौशल विकास में प्रशिक्षित किया जाएगा।
शिक्षा मंत्रालय के दिशा-निर्देश पर बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने इस योजना पर कार्य शुरू कर दिया है। पटना, नवादा, रोहतास, मुजफ्फरपुर और भागलपुर जिलाें में पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस योजना की शुरूआत हो रही है। इसके बाद इसे अन्य जिलों में लागू किया जाएगा।
उद्यमिता व करियर पर रहेगा विशेष जोर:
रोजगार एवं जीवन कौशल विकास योजना में कक्षा नौवीं से से 12वीं तक के विद्यार्थियों को जोड़ा जाएगा। इस योजना के तहत विद्यार्थी 12 वीं के बाद उद्यमिता, करियर मार्गदर्शन और भविष्य में स्व-रोजगार की क्षमता विकसित कर सकते हैं। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद इसको जमीन पर उतारने के लिए पिरामल फाउंडेशन का सहयोग लेगा।
इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए फाउंडेशन के अधिकारी लगातार जिला शिक्षा पदाधिकारी, पटना के संपर्क में हैं। जिला शिक्षा कार्यालय के अनुसार इस योजना को पटना के स्कूलों में इसकी शुरुआत की जा रही है। कक्षा नौंवी से 12वीं तक बच्चों को इस योजना शामिल करने का उद्देश्य है वे आगे की पढ़ाई इन विषयों से कर सकते हैं या स्वरोजगार कर सकते हैं।
संकुल स्तर पर शिक्षक किए जाएंगे प्रशिक्षित:
बिहार शिक्षा परियोजना के निर्देश पर पटना सहित चिह्नित जिलों में प्रशिक्षण देने के लिए शिक्षकों का चयन किया जा रहा है। जिला स्तर पर डेढ़ सौ शिक्षकों मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके बाद ये शिक्षक स्कूलों के अन्य शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे।
शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद विद्यार्थियों को कैरियर परामर्श और रुचि आधारित क्षेत्र चयन में सहायता करेंगे। इसमें जिले में पीएमश्री दर्जा प्राप्त उच्च माध्यमिक स्कूलों को शामिल किया जाएगा। इस परियोजना में विद्यार्थियों को समुदाय आधारित प्रोजेक्ट तैयार करने का अवसर दिया जाएगा।
इस प्रकार का है कौशल मॉड्यूल:
- प्लंबिंग : पानी की पाइप फिटिंग व साधारण मरम्मत
- सिलाई मशीन प्रशिक्षण : कपड़ा सिलने व बुटिक कार्य
- कारपेंट्री: लकड़ी की कटाई, फिनिशिंग और बेसिक निर्माण कार्य
- राजमिस्त्री : ईंट लगाने, माप लेने और समतल बनाने का प्रशिक्षण
- बिजली : वायरिंग, स्विच बोर्ड, सुरक्षा उपाय और घरेलू उपकरण
- इलेक्ट्रॉनिक : मोबाइल व एलईडी स्मार्ट टीवी मरम्मत आदि
- वाहन मरम्मतः मोटरसाइकिल और कार का मरम्मत
- खिलौना : लकड़ी या अन्य सामग्री से खिलौना निर्माण
- जूती क्लस्टर : कारीगरों की पारंपरिक कला और उत्पादन प्रक्रिया की समझ
बीच में पढ़ाई छोड़ने की दर होगी कम:
9वीं से 12वीं के बीच छात्र अपनी रुचि व क्षमता पहचान आगे के लिए विषय चयन, कालेज या रोजगार को लेकर निर्णय लेते हैं। इसी उम्र में कौशल प्रशिक्षण मिलने से वे भविष्य की सटीक दिशा तय कर सकेंगे। नई शिक्षा नीति (नेप 2020) के अनुसार माध्यमिक स्तर (कक्षा 9–12) से ही छात्रों को व्यावसायिक और कौशल आधारित शिक्षा दी जाए, ताकि स्कूल छोड़ने के बाद वे सीधे रोजगार-स्वरोजगार के योग्य बन सकें। दूसरी ओर, इसी आयुवर्ग में स्कूल छोड़ने की दर सबसे अधिक होती है।
कौशल प्रशिक्षण मिलने से छात्रों में रुचि बढ़ती है और व्यावहारिक लाभ दिखने से पढ़ाई से जुड़े रहेंगे। इसका कानूनी-व्यावहारिक कारण यह है कि 14 वर्ष के बाद छात्र कौशल प्रशिक्षण के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। कई तकनीकी और औजार आधारित प्रशिक्षण जैसे बिजली, वाहन मरम्मत, कारपेंट्री इसी आयु वर्ग के लिए सुरक्षित व मान्य होते हैं। इस उम्र में प्रशिक्षण से निर्णय क्षमता, समस्या समाधान, आत्मविश्वास टीमवर्क जैसे जीवन कौशल तेजी से विकसित होते हैं।

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