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    अब पैरेंट्स को पता चलेगा सबकुछ, आइटीआइ छात्रों के लिए बिहार सरकार ने बनाई नई नीति

    Updated: Sat, 10 May 2025 06:32 PM (IST)

    सभी सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के लिए सरकार ने नई नीति बनाई है। यह कवायद ड्रापआउट रोकने के लिए की जा रही है। इसके तहत तहत आइटीआइ में प्रशिक्षण ...और पढ़ें

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    आइटीआइ में छात्रों का ड्रापआउट रोकने को हर माह होगी पैरेंट मीटिंग। सांकेतिक तस्वीर।

    राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के सभी सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आइटीआइ) में नामांकित प्रशिक्षणार्थियों का ड्रापआउट रोकने के लिए नीति बनाई गई है। इस नीति के तहत आइटीआइ में प्रशिक्षण पाने वाले छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के साथ संस्थान के प्राचार्य और अनुदेशक हरेक माह बैठक करेंगे। 

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    अभिभावक से साझा की जाएगी जानकारी

    इस दौरान प्राचार्य और अनुदेशक (इंस्ट्रक्टर) छात्र-छात्राओं की उपस्थिति से लेकर उनके प्रशिक्षण तक की स्थिति की जानकारी अभिभावक से साझा करेंगे। उन्हें सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी जाएगी। लगातार कक्षा से अनुपस्थित छात्रों के बारे में अभिभावक से कारण पूछा जाएगा। इस दौरान छात्र और छात्राओं की अनुशासनहीनता की जानकारी भी उनके अभिभावक को आइटीआइ के द्वारा दी जाएगी। 

    छात्र-छात्राओं का फीडबैक लेंगे

    श्रम संसाधन विभाग के मुताबिक आइटीआइ के प्राचार्य और अनुदेशक अभिभावक से भी छात्र-छात्राओं का फीडबैक लेंगे। निरतंर कक्षाओं से अनुपस्थित छात्रों के बारे में अभिभावकों से वजह जानी जाएगी। छात्र-छात्राओं की अनुशासनहीनता की जानकारी भी उनके अभिभावक को दी जाएगी।

    पैरेंट्स से सलाह भी ली जाएगी

    छात्र-छात्राओं के हित में और बेहतर प्रबंधन के लिए अभिभावक की सलाह भी ली जाएगी। अभिभावक के सुझाव पर व्यवस्था में आवश्कतानुसार सुधार भी किए जाएंगे।

    15 से 20 प्रतिशत तक ड्रापआउट

    विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य के सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रत्येक साल कुल नामांकित छात्र-छात्राओं में लगभग 15 से 20 प्रतिशत तक ड्रापआउट हो जाते हैं, यानी प्रशिक्षण अवधि के दौरान पढ़ाई छोड़ देते हैं या फिर फाइनल परीक्षा में शामिल नहीं होते हैं।

    सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की संख्या 151

    बता दें कि सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की संख्या 151 है। इसमें 113 सामान्य और 38 महिला आइटीआइ हैं। सभी आइटीआइ में कुल 34 हजार सीटें हैं। इसमें भी 15 प्रतिशत सीटें विभिन्न ट्रेड में खाली रह जाते हैं। 2023-24 में भी 6220 सीटें खाली रह गईं थी। 2022-23 सत्र में 4787 सीटें खाली रह गई थीं।

    3874 सीटें खाली रह गई थीं

    इसके पहले 2021-22 में 3874 सीटें खाली रह गई थीं। जहां तक पाठ्यक्रम की बात है तो 41 ट्रेड में 31 इंजीनियरिंग और 10 ननइंजीनियरिंग टाइप के पाठ्यक्रम हैं। 20 ट्रेड दो वर्षीय है। 21 ट्रेड एक वर्षीय हैं। 11 नए ट्रेड शुरू किए गए हैं।

    इसमें एडिटिंग मैनुफैक्चरिंग टेक्निशियन, थ्री डी प्रिटिंग, कंप्यूटर एडेड इंप्रूवल एंड डिजाइन, इलेक्ट्रिशियन पावर डिट्रिव्यूशन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स टेक्निशियन, आईओटी स्मार्ट एग्रीकल्चर, आईओटी स्मार्ट हेल्थ केयर, प्लंबर, सोलर टेक्निशियन, टेक्निशियन मेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं।