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    बिहार में कछुए से भी धीमी है सामाजिक प्रगति की रफ्तार, 36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में मिला 35वां स्थान

    By Aditi ChoudharyEdited By:
    Updated: Wed, 21 Dec 2022 01:11 PM (IST)

    Social Progress Index 2022 प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने मंगलवार को राज्यों के सामाजिक प्रगति सूचकांक (एसपीआइ) को लेकर एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में पुडुचेरी लक्षद्वीप और गोवा का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा है जबकि झारखंड और बिहार का प्रदर्शन सबसे खराब आंका गया है।

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    बिहार में कछुए से भी धीमी है सामाजिक प्रगति की रफ्तार, सभी राज्यों में मिला 35वां स्थान

    पटना, जागरण डिजिटल डेस्क। बिहार की सत्ता पर पिछले 15 सालों से काबिज नीतीश कुमार की सरकार विकास को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है। शिक्षा के स्तर में सुधार, बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य और रोजगार जैसे बुनियादी जरूरतों को बेहतर बनाने को लेकर उपलब्धियां गिनाई जाती है। हालांकि, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (Economic Advisory Council to the Prime Minister) की ओर से जारी सामाजिक प्रगति सूचकांक (Social Progress Index) सूबे में विकास की अलग ही गाथा बयां कर रही है। सामाजिक प्रगति के मामले में देशभर के 36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में बिहार को 35वां स्थान मिला है। बिहार सिर्फ झारखंड से इस मामले में बेहतर है, या यूं कहे कि झारखंड की हालत बिहार से भी बद्तर है।

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    प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) ने मंगलवार 20 दिसंबर को भारत के राज्यों की सामाजिक प्रगति सूचकांक (SPI) को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में पुडुचेरी, लक्षद्वीप और गोवा का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा है, जबकि असम, बिहार और पड़ोसी राज्य झारखंड का प्रदर्शन सबसे खराब आंका गया है। ईएसी-पीएम के चेयरमैन विवेक देबराय ने ‘सामाजिक प्रगति सूचकांक: देश के राज्य और जिले’ पर आधारित यह रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट प्रतिस्पर्धा संस्थान और गैर-लाभकारी संगठन सोशल प्रोग्रेस इम्पेरेटिव ने तैयार की है।

    इन 12 मानकों के आधार पर राज्यों का आकलन

    सामाजिक प्रगति सूचकांक को तीन महत्वपूर्ण आयामों को केंद्र में रखकर तैयार किया गया है। इसमें नागरिकों को बुनियादी मानव आवश्यकताएं (Basic Human Needs), कल्याण की नींव (Foundation of Well Being) और अवसर (Opportunity) के तहत 12 मानकों के आधार पर राज्यों का आंकलन किया गया है। 

    बुनियादी मानवीय आवश्यकताएं

    1. पोषण और बुनियादी चिकित्सा देखभाल
    2. जल और स्वच्छता
    3. व्यक्तिगत सुरक्षा
    4. आश्रय 

    फाउंडेशन ऑफ़ वेलबीइंग

    1. बुनियादी ज्ञान तक पहुंच
    2. सूचना और संचार तक पहुंच
    3. स्वास्थ्य और कल्याण
    4. पर्यावरणीय गुणवत्ता 

    अवसर

    1. व्यक्तिगत अधिकार
    2. व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पसंद
    3. समावेशिता
    4. उन्नत शिक्षा तक पहुंच 

    प्रदर्शन के हिसाब से छह स्तरों में राज्यों की रैंकिंग

    एसपीआई स्कोर के आधार पर राज्यों को सामाजिक प्रगति के छह स्तरों के तहत रैंक किया गया है। पहले स्तर यानी टीयर 1 में उन राज्यों के नाम शामिल है, जहां सामाजिक प्रगति का स्तर सबसे बेहतर है। इसके बाद टीयर 2 में उच्च सामाजिक प्रगति, टीयर 3 में ऊपरी मध्य सामाजिक प्रगति, टीयर 4 में निम्न मध्य सामाजिक प्रगति, टीयर 5 में कम सामाजिक प्रगति और टीयर 6 में सबसे कम सामाजिक प्रगति वाले राज्यों के नाम शामिल है।

    लिस्ट में सबसे निचले पायदान पर बिहार

    बिहार का नाम टीयर 6 यानी ऐसे राज्यों की लिस्ट में शामिल है, जहां सामाजिक प्रगति बहुत कम है। बिहार के अलावा असम और झारखंड भी बहुत कम सामाजिक प्रगति वाले राज्यों में शामिल है। सामाजिक प्रगति सूचकांक में एसपीआई स्कोर 100 में से बिहार को 44.47 मिला है। झारखंड 43.95 के साथ इस लिस्ट में सबसे नीचे है। पूरे देश की बात करें तो भारत का औसत सामाजिक प्रगति सूचकांक 60.19 है, जो वैश्विक औसत 65.24 से कम है। 

    कुछ मानकों पर बिहार का प्रदर्शन बेहतर

    हालांकि, रिपोर्ट यह भी बताती है कि असम, बिहार और झारखंड हालांकि स्वास्थ्य और कल्याण, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पसंद, समावेशिता और व्यक्तिगत अधिकार के मामले में अपेक्षाकृत बेहतर स्थान पर है, लेकिन उच्च सामाजिक प्रगित प्राप्त करने के लिए इन राज्यों को पोषण और बुनियादी चिकित्सा देखभाल, सूचना और संचार और उन्नत शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक प्रगति के मानकों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।