बिहार ने जॉर्ज फर्नांडिस को राजनीतिक ऊंचाई दी तो पतन भी दिखाया, जानिए
दिवंगत नेता जॉर्ज फर्नांडिस का बिहार से गहरा नाता रहा है। जिस बिहार ने उन्हें राजनीतिक ऊंचाई दी, उसी ने बाद में उन्हें राजनीतिक पतन भी दिखाया, जिससे ...और पढ़ें

पटना [काजल]। देश के पूर्व रक्षामंत्री रहे कद्दावर समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस का मंगलवार की सुबह दिल्ली में निधन हो गया। उनके निधन से बिहारवासियों को गहरा सदमा लगा है क्योंकि बिहार के मुजफ्फरपुर से उनकी गहरी यादें जुड़ी हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उन्हें जदयू कार्यालय में श्रद्धांजलि देते वक्त इतने भावुक हो उठे कि उनकी आंखों में आंसू आ गए।
जॉर्ज फर्नांडिस का बिहार से गहरा नाता रहा है। इसकी वजह भी है, बिहार ने ही उनके राजनीतिक जीवन को वो ऊंचाई दी जिसके बाद वे मंत्री बने थे तो इसी बिहार ने उनके राजनीतिक जीवन को पतन का भी वो दुख दिया जिससे वो कभी उबर नहीं सके।

जेल में रहते हुए लड़ा लोकसभा चुनाव, मिली थी रिकॉर्ड जीत
जॉर्ज फर्नांडिस ने 1977 का लोकसभा चुनाव जेल में रहते हुए ही भी जब जॉर्ज ने मुजफ्फरपुर से चुनाव जीता तो वो रातोंरात सुर्खियों में आ गए थे। जॉर्ज कुल चार बार मुजफ्फरपुर से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। वो पहली बार 1977 में चुनाव जीते थे फिर इसके बाद उन्होंने 1980, 1989 और सन 2004 में भी मुजफ्फुरपुर सीट से जीत हासिल की थी।
रघुवंश प्रसाद के कहने पर मिला था जॉर्ज को टिकट
इमरजेंसी के बाद 1977 में लोकसभा चुनाव के समय मुजफ्फरपुर से चुनाव लडऩे की बात चली तो जनता पार्टी में कई दावेदार सामने आए। सबके अपने-अपने तर्क। किसी ने अगड़े तो किसी ने पिछड़े कार्ड के आधार पर दावेदारी की। पार्टी सुप्रीमो पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के पास मामला पहुंचा।

टिकट की चर्चा के दौरान डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह ने बेबाक राय रखी कि जेल में बंद जॉर्ज फर्नांडीस को टिकट दिया जाए। इस पर एक राय बनी। टिकट मिला तथा अगड़ा-पिछड़ावाद खत्म हुआ। जॉर्ज की रिकार्ड जीत हुई।
जॉर्ज ने ही बनायी थी जदयू पार्टी
जनता पार्टी और उसके बाद जनता दल के कई टुकड़ों में बंट जाने और राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव से टकराव के बाद जॉर्ज फ़र्नांडीस ने 1994 में समता पार्टी का गठन किया और इसी समता पार्टी ने बिहार में लालू यादव को सत्ता से हटाने का आह्वान करते हुए 1995 में भारतीय जनता पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन किया था।
1996 के लोकसभा चुनाव में इस नवगठित दल का प्रदर्शन अच्छा रहा और समता पार्टी, बीजेपी की सरकार बनाने की योजना को सफल बनाने में कारगर साबित हुई थी।

इसके बाद फिर 1999 में एक बार और जनता दल का विभाजन हो गया। इस दौरान कुछ नेता जॉर्ज फर्नांडिस की समता पार्टी के साथ मिल गए और पार्टी का नाम जनता दल (यूनाइटेड) रखा। वहीं बाकी बचे नेताओं ने एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व में जनता दल (सेक्युलर) का गठन किया।
जदयू ने नहीं दिया था लोकसभा चुनाव का टिकट
2009 के चुनाव में जॉर्ज फर्नांडिस की इच्छा थी कि वह जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर मुजफ्फरपुर से ही चुनाव लड़े, लेकिन पार्टी के नई पीढ़ी के नेतृत्व ने उनको उनकी उम्र और बीमारी का हवाला देकर टिकट नहीं दिया। मजबूरन उन्होंने अपनी ही पार्टी से बगावत कर दी और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मुजफ्फरपुर से मैदान में कूद पड़े।
मुजफ्फरपुर से निर्दलीय लड़े चुनाव और हो गई थी हार
इस बार जाति और समुदाय में बंटी राजनीति में जॉर्ज को मुंह की खानी पड़ी। यह भी विडम्बना ही है कि जिस मुजफ्फरपुर से उन्होंने जेल में रहते हुए चुनाव जीतकर इतिहास रचा था उसी मुजफ्फरपुर से वे अपने राजनीतिक जीवन का अंतिम चुनाव हार गए थे। इस हार से वो काफी दुखी हुए और इससे उबर नहीं पाए।

जया जेटली ने जॉर्ज फर्नांडिस की उपेक्षा का लगाया था आरोप
समता पार्टी की अध्यक्ष रहीं जया जेटली ने एक इंटरव्यू के दौरान आरोप लगाते हुए दुख जाहिर किया था कि किस तरह पार्टी पोस्टरों से जॉर्ज गायब होते चले गए और जिन नेताओं को उन्होंने आगे बढ़ाया वही बीमार जॉर्ज की तबीयत का हाल तक जानने की जहमत नहीं उठाते थे।
2006 में जॉर्ज हार गए थे जदयू के अध्यक्ष पद का चुनाव
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजनीतिक गुरु माने जाते थे जॉर्ज फर्नांडिस, लेकिन 2005 में नीतीश कुमार के सत्ता पर काबिज होने के बाद जॉर्ज फर्नांडिस पार्टी में अप्रैल 2006 में अध्यक्ष के लिए हुए चुनाव में शरद यादव के हाथों हार गए थे।
जॉर्ज फर्नांडिस को इस हार का ऐसा सदमा लगा कि इससे कभी वो उबर नहीं पाए। इसके बाद जदयू में धीरे-धीरे जॉर्ज और उनके समर्थकों का पत्ता साफ होने लगा और 2009 में जॉर्ज को लोकसभा चुनाव का टिकट तक नहीं दिया गया। बाद में जब हर तरफ से थू-थू हुई तो उन्हें राज्यसभा में भेजा गया और वे 2009 और 2010 के दौरान बिहार से राज्यसभा के सदस्य रहे।

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