सखियों की सहायता और गोबर-गोमूत्र का उपयोग; बिहार के 3 जिलों के किसान तेजी से बदल रहे अपनी तकदीर
बिहार के तीन जिलों के किसान गोबर और गोमूत्र की मदद से अपनी तकदीर बदल रहे हैं। कृषि सखियों की सहायता से, वे जैविक खेती को अपनाकर अपनी आय में वृद्धि कर ...और पढ़ें

50 हजार से अधिक किसान कर रहे प्राकृतिक खेती। सांकेतिक तस्वीर
राज्य ब्यूरो, पटना। Natural Farming in Bihar: सरकार के प्रोत्साहन से राज्य के हजारों किसान प्राकृतिक खेती को अपना रहे हैं। कृषि विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 50 हजार से अधिक किसान प्राकृतिक तरीके से खेती कर रहे हैं।
किसान रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर गोबर, गोमूत्र आदि का इस्तेमाल कर खेती को न सिर्फ सस्ती एवं टिकाऊ बना रहे हैं बल्कि स्वस्थ जीवन की ओर भी कदम बढ़ा रहे हैं।
प्राकृतिक खेती का रकबा 20 हजार हेक्टेयर में पहुंच चुकी है। किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए आवश्यक इनपुट उपलब्ध कराने के लिए 266 बायो-इनपुट रिसोर्स सेंटर (बीआरसी) की स्थापना की गई है, ताकि उन्हें समय पर प्राकृतिक खेती से जुड़े इनपुट मिल सके।
साथ ही, किसानों के लिए प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें उन्हें प्राकृतिक खेती में उपयोग होने वाले इनपुट बनाने की विधि का भी विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
विशेष तकनीक से उगाए जा रहे हैं फल और सब्जियां
रोहतास, नालंदा एवं पटना जैसे जिलों में किसानों ने इसे तेजी अपनाया है। इससे फसल उत्पादन बेहतर हुआ है एवं जलवायु चुनौतियों के प्रति भी उनकी सहनशीलता बढ़ रही है।
खेती की इस तकनीक से धान और गेहूं सहित सब्जियां जैसे टमाटर, बैगन, भिंडी, गोभी, मिर्च आदि उगाई जा रही है। साथ ही, ड्रैगन फ्रूट, अमरूद, पपीता एवं केले की भी खेती इस तकनीक से हो रही है।
800 कृषि सखियां दे रहीं योगदान
केंद्र सरकार की राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन को बिहार के किसानों ने तेजी से अपनाया है। इसकी शुरुआत इसी वर्ष 2025 में हुई है। बहुत कम समय में इसके उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं।
किसानों ने खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशकों को छोड़कर गोबर, गोमूत्र, और औषधीय घोलों (जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र, अग्नि अस्त्र) का उपयोग शुरु किया है।
किसानों को इसमें सहयोग देने के लिए 800 कृषि सखियों को नियुक्त किया गया है, जो किसानों को सहायता और मार्गदर्शन प्रदान कर रही हैं।
प्राकृतिक खेती से जुड़ना, यह दर्शाता है कि हमारे किसान स्वस्थ जीवन और टिकाऊ कृषि के महत्व को समझते हैं। रासायनिक खादों पर निर्भरता कम करने और पर्यावरण-अनुकूल तरीके अपनाने के हमारे प्रयास रंग ला रहे हैं। हमारी 800 कृषि सखियां और 266 बायो-इनपुट रिसोर्स सेंटर किसानों को सशक्त बना रहे हैं।
राम कृपाल यादव, कृषि मंत्री

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।