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    Bihar News : चुनावी बॉन्ड से राजद-जदयू को कितना मिला चंदा? इन दलों की झोली में भी गिरे हजारों करोड़ रुपये

    Bihar Polical News चुनावी बॉन्ड से सियासी दलों को मिलने वाली राशि को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 31 अक्टूबर को सुनवाई होनी है। यह योजना 2 जनवरी 2018 को अधिसूचित की गई थी। बिहार में 2020 में हुए विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Chunav) के दौरान भी चुनावी बॉन्ड जारी हुए थे। इसमें करोड़ों रुपये चुनावी चंदे के तौर पर पार्टियों को मिले हैं।

    By Edited By: Yogesh SahuUpdated: Mon, 30 Oct 2023 12:17 PM (IST)
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    Bihar News : चुनावी बॉन्ड से राजद-जदयू को कितना मिला चंदा? इन दलों की झोली में भी गिरे हजारों करोड़

    विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। हर घड़ी दूसरे के दामन पर दाग ढूंढने वाले राजनीतिक दलों की 69 प्रतिशत आय का स्रोत ज्ञात नहीं। इन्हीं सारे कारणों से चुनावी बॉन्ड का प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच चुका है।

    इस प्रकरण का भी एक कोण बिहार से जुड़ रहा है। वर्ष 2020 में बिहार विधानसभा का चुनाव हुआ था। उस वर्ष अक्टूबर में चुनावी बॉन्ड जारी हुए, लेकिन अप्रैल और जुलाई में नहीं।

    वर्ष में चार बार चुनावी बॉन्ड (जनवरी, अप्रैल, जुलाई, अक्टूबर) जारी होते हैं। वर्ष 2017 से शुरू हुई इस व्यवस्था में एकमात्र 2020 ही ऐसा उदाहरण है, जब दो चरण के बॉन्ड जारी नहीं हुए।

    मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय खंडपीठ मंगलवार को चुनावी बॉन्ड पर सुनवाई करेगी। दलील यह भी है कि जब चुनावी बॉन्ड के लिए वर्ष में 70 के बजाय 85 दिन निर्धारित किए गए तो फिर 2020 में किन कारणों से दो अवसरों पर ये जारी नहीं हुए।

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    ऐसा तब जबकि अवधि विस्तार का कारण ही विधानसभाओं के चुनाव बताए गए हैं। लोकहित याचिकाकर्ताओं में से एक एडीआर के बिहार समन्वयक राजीव कुमार का कहना है कि 2020 के प्रकरण से स्पष्ट है कि लोकतंत्र की पारदर्शिता के लिए चुनावी बॉन्ड की व्यवस्था सही नहीं है। यह अवैध धन को वैध करने का उपकरण हो गया है।

    राजद और जदयू को भी थोड़ा-बहुत

    कारपोरेट चंदा देने वाले प्रमुख 15 राज्यों में पड़ोसी बंगाल और उत्तर प्रदेश क्रमश: छठे और आठवें स्थान पर हैं। बिहार का इसमें स्थान नहीं है। वर्ष 2021-22 में जदयू की कुल आय 86.55 करोड़ में से 56 प्रतिशत (48.36) अज्ञात स्रोत से थी।

    इस मामले में जदयू क्षेत्रीय दलों में पांचवें क्रमांक पर रहा और भाजपा राष्ट्रीय दलों में पहले स्थान पर। उसी वित्तीय वर्ष में राजद को ढाई करोड़ के चुनावी बॉन्ड मिले। हालांकि, उसने निर्वाचन आयोग को इसकी जानकारी नहीं दी। जदयू को प्रुडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से 25 करोड़ मिले।

    राष्ट्रीय दलों की हिस्सेदारी अधिक

    चुनावी बॉन्ड के 28 चरण पूरे हो चुके हैं। अभी तक 18382.81 करोड़ के बॉन्ड जारी हुए हैं। सर्वाधिक धन भाजपा को मिला है। जदयू और राजद के हिस्से में भी थोड़ी-बहुत राशि आई है।

    उल्लेखनीय है कि चुनावी बॉन्ड में छह राष्ट्रीय दलों की हिस्सेदारी 55 प्रतिशत है। शेष क्षेत्रीय दलों की। 94 फीसदी चुनावी बॉन्ड कारपोरेट घरानों से मिल रहे हैं।

    याचिका दायर करने वाली माकपा के नेता रामा यादव का कहना है कि कारपोरेट घराने दान सहित किसी भी तरह का निवेश भविष्य में लाभ के उद्देश्य से ही करते हैं।

    चुनावी बॉन्ड से मिली राशि (करोड़ में)

    राजनीतिक दल 2017-18 2018-19 2019-20 2020-21 2021-22
    भाजपा 210.00 1450.89 2555.00 22.38 1033.70
    कांग्रेस 05.00 383.26 317.86 10.07 236.10
    जदयू 00.00 00.00 13.00 01.40 10.00
    राजद 00.00 00.00 02.50 00.00 00.00

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