चुनावी मौसम में पर्दे पर बिहार की 'कठोर सच्चाई', चर्चा में राजनीति और अपराध की ये सात वेब सीरीज
बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही, राज्य की वास्तविकताओं को दर्शाने वाली वेब सीरीज की मांग बढ़ गई है। 'महारानी' जैसे शो सत्ता, जाति और अपराध की कहानियों को दिखाते हैं। नेटफ्लिक्स और सोनी लिव जैसे प्लेटफॉर्म्स पर क्षेत्रीय कंटेंट की खपत बढ़ी है। ये सीरीज मतदाताओं को अतीत का आईना दिखाती हैं और नेताओं को जनता की नब्ज समझने में मदद करती हैं। ये मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक टिप्पणी भी हैं।

चुनावी विमर्श को गर्माती सात प्रमुख वेब सीरीज
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है। इसी माहौल में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर उन वेब सीरीज की मांग और चर्चा बढ़ गई है जो राज्य की जटिल वास्तविकताओं को दर्शाती हैं। राजनीतिक उथल-पुथल, जातिगत असमानता, और अपराध की चुनौतियां इन कहानियों का मूल हैं। ये शो मतदाताओं के लिए अतीत का आईना हैं, वहीं राजनेताओं के लिए जनता की नब्ज समझने का मौका।
'महारानी' जैसे शो का चौथा सीज़न आने की खबरों के बीच क्षेत्रीय कंटेंट की खपत में 30% की वृद्धि दर्ज करने वाले नेटफ्लिक्स और सोनी लिव जैसे प्लेटफॉर्म्स अब मनोरंजन से कहीं आगे बढ़कर, बिहार के अशांत इतिहास और वर्तमान की झलक दिखा रहे हैं। इसका सीधा असर चुनावी विमर्श पर पड़ सकता है।
चुनावी विमर्श को गर्माती सात प्रमुख वेब सीरीज
ये सीरीज सात प्रमुख विषयों को उठाती हैं, जो बिहार की राजनीति और समाज में आज भी केंद्रीय महत्व रखते हैं। क्राइम और पॉलिटिक्स के गठजोड़ को समझने में भी मदद करता है।
1. महारानी (SonyLIV): 1990 के दशक की राजनीति से प्रेरित, यह सीरीज सत्ता का अप्रत्याशित हस्तांतरण, लिंग, और जातिगत राजनीति को केंद्र में रखती है। यह महिला नेतृत्व और सामाजिक न्याय के जटिल समीकरणों को दर्शाती है, जो चुनावी बहस का एक प्रमुख हिस्सा हैं। हुमा कुरैशी के कैरेक्टर को राबड़ी देवी से जोड़ कर देखा जाता है। हालांकि इसमें आंशिक सच्चाई है। सीरिज में लालू-नीतीश काल को बखूबी दिखाया गया है। इसकी चार कड़ी बन चुकी है।
2. खाकी: द बिहार चैप्टर (Netflix): आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा के संस्मरण पर आधारित यह शो 2000 के दशक के शुरुआती दौर में संगठित अपराध, पुलिस भ्रष्टाचार, और जाति आधारित हिंसा को सामने लाता है। यह सीरीज मतदाताओं को 'जंगल राज' बनाम 'सुशासन' की पुरानी चुनावी बहस को फिर से प्रासंगिक बनाती है।
3. रंगबाज़: डर की राजनीति (ZEE5): गैंगस्टर से राजनेता बने मोहम्मद शहाबुद्दीन के जीवन से प्रेरित यह हिस्सा बाहुबल, चुनावी हिंसा और अपराध-राजनीति गठजोड़ की खतरनाक केमिस्ट्री की जांच करता है। यह दर्शाती है कि अपराधी कैसे विधायक बन जाते हैं, जो लोकतंत्र की चुनौतियों को सामने रखती है।
4. ग्रहण (Disney+ Hotstar): यह सीरीज 1984 के सिख दंगों और कठोर जाति संरचना के बीच बुनी गई एक कहानी है। यह सामाजिक विभाजन, साम्प्रदायिक सद्भाव और ऐतिहासिक घावों पर मरहम लगाने के प्रयासों की प्रासंगिकता को रेखांकित करती है।
5. पटना शुक्ला (Disney+ Hotstar): बिहार के रोल नंबर घोटाले से प्रेरित यह कानूनी ड्रामा शिक्षा प्रणाली के भ्रष्टाचार और वंचित छात्रों पर उसके प्रभाव को उजागर करता है। यह युवाओं की निराशा और शिक्षा/रोजगार के चुनावी वादों की असलियत से जुड़ी है।
6. अपहरण (ALTBalaji/ZEE5): 1980-90 के दशक के अपहरण उद्योग और इसमें राजनीतिक संरक्षण के गहरे जाल को दिखाती है। यह कानून-व्यवस्था की चुनौती और आम जनता की सुरक्षा की मांग को उजागर करती है।
7. रक्तांचल (MX Player): 1980 के दशक की बिहार-यूपी सीमा पर गैंगवार, जाति हिंसा और संगठित अपराध सिंडिकेट्स पर केंद्रित यह सीरीज स्थानीय राजनीति में बाहुबलियों के निरंतर प्रभाव को दर्शाती है।
राजनीतिक विमर्श का आईना
ये सीरीज जागरूकता बढ़ाती हैं और दर्शकों को उनके राज्य की जटिलताओं से जोड़ती हैं। ये कहानियां बिहार की बहुआयामी चुनौतियों पर एक आकर्षक नजरिया पेश करती हैं, जिसका सीधा संबंध इस चुनावी मौसम में मतदाताओं के विवेक से है। स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स के बढ़ते निवेश से उम्मीद है कि क्षेत्रीय कहानियों में और अधिक गहराई आएगी, जो भविष्य के चुनावों में मतदाता भावनाओं को प्रभावित कर सकती है। यह कंटेंट मनोरंजन के साथ-साथ एक राजनीतिक और सामाजिक टिप्पणी का भी काम कर रहा है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।