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    Bihar Election 2025: एनडीए और महागठबंधन में सीटों पर खींचतान, वोट ट्रांसफर में फंस सकता है पेच

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 01:46 PM (IST)

    बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन और एनडीए दोनों में ही सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान मची है। राजद, कांग्रेस, वामदल और वीआईपी जैसी पार्टियां कई सीटों पर उलझी हुई हैं, वहीं एनडीए में चिराग पासवान (Chirag Paswan) और जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के बीच तनाव है। इस रस्साकशी का असर वोट ट्रांसफर पर पड़ सकता है, जिससे चुनावी राह मुश्किल हो सकती है।

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    महागठबंधन और एनडीए में सीटों पर खींचतान, वोट ट्रांसफर में फंस सकता है पेच


    राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Election 2025) में दोनों ही प्रमुख गठबंधनों के अंदर गांठ नजर आने लगी है। सीट शेयरिंग के कारण सतह पर आई इस गांठ को छिपाना अब मुश्किल हो रहा है। सबसे अधिक खींचतान महागठबंधन में है।

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    राजद, कांग्रेस, वामदल और वीआईपी चारों ही दल करीब एक दर्जन सीटों को लेकर आपस में उलझे हुए हैं। जाले, वैशाली, लालगंज, वारसलिगंज में कांग्रेस और राजद दोनों की दावेदारी सामने आ रही है। सिमरी बख्तियारपुर की सीट को लेकर राजद और वीआईपी आमने-सामने हो गए हैं।

    यह सीट पिछली बार राजद ने जीती थी। उस समय वीआईपी को एनडीए में रहते हुए यह सीट दी गई थी। वामदलों में भी दो-तीन सीटों को लेकर महागठबंधन से रस्साकशी है। इनमें बहादुरपुर पर राजद, बछवाड़ा और राजगीर में कांग्रेस अपनी दावेदारी कर रही है।

    एनडीए में सीटों का बंटवारा सभी 243 सीटों पर हो गया है। भाजपा, जदयू, लोजपा (रा), हम और रालोमो ने अपनी-अपनी तय सीटों पर प्रत्याशी भी उतार दिए हैं। मगर आपसी गतिरोध अभी खत्म नहीं हुआ है।

    खासकर चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बीच तनातनी पर्दे के पीछे से जारी है। मांझी ने तो मखदुमपुर और बोधगया सीट पर चिराग के उम्मीदवार के खिलाफ प्रत्याशी उतारने की भी घोषणा कर दी है। हालांकि एनडीए का शीर्ष नेतृत्व इस मामले को सुलझाने में लगा है।

    वोट ट्रांसफर में फंस सकता है पेच:

    गठबंधनों में सीट शेयरिंग का मामला अगर सुलझ भी जाता है, तो इस रस्साकशी का नुकसान दोनों ही गठबंधनों को चुनावी मैदान में उठाना पड़ सकता है।

    खासकर जिन सीटों पर गठबंधन के बीच ही आपसी खींचतान है, वहां दावा जता रहे गठबंधन के दूसरे दल का वोट ट्रांसफर कराना आसान नहीं होगा। इसका असर जमीनी समीकरण पर देखने को मिलेगा।